बाल कहानी : पहली सफ़लता – अलका प्रमोद

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                        पहली सफ़लता

  नमित और रिया स्कूल से घर आये तो मम्मी के दरवाजा खोलते ही नमित बोला ‘‘मम्मी कल 26 जनवरी है, कल मेरे स्कूल में गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा और झंडा फहराया जाएगा ।’’

 मम्मी ने कहा ‘‘अच्छा यह तो ठीक है पर क्या तुम्हारी मैम ने बताया कि गणतंत्र दिवस होता क्या है? ‘‘

नमित ने सोचते हुए कहा ‘‘ हाँ बताया तो था पर मैं भूल गया।’’

रिया बोली  ‘‘हाँ मम्मी मेरी मैम ने बताया था कि गणतंत्र दिवस के दिन वर्ष 1950 में हमारे देश का संविधान बना था।’’

 नमित ने कहा ‘‘ यह संविधान क्या होता है दीदी ? ’’

‘‘इसको तो संविधान भी नहीं पता ’’ रिया ने कहा।

यह सुन कर नमित ने रूठते हुए कहा ‘‘ मम्मी, दीदी हमेशा मुझे चिढ़ाती रहती है। ’’

   मम्मी ने कहा ‘‘रिया, नमित अभी छोटा है,तुम्हे उस चिढ़ाना नहीं चाहिये बल्कि इसके बारे में उसे बताना चाहिये।’’

  रिया ने कहा ‘‘ मेरी मैम ने बताया है कि देश को चलाने के लिये  नियम होते हैें जिन्हें संविधान कहते हैं।’’

‘‘अगर हम नियम न माने तो ?’’ नमित ने पूछा।

मम्मी ने कहा‘ बेटा यदि कोई नियम न माने तो उसको सजा देने का नियम भी है। ’’

‘‘ अच्छा जैसे उस दिन स्कूल के लान में  छिलका फेंकने पर दीदी को सजा मिली थी’’ नमित बोला।

अब रिया की चिढ़ने की बारी थी उसने कहा ‘‘ मम्मी यह छोटा है पर मुझे चिढ़ाता है तब आप इसको कुछ नहीं कहतीं। ’’

मम्मी ने  कहा ‘‘ बच्चों लड़ाई नहीं करते नमित गलती तो किसी से भी हो सकती है उसे चिढ़ाना नहीं चाहिये।’’

    नमित बोला‘सॉरी मम्मा पर एक बात बताइये , 26 जनवरी 1950 के पहले क्या कोई नियम नहीं था?’’ 

मम्मी ने कहा ‘‘ बेटा तब हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था ,हम उनके गुलाम थे और उन्ही के बनाये नियम मानने पड़ते थे।’’

‘‘ अच्छा फिर क्या हुआ’’ रिया ने  उत्सुकता से पूछा।

‘‘ तब हमारे देशवासियों ने उनका विरोध किया ,उनसे कहा कि मेरा देश छोड़ो और वापस अपने देश जाओ ’’मम्मी ने समझाया।

‘‘ अच्छा तब वह चले गये?’’ नमित ने कहा।

‘‘ नहीं बेटा उन्हे भगाना इतना आसान न था उसके लिये हमारे देश के कितने वीरों ने लड़ाई की अपनी जान दी तब जाकर अंग्रेज यहाँ से गये ’’मम्मी ने बताया।

‘‘मम्मी वीरों ने जान क्यों दी ’’ रिया ने दुखी हो कर कहा।

‘‘ बेटी वह  सच्चे देश-भक्त थे अपने देश से प्यार करते थे और अपने देश वासियों को स्वतंत्र देखना चाहते थे। आज उनके कारण ही हम स्वतंत्र हैं नहीं तो  अभी भी गुलाम होते’’ मम्मी ने बताया।

नमित ने प्रभावित हो कर कहा ‘‘ मम्मी मैं भी अपने देश से बहुत प्यार करूंगा। मैं तो बहुत छोटा हूं नहीं तो मैं भी दुश्मन से  लड़ जाता।’’

‘‘इसको तो बस लड़ने का बहाना चाहिये पर इसे यह नहीं पता कि दुश्मनों से बंदूक और बम से लड़ा जाता है ’’रिया ने कहा। 

मम्मी ने समझाया ‘‘ बेटा देश से प्यार करने के लिये केवल दुश्मन से लड़ना ही नहीं होता बल्कि उसके भले के बारे में सोचना भी देशभक्ति है।’’

नमित बोला ‘‘ चलो दीदी आज से हम लोग देश के भले के बारे में सोचें।’’

रिया बोली ‘‘ सोचने से क्या होगा हमें कुछ करना भी तो होगा।’‘

‘‘मम्मी मैं तो बच्चा हूं मैं कैसे भला करूं’’नमित ने पूछा।

‘‘ तुम छोटे हो तो क्या अभी से देश को अच्छा बनाने में तो सहयोग दे ही सकते हो ’’ मम्मी ने कहा।

’’सच मम्मी! बताइये कैसे’’ नमित और रिया एक साथ बोल पड़े।

‘‘तुम नियम मानो, अगर सब लोग नियम से चलेंगे तो देश में गड़बड़ी नहीं होगी और देश विकास करेगा।’’

 रिया ने कहा ‘‘ नमित चलो हम, तुम, शलभ और अंशु मिल कर एक टीम बनायें और सब बच्चों से कहें कि नियम मानें।’’

दोनो बच्चों ने शाम को पार्क में अपने सब दोस्तों के साथ मिल कर तय किया कि वह नियम से चलेंगे और सबसे नियम से चलने को कहेंगे।

अंशु बोला ‘‘पर केवल हमारे मानने से क्या होगा बड़े लोग तो मानते नहीं।’’

शलभ ने कहा ‘‘ वह देखो मानव भैया बिना हेलमेट लगाये स्कूटर से आये हैं चलो उनसे नियम मानने के लिये कहें।’’

चारों बच्चे मानव भैया के पास गये उन्हे देखकर मानव ने पूछा ‘‘ आज यह बच्चा पार्टी हमारे पास क्यों आयी है?’’

उन्हे भैया से कुछ कहने में डर लग रहा था रिया ने डरते-डरते कहा ‘‘ भैया इस गणतंत्र दिवस पर हमने तय किया है कि हम देशभक्त बनेंगे।’’

यह सुन कर मानव हँसते हुए बोले ‘‘ यह तो अच्छी बात है तो अब क्या तुम लोग देशभक्ति के गीत गाओगे?’’

‘नहीं हम देश के भले के लिये नियम मानेंगे’ अंशु ने कहा ।

‘इससे देश का विकास होगा’ नमित ने सुनी हुई बात कह दी।

मानव ने कहा ‘‘ अरे वाह, तुम सब तो बहुत समझदार हो गये यह तो बड़ी अच्छी बात है।’’

‘अच्छी बात है तो भैया आपको भी माननी चाहिये ,हेलमेट लगाना चाहिये’शलभ ने डरते-डरते कहा।

मानव को अपनी गलती का अहसास हुआ उन्हांेने कहा ‘‘ ओह अब समझ में आया सॉरी, मैं अब हेलमेट जरूर लगाऊँगा ।’’

बच्चे यह सुन कर अपनी पहली सफलता पर खुश हो गये।

लेखिका अलका प्रमोद

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