मेरा भारत – विधि प्रवीण जैन

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मेरा भारत फिर भारत बन रहा है,
जगद्गुरु बन अखिल विश्व में चमक रहा है,
मेरा भारत फिर भारत बन रहा है…

पैदल चलचलकर हम स्वस्थ रहते थे,
हवाई जहाजों का दौर थम गया है,

जीवन हमारा अब राममय हो रहा है,
छल भरे नाटकों का दौर थम गया है,

नमस्कार कर आदर करना अंग बन गया है,
हाथ मिलाकर दूसरे को नापना बंद हो गया है,

भौतिकता के लिये हम भाग दौड़ कर रहे थे,
अब आध्यात्मिकता का दौर शुरु हो गया है,

कल तक जो मां तड़फ रहीं थी, घुट रहीं थी,
मां गंगा फिर निर्मल, जंगल मंगल हो गया है,

कल तक जो ढंका था जो खुप्प अंधेरों में,
आज आसमान स्वच्छ निर्मल हो गया है…

कल तक नग्नता का दौर चल पड़ा था,
आज सब कुछ घरों के पर्दों में ढंक गया है,

मेरा भारत फिर भारत बन रहा है…
जगतगुरु बन अखिल विश्व में चमक रहा है..

मेरा भारत फिर भारत बन रहा है,
जगद्गुरु बन अखिल विश्व में चमक रहा है,
मेरा भारत फिर भारत बन रहा है…

जानी मानी कवियित्री और रेडियो जॉकी विधि प्रवीण जैन

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