कवि और कविता : कवयित्री रेवा अग्रवाल
धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा प्यारा है नाम रघुनंदन धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा...
धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा प्यारा है नाम रघुनंदन धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा...
तुम बोलो तो होती जो उलझन है तुमको, बोलो तो मैं सब सुलझाऊं। शब्द मेरे चुभते हैं तुमको, बोलो तो...
बिन तेरे मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...
चाहत सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...
प्रेम सब कहते हैं ये प्रेम नहीं है जो मुझे उस अज्ञात प्रियतम से है कैसे बताऊं उन्हें वो...
असीर-ए-ज़िंदगी ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में ही क़ैद होकर रह गई ख़्वाहिशें समझौतों के कंधे पर बोझ हो गईं लड़कपन जवानी...
रेशीम गाठ!! हे बंध तुझे - माझे.... असे नाही सुटायचे नाते अपुल्या मधले.... कधी नाही तुटायचे ही आहे रेशीम...
तुम आओ ना हूं खड़ी बेजान बुत सी, तुम जान बन के आओ ना। हूं अनुत्तरित प्रश्नावली मैं, तुम...
सर झुका देते हैं जब हम वक़्त के इसरार पे सर झुका देते हैं जब हम वक़्त के इसरार पे...