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नानी कहती थीं – मनोज  चतुर्वेदी

  नानी कहती थीं   नानी कहती थीं कि शबनम अमृत है पूनो का चाँद , मस्त चाँदनी शीतल मंद...

अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता- डॉ अनिल त्रिपाठी

  अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता प्यार या मनुहार से नफ़रतों के वार से जीत...

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी – डॉ अनिल त्रिपाठी

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी   और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी शाम...

सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ : डॉ अनिल त्रिपाठी

सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ   सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ अभी...