बाल कहानी : जादुई दस्ताने – अलका प्रमोद

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जादुई दस्ताने

नीटू के मामा आने वाले थे। मामा जब भी आते नीटू खुश हो जाता । मामा उसके लिये तरह.तरह के उपहार लाते एनये.नये किस्से सुनाते यही नहीं उसके साथ खेलते भी थे। मम्मीए पापा को तो समय ही नहीं रहता जब देखो कहते रहेंगे ‘नीटू यह मत करो एनीटू यह गलत बात है…………..’

रविवार का दिन था छुट्टी के दिन मम्मी उठाती रहतीं पर नीटू बिस्तर छोड़ने का नाम न लेता पर उस दिन तो कमाल ही हो गया एसुबह सात बजे ही नीटू मम्मी से आ कर बोला ‘मम्मी मेरे कपड़े निकाल दीजियेए मुझे नहाना है।’
मम्मी ने हँसते हुए कहा ‘ यह सब मामा जी के आने की खुशी में हो रहा है न!’
नीटू भी हँस दिया। अभी नीटू तैयार हुआ ही था कि दरवाजे पर घंटी बजी। नीटू दौड़ कर बाहर गया एमामा ही आये थे। नीटू ने उन्हे नमस्ते किया तो मामा ने नीटू को गले लगा लिया।
मामा के अन्दर आने पर नीटू उन्ही के आगे पीछे घूम रहा था। मामा समझ गये कि नीटू को उनके लाये उपहारों की प्रतीक्षा है। उन्होंने अपना बैग खोल कर नीटू को एक पुस्तक चाकलेट और एक गेम दिया, तभी मम्मी आ गई मम्मी ने मामा जी से कहा ‘भैया आप इसे कोई उपहार मत दीजिये यह दिन पर दिन बिगड़ता जा रहा है जब देखो किसी न किसी बच्चे से लड़ता रहता है । मैं तो इसको ले कर रोज.रोज आने वाली शिकायतों से तंग आ गयी हूँ।’
यह सुन कर डर गया कि कहीं मामा जी नाराज हो कर अपने लाये उपहार वापस न ले लें। उसने कहा ‘मम्मी आप तो हमेशा मेरी ही गलती मानती हैं। जब कोई गलत करता है तभी मैं लड़ता हूँ ।’
मम्मी ने समझाया ‘बेटा हर बात पर लड़ा नहीं जाता शान्ति से भी सुलझाया जा सकता हैए पर गुस्सा तो तेरी नाक पर रहता है।’
नीटू को मामा के सामने अपनी बुराई सुन कर गुस्सा आ रहा था, उसने मेज पर रखा गिलास फेंक दिया एजिससे उसमें रखा पानी फैल गया । उसके बाद वह पाँव पटकता वहाँ से चला गया। मम्मी ने मामा से कहा ‘देखा भैया कितना बिगड़ गया है ,इसे कुछ भी समझाओ तो सुनता ही नहीं गुस्सा हो जाता है।’
मामा ने कहा ‘तुम परेशान मत हो मेरे पास एक जादू है, जिससे यह ठीक हो जाएगा।’
मम्मी ने आश्चर्य से पूछा ‘जादू’
मामा ने मुस्करा कर सिर हिलाया और नीटू के कमरे में गये। उन्होनें नीटू से कहा ‘नीटू बेटा मैं तुम्हे एक और चीज देना तो भूल ही गया।’
नीटू गुस्सा भूल कर बोला ‘वह क्या मामा जी ‘
मामा ने कहा ‘ मैं इस बार तुम्हारे लिये एक जादुई दस्ताने लाया हूँ।’
फिर कुछ सोच कर बोले ‘लेकिन लगता है वह तुम्हारे लिये बेकार है।’
नीटू ने कुछ न समझते हुए पूछा ‘लेकिन क्यों’
मामा बोले ‘दस्ताने जादू के हैं इन्हे जो पहनता है उसे सब प्यार करने लगते हैं।’
नीटू बोला ‘लेकिन यह मेरे लिये बेकार क्यों है ,मुझे तो उसकी बहुत जरूरत है ,आज कल मम्मी पापा जब देखो मुझे डाँटते रहते हैं, मेरे दोस्त भी मुझसे नाराज रहते हैं। कम से कम यह दस्ताने पहनूँगा तो सब मुझे प्यार तो करेंगे।’
मामा ने कहा ‘बेटा यही तो मुश्किल है उस दस्ताने में के साथ एक समस्या यह है कि उसे पहन कर यदि कोई गुस्सा करेगा तो उसे खुजली होने लगेगी। मम्मी कह रही हैं कि आज कल तुम्हे गुस्सा बहुत आता है तो क्या फायदा कि तुम्हें खुजली होने लगे।’
