मेरा भारत – विधि प्रवीण जैन
मेरा भारत फिर भारत बन रहा है, जगद्गुरु बन अखिल विश्व में चमक रहा है, मेरा भारत फिर भारत बन...
मेरा भारत फिर भारत बन रहा है, जगद्गुरु बन अखिल विश्व में चमक रहा है, मेरा भारत फिर भारत बन...
तुम बोलो तो होती जो उलझन है तुमको, बोलो तो मैं सब सुलझाऊं। शब्द मेरे चुभते हैं तुमको, बोलो तो...
वापसी चटाख ...ज़ोर की आवाज़ थी, लगता है शीशा टूटा था, या शायद कुछ और हो. शीशा कहाँ टूटा होगा,...
इधर उधरअब फिरो ना कुछ दिन घर में रहो ना बुरी नज़र लग जाएगी घूम रहा है कोरोना थोड़ी सी...
हास्य - व्यंग ननकू की होली चारों ओर होली की मस्ती है। सब एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं...
फागुन की मधुरितु आई फागुन की मधुरितु आई रंगों की बहार लाई सखी री होली आई - सखी री होली...
जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां सुब्ह की धूप पे जमने लगी...
स्वप्रश्नावली हूं किसी अहंकार में या, किसी प्रतिकार में हूं? हूं किसी घमंड में या, फिर किसी दंभ में...
चाहत सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...
पानी पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...