चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें – अशोक हमराही

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चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें

चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें
तेरे होठों की तरह शोख़ शराबी कर लें

कभी तो दिल की इबारत को पढ़ेगा कोई
अपने चेहरे को ज़रा और किताबी कर लें

बाद रुख़सत तेरी यादों से बहल जाऊँगा
पास बैठो तुझे अब देेखके तो जी भर लें

गए सालों की तरह ये बरस भी बीत चला
चंद लम्हे चलो अब ख़ुद के नाम भी कर लें


– शायर अशोक हमराही

4 thoughts on “चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें – अशोक हमराही

  1. KABHIE TOH DIL KI IBBRAT KO PADHEGA KOI,
    APNE CHEHRE KO ZARA AUR KITAABI KARLE………

    Sigh!!!!!!!!!!!!!!!!!! bahut hi lajawaab likha hai Ashok ji

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