नीटू को फिर मम्मी पर गुस्सा आने लगा पर उसे दस्ताने लेना था अतः अपने गुस्से को रोक कर बोला ‘मामा जी आप मुझे दस्ताने दीजिये तो मैं प्रॅामिस करता हूँ कि गुस्सा नहीं करूँगा।’
मामा ने लाल रंग के जादुई दस्ताने उसे दे दिये। नीटू जब वह सुंदर से लाल दस्ताने पहन कर बाहर गया तो उसके सभी दोस्त उससे पूछने लगे ‘नीटू तेरे दस्ताने तो बहुत सुंदर है कहाँ से लाया’
नीटू ने शान से कहा ‘मामा जी लाये हैं पर यह कोई मामूली दस्ताने नहीं हैं जादू के हैं।’
नीटू ने उन जादुई दस्तानों के बारे में अपने दोस्तों को बताया। अब सभी दोस्त उसे एक बार पहनना चाहते थे। अतः सभी नीटू से दोस्ती करने का प्रयास करने लगे।
रानू उससे कुछ बड़ा था अतः उसने नीटू पर रोब दिखाते हुए कहा ‘मुझे दिखाओ तुम झूठ बोल रहे हो जादू.वादू कुछ नहीं होता।’यह सुन कर नीटू को गुस्सा आ गया ‘उसने कहा मेरे मामा जी ने बताया है।’
रानू हँसने लगा ‘उसने कहा तुम्हारे मामा जी ने तुम्हे बुद्धू बनाया है।’
नीटू को गुस्सा आ गया उसने रानू को मारने के लिये हाथ उठाया पर उसे खुजली होने लगी। तब उसे ध्यान आया कि गुस्सा करने पर खुजली होगी अतः उसने स्वयं को रोक लिया कुछ देर में खुजली भी ठीक हो गयी।
अब तो जब भी उसे गुस्सा आता उसे खुजली होने लगती और वह स्वयं को रोक लेता। एक दो बार उसने सोचा कि वह दस्ताने पहनेगा ही नहीं पर दस्ताने पहन कर जब निकलता तो उसके सभी दोस्त उसे देखते और दस्ताने पहनने के लिये ललचाते तो वह शान में आ जाता इसलिये वह पहन लेता था । जब भी उसे गुस्सा आता वह अपने गुस्से को रोक लेता।
मामा जी वापस चले गये। एक दिन उसने सुना कि मम्मी मामा जी से मोबाइल पर कह रही हैं ‘सच भैया आपके दस्ताने तो बहुत काम आये अब नीटू बिल्कुल गुस्सा नहीं करता।’
नीटू ने मम्मी से मोबाइल लेकर कहा ‘मामा अबकी आइयेगा आप रानू को बताइयेगा कि ये जादू के दस्ताने हैं ,वह कहता है आपने मुझे बुद्धू बनाया है।’
मामा ने कहा ‘बेटा रानू सही कह रहा है ये कोई जादुई दस्ताने नहीं हैं।’
नीटू को मामा की बात पर विश्वास नहीं हुआ।उसने कहा ‘तो क्या आपने सच में मुझे बुद्धू बनाया।’
मामा जी ने कहा ‘बेटा मैंने तुम्हे बुद्धू नहीं बनाया बल्कि तुम्हें सुधारने के लिये झूठ बोला था।’
नीटू बोला ‘पर मामा जी मुझे गुस्सा करने पर खुजली होती है उसका क्या’
मामा ने कहा ‘बेटा तुम्हें विश्वास था कि इन दस्तानों में जादू है अतः तुम जब भी गुस्सा करते थे तुम्हें यह लगने लगता था कि तुमको खुजली हो रही है।’
‘…और मुझे सब लोग प्यार भी करने लगे वह कैसे’ नीटू ने पूछा।
मामा ने समझाया ‘बेटा तुमने गुस्सा करनाए सबसे लड़ना छोड़ दिया तो सब तुमसे प्यार करने लगे।’
‘ओह तो आप मुझे सुधारना चाहते थे’ नीटू ने कहा।
मामा ने कहा ‘हाँ तुम सही समझे, तुम किसी की बात नहीं मानते थे पर जादू पर विश्वास करके तुमने अपने गुस्से पर काबू कर लिया।’
फिर मामा ने कहा ‘तूमने गुस्सा छोड़ दिया इसलिये मैं तुम्हें इनाम दूँगा।’
नीटू बोला ‘जादू वाला तो नहीं ।’
मामा ने हँस कर कहा ‘नहीं ।’

अलका प्रमोद

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