अनिरुद्ध और शोमा की मुलाकात ऑनलाइन हुई थी। और उस मुलाकात ने 35 साल के अनिरुद्ध का जीवन ही बदल दिया था। वरना अब तक उसके पास ऑफिस की फाइलों और डेड लाइनों के अलावा बात करने के लिए कोई विषय नहीं रहता था। अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में तो वो खासतौर से चुप्पी साधे रहता था। बताये भी तो क्या बताये।
ये शहर हमेशा भागता रहता था। जब से अपना शहर छोड़कर मुंबई में उसनी एक मल्टी नेशनल कम्पनी ज्वाइन की थी, तब से वो खुद को बेहद अकेला महसूस करता था, पर शोमा से नेट पर हुई मुलाकात ने उसका अकेलापन दूर कर दिया था।
ये मुलाकात भी इŸिाफाक से हुई थी। एक दिन छुट्टी वाले दिन घर पर सारे दिन ऑफिस की फाइलें निपटाने के बाद अनिरुद्ध बहुत ऊब गया था। छुट्टियाँ ऐसी ही बीत जाती थी। वो सारा दिन ऑफिस के काम करता। बाहर से खाना मंगाता और खाकर टीवी देखते हुए सो जाता। पर उस दिन टीवी पर भी कोई ऐसा प्रोग्राम नहीं आ रहा था, जिसमें अनिरुद्ध की दिलचस्पी हो, लिहाज़ा उसने फिर से कंप्यूटर की शरण ली। इधर-उधर फाइले देखते हुए अचानक उसे फेसबुक की याद आई। एक अरसा हो गया था, उसने फेसबुक से किनारा कर रखा था, पर आज उसके मन ने कहा और बहुत दिनों के बाद फेसबुक एकाउंट क्लिक कर दिया। फेसबुक पर वही पुराने चहरे थे, जिनके सवालों से बचने के लिए उसने अपना शहर छोड़ा था, पर उन्हीं चेहरों के बीच एक नयी फ्रेंड रिक्वेस्ट भी थी। किसी शोमा ने उसका प्रोफाइल देखकर उसे दोस्त बनाना चाहा था।
अनिरुद्ध के लिए ये एक नयी बात थी। एक अरसे से उसकी अपनी दुनिया से वो सभी औरतें निकल चुकी थीं, जिनसे उसका खून का रिश्ता नहीं था। ऑफिस में काम करने वाली लडकियों से भी उसकी ज़्यादा बात नहीं हो पाती थी। पर शोमा के चेहरे में कुछ तो ऐसा था कि अनिरुद्ध उसकी प्रोफाइल देखने लगा। शोमा भी उसी की तरह सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और असम की रहने वाली थी। अनिरुद्ध ने फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली और औरतों से दूर रहने की अपनी क़सम वापिस ले ली। फिर शोमा और अनिरुद्ध के बीच दोस्ती हो गई। कई बार चैट करने के बाद अनिरुद्ध शोमा को और शोमा अनिरुद्ध को जान गई। वो देर तक बातें करते। उनके शौक मिलते-जुलते थे। अनिरुद्ध को संगीत का शौक था और शोमा वायलिन बजाती थी। फिल्मों में भी उनकी पसंद एक सी थी। शोमा अपने फोटो जैसे ही पोस्ट करती, तुरंत अनिरुद्ध ’लाइक’ कर देता और अनिरुद्ध जैसे ही अपना स्टेटस अपडेट करता, तुरंत शोमा की ’लाइक’ आ जाती।
अनिरुद्ध के मन से कड़वाहट दूर हो रही थी, जो उसकी पत्नी राधा के अलग होने से आई थी। उनके रिश्ते का अंत इतनी कड़वाहट से हुआ था कि अनिरुद्ध उसे भूल जाना चाहता था और वाकई अब उसे अक्सर याद ही नहीं रहता कि कभी उसकी शादी भी हुई थी। पहले उसने सोचा ये बात शोमा को बताये। फिर उसने खुद को रोक लिया था।
धीरे-धीरे ये दोस्ती इतनी पक्की हो गई कि उन्होंने अपने फोन नम्बर्स भी एक्सचेंज कर लिए। अब अनिरुद्ध अक्सर ऑफिस में काम के बीच भी शोमा से बातें कर लेता और रात को तो उनका नियम था। कई बार तो देर रात तक वो बातें करते रहते। शोमा ने उससे बात करने के लिए खासतौर से एक नया आई पैड खरीदा है। ये जानकर अनुरुद्ध को बहुत ख़ुशी हुई। उसे लगा शोमा उसके बारे में अच्छा सोचती है, तभी तो उससे बात करना चाहती है।
