निकला करता है रातों में ख़्वाब बेचने सौदागर – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

4

निकला करता है रातों में  ख़्वाब बेचने सौदागर

निकला करता है रातों में  ख़्वाब बेचने सौदागर
झोली में भर कर के तारे चाँद भटकता है दर दर

जिसको चाहे शोहरत दे दे, जिसको चाहे रुसवाई
खेल अजब ही रोज़ दिखाता, ऊपर बैठा जादूगर

ख़ुद ही बनाये ख़ुद मिटाए रोज़ खिलौने माटी के
जाने कब आसूदा होगा अपने हुनर से कुजागर

जीत उसी की हार उसी की, दोनों तरफ से चाल उसी की
कौन मुकाबिल उसके आये ,सब से बड़ा वो बाज़ीगर

मत्ले में आगज़े ज़िंदगी और मक्ते में मौत लिखे
हर इक सांस ग़ज़ल का मिसरा, लिखता रहता वो शायर

 

जानी मानी शायरा – कवियित्री  ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

संक्षिप्त परिचय :- 

मध्य प्रदेश के जावालि ऋषि नगरी जबलपुर में २८ अक्टूबर १९६२ को जन्मीं ज्योति किरण सिन्हा के पिता स्वर्गीय श्री विशम्भर नाथ श्रीवास्तव स्वयं एक कुशल निबंधकार और पत्रकार थे। जबलपुर के होम साइंस कॉलेज से पढ़ीं लेखिका विद्यार्थी जीवन से ही सामाजिक, सांस्कृतिक, खेलकूद की गतिविधियों से सलंग्न हैं और अनेक पुरूस्कार प्राप्त किये।

विवाहोपरांत लखनऊ की गंगा जमुनी तहज़ीब से प्रभावित हो हिंदी उर्दू काव्य लेखन प्रारम्भ किया। गीत ग़ज़लों के दो काव्य संकलन “अनकहे एहसास ” और धड़कनों के नक़्शे पा प्रकाशित हो चुके हैं . .

बहु आयामी व्यक्तित्व की लेखिका पिछले तीन दशकों से कई सामाजिक ,सांस्कृतिक और साहित्यक संस्थाओं से जुडी हैं और साहित्य कला संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए अनेकों कार्यशालएं और कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। विभिन्न समसामयिक विषयों पर आधारित काव्यात्मक नृत्य नाटिकाओं का लेखन और मंचन किया जिनमें अस्मिता , दास्ताने -दिल , ‘पावन धरती -निर्मल गंगा” प्रमुख हैं . आकाशवाणी, दूरदर्शन लखनऊ , N DTV ,इंडिया टी वी , ETV बी बी सी ,सनराइज रेडियो ( UK ) से कवितायें ,कहानियां और कई इंटरव्यू प्रसारित हो चुके हैं. .कई सम्मानों के साथ अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन देश विदेश में कई कविसम्मेलनों,मुशायरों में सफल काव्य पाठन। लेखन स्वान्ताय सुखाय हेतु।


  • पढ़ने के बाद Post के बारे में Comment अवश्य लिखिए .

विशेष :- यदि आपने website को subscribe नहीं किया है तो, कृपया अभी free subscribe करें; जिससे आप हमेशा हमसे जुड़े रहें. ..धन्यवाद.

4 thoughts on “निकला करता है रातों में ख़्वाब बेचने सौदागर – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

  1. बेहद खूबसूरत रचना वाह..
    “जीत उसी की हार उसी की
    दोनों तरफ से चाल उसी की”
    गजब..

    1. दिव्या जी रचना को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।दूसरी रचनाएं भी अवश्य पढ़ें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *