गणतंत्र दिवस है अमर कहानी – अशोक हमराही
गणतंत्र दिवस गीत
गणतंत्र दिवस है अमर कहानी स्वर्णिम हिंदुस्तान की,
आज़ादी के दीवानों के साहस त्याग महान की …
जिसके लिए शहीद हुए हैं, हर मजहब के सेनानी,
हंस-हंस कर गोली खाई है, हंसकर दी हर क़ुर्बानी,
चुने गये मासूम सपन जिसकी ख़ातिर दीवारों में,
शूली चूमी पिया विष कभी, लेकिन हार नहीं मानी,
आन-बान मर्याादा ख़ातिर बाज़ी खेली प्राण की,
गणतंत्र दिवस है अमर कहानी स्वर्णिम हिंदुस्तान की …
सत्य, अहिंसा और प्रेम का गूंज रहा जय नारा है,
शांति और सुख के सपनों ने आकर इसे संवारा है,
न्याय और समता अखंडता जिसकी प्राणों से प्यारी,
इसकी रक्षा करना सबसे पहला धर्म हमारा है,
देश प्रेम का पाठ पढ़ाती गाथा ये ईमान की,
गणतंत्र दिवस है अमर कहानी स्वर्णिम हिंदुस्तान की …
गीता का उपदेश यही है, यही वेद की वाणी है,
युग-युग से दोहराई जाती, इसकी कथा पुरानी है,
रामायण ने इसी प्रेरणा का आदर्श बखाना है,
कई बार इसकी ख़ातिर बैरागन हुई जवानी है
इस धरती के कण-कण में हैं गाथाएं बलिदान की,
गणतंत्र दिवस है अमर कहानी स्वर्णिम हिंदुस्तान की …