ये लड़की उसे अलग लग रही थी। जो दुनियादारी पर ज्यादा ध्यान नहीं देती, बल्कि अपने जीवन को अपने हिसाब से जीना चाहती है और उसी की तरह कंप्यूटर इंजीनियर होते हुए भी कलात्मक रुचि की है। वरना उसकी पत्नी राधा तो दिन रात सिर्फ क्लाइंट्स और बिजनेस डील की ही बात करती थी।
अनिरुद्ध शोमा को पसंद करने लगा। एक दिन शोमा ने उसे बताया कि ऑफिस की एक कांफ्रेंस में वो मुंबई आ रही है। उसने अनिरुद्ध से मिलने की इच्छा प्रकट की। अनिरुद्ध के दिल की धड़कनें बढ़ गईं।
उस दिन उसने पहली बार ऑफिस से छुट्टी ली और शोमा से मिलने एयरपोर्ट पहंुचा। उसकी निगाहें गेट पर टिकी थीं और हाथ मोबाइल पर। तभी मोबाइल की घंटी बजी। उसने मोबाइल उठाया। शोमा की आवाज़ आई, ’मैंने यलो टॉप पहन रखा है।’ अनिरुद्ध ने सामने देखा। चेक आउट पर पीले टॉप में एक खूबसूरत सी लड़की दिखाई दी। उसने हैट लगा रखा था। अनिरुद्ध की कनपटियाँ गर्म हो गईं। वो तेज़ी से शोमा की ओर बढ़ा। शोमा उससे बड़े तपाक से मिली। लगता था कि वो भी अनिरुद्ध को देखकर खुश हुई थी। दोनों बातें करते हुए बाहर आए। उस दिन शोमा पहले सीधे ऑफिस गई। कांफ्रेंस काफी देर से ख़़त्म हुई, पर अगले दिन रविवार था, इसलिए अनिरुद्ध सीधे शोमा के होटल पहंुच गया। उस दिन दोनों ने जी भरकर बातें कीं।
उस शाम शोमा जब वापिस गई, तो अनिरुद्ध को लगा जैसे उसकी बहुत क़ीमती चीज़ उससे दूर रख दी गई हो। जल्द ही अनिरुद्ध ने मौका निकाला और इस बार वो खुद शोमा से मिलने असम चला गया। शोमा जब उससे मिलने होटल आई, तो अनिरुद्ध ने शोमा के सामने अपना दिल खोलकर रख दिया और उसे ये भी बता दिया कि वो उसे चाहता है। जवाब में शोमा ने अनिरुद्ध का हाथ पकड़कर कहा ’ये हाथ अब मत छोड़ना।’
अनिरुद्ध जब वापिस लौटा तब उसे मुंबई पहले जितना बेगाना नहीं लगा। इसी शहर ने उसकी बेजान ज़िन्दगी में शोमा के रूप में नयी जान डाली थी। अब वो सिर्फ संगीत सुनता नहीं था, बल्कि साथ-साथ गुनगुनाने भी लगता था। इसी बीच शोमा फिर से मुंबई आई, पर इस बार होटल जाने के बजाय अनिरुद्ध ज़िद करके उसे घर ले आया। अनिरुद्ध ने ऑफिस से छुट्टी ली और कांफ्रेंस के बाद सारा वक़्त शोमा को अपने साथ ही रखा। इस बार सारी दूरियां मिट गईं। मन से तो वो दोनों पहले ही एक दूसरे के हो चुके थे, अब तन की दूरियां भी मिट गईं। अनिरुद्ध के जीवन की हर कमी पूरी हो चुकी थी।
इस बार शोमा गई तो अनिरुद्ध ने अगले हफ्ते ही असम जाने का प्रोग्राम बना लिया। ये सिलसिला चलता ही जाता, पर तभी शोमा ने उसके सामने शादी की बात कर दी। अनिरुद्ध सोचने लगा। उसे अतीत याद आ गया। उसे डर लगा, शादी के बाद जिस तरह के नरक से वो गुज़रा था कहीं फिर ऐसा ना हो जाए। हालांकि शोमा और राधा में बहुत अंतर था। कहाँ राधा और कहाँ शोमा। राधा ने आज तक उसकी हर बात को झगडे़ का मुद्दा बनाया था, पर शोमा के साथ अगर कोई असहमति भी होती तो, बात आई-गई हो जाती। लेकिन शादी के बाद भी क्या ऐसा हो पाएगा? अनिरुद्ध जितना सोचता। उसकी परेशानी बढ़ती जाती।
