जले जब पांव अपने तब कहीं जाकर समझ आया – डॉ अनिल त्रिपाठी
ग़ज़ल जले जब पांव अपने तब कहीं जाकर समझ आया जले जब पांव अपने तब कहीं जाकर समझ आया घने ...
ग़ज़ल जले जब पांव अपने तब कहीं जाकर समझ आया जले जब पांव अपने तब कहीं जाकर समझ आया घने ...
जड़ें गावों में थीं लेकिन शहर में आबोदाना था जड़ें गावों में थीं लेकिन शहर में आबोदाना था उन्ही कच्चे...
खुशी के ताप से संताप भगाएं थोड़ा मुस्कुराएं ओह आंसू से आंसू मिलाए जा रहे हैं ग़म है इतना खुद...
धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा प्यारा है नाम रघुनंदन धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा...
कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी संपन्न काव्य सृजन महिला मंच के तत्वावधान में और टेन न्यूज़...
घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने गीत संख्या - 80 नाम जपो हरि ओम...
घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने गीत संख्या - 79 ये दिन हैं ख़ुशी...
घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने गीत संख्या - 78 कैसे दिल को मना...
घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने गीत संख्या - 77 कोरोनवा के मारे मिटी...
घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने गीत संख्या - 76 नाही पड़े मोहे चैन...