आखि़रकार उसने फैसला किया कि वो इस बारे में शोमा से खुलकर बात करेगा। उसे समझाएगा कि शादी के बंधन में बंधने के बजाय प्यार का ये बंधन उन्हें ज़्यादा सुखी रखेगा। उसने शोमा से ये कहा तो वो तैयार नहीं हुई। उसके हिसाब से हर रिश्ते की तरह उनके रिश्ते को भी समाज में एक स्थान तभी मिलेगा जब वो शादी के बंधन में बंधेंगे। उसने कहा कि वो अनिरुद्ध के साथ घर बसाना चाहती है, उसके बच्चों की माँ बनना चाहती है।
इसी बात पर बहस शुरू हुई, तो अनिरुद्ध के मुंह से अपनी पिछली ज़िन्दगी की कुछ बातें निकल र्गइं। वो ज़ज्बात में आकर शोमा के सामने राधा का नाम ले बैठा। बात शुरू हुई तो उसे शोमा को सब कुछ बताना पड़ा। कैसे उसकी शादी राधा से हुई, जो एक बिजनेसमैन की बेटी थी, किस तरह उनकेरिश्तों में हनीमून से ही कड़वाहट आ गई थी और किस तरह उसे जलील और बदनाम करके राधा ने उससे तलाक लिया था। वो कहता गया कि उसे औरतों से नफरत हो गई थी। उसने अकेले ही ज़िंदगी जीने का फैसला किया था। वो तो शोमा उसके जीवन में आई, तो उसकी सोच बदलने लगी, पर आज भी वो शादी के नाम से डरता है।
अनिरुद्ध ने देखा शोमा का चेहरा सफ़ेद हो चला था। वो रो रही थी। अनिरुद्ध ने उसके आंसू पोछने चाहे, तो शोमा ने उसका हाथ झटक दिया। उसने अनिरुद्ध से रोते हुए पूछा ’क्यों उसने कभी अपनी ज़िन्दगी के इस हिस्से के बारे में शोमा को नहीं बताया। उसने क्यों शोमा से विश्वासघात किया?’
अनिरुद्ध सफाई देने लगा कि ये विश्वासघात नहीं उसका प्यार है। वो खुद भूलना चाहता था कि वो शादीशुदा है। पहले उसने शोमा से सच इसलिए छिपाया क्योंकि उसे डर था कि शोमा एक शादीशुदा आदमी से प्यार तो दूर दोस्ती भी नहीं करेगी। वो शोमा को खोना नहीं चाहता। शोमा ने कहा कि उसने उसके साथ खिलवाड़ किया है। उसकी भावनाओं का फायदा उठाया है।
वो लगातार रो रही थी। कुछ देर बाद उसने अपना सामान उठाया और जाने लगी। अनिरुद्ध ने उसे रोकने की कोशिश की, पर शोमा ने उसकी एक नहीं सुनी। वो चली गई।
अनिरुद्ध रात भर जागता रहा। सुबह होने वाली थी कि उसे एक झपकी आ गई, पर जब नींद खुली तो सूरज सर पर आ गया था। उसने जल्दी से शोमा का फोन मिलाया, पर फोन बंद था। वो फ़ौरन उस होटल में गया, जहाँ शोमा की कम्पनी वाले उसके रुकने का इंतजाम करते थे, पर वहां शोमा नाम का कोई गेस्ट नहीं था। अनिरुद्ध जल्दी से एयरपोर्ट की ओर भागा, पर वहां से भी कुछ पता नहीं लगा। वो घर लौट आया। दो चार दिन तक शोमा का फोन मिलाता रहा, पर फोन लगातार बंद रहा। फिर पता लगा कि ये नंबर बंद हो गया है। शोमा ने फेसबुक पर अपना एकाउंट भी बंद कर दिया था।
हिम्मत करके अनिरुद्ध शोमा से मिलने असम पंहुचा, तो शोमा का कहीं पता नहीं था। उसके आफ़िस से सिर्फ यही मालुम हुआ कि शोमा किसी विदेशी कंपनी के कांट्रैक्ट पर बाहर चली गई है।
अनिरुद्ध फिर कभी शोमा से नहीं मिल सका। वो आज भी अकेला ही रहता है और अक्सर पुरानी बातें याद करता है। पता नहीं शोमा कहाँ है, कैसी है, उसकी शादी हुई या नहीं? क्या वाकई उसने शोमा से विश्वासघात किया था? क्या वाकई वो स्वार्थी था? काश वो शोमा को पहले बता देता कि वो तलाकशुदा है तब शायद इस तरह ना ही शोमा उसे छोड़कर जाती और ना ही वो नाउम्मीद होकर जीता।