बसंत

 

उसकी दुधिया हँसी
और फेनिल बातों में
छिपी है बसंत की
मीठी गुनगुनाहट
उसकी प्यारी गदबदी
उपस्थिति ने रंग डाले
लाल सारे पलाश
पहना दिए विटपों को
झबले फूलों के
उसकी कोमल हथेलियों में
बसंत ने रचा भविष्य
पतझड़ की छाती पर
रखकर पैर
कभी चुपके से
कभी खुलकर
उसके आँगन में
उतर आता है
अनगिन बसंत
खोल डालता है
अपने राज
राग और विराग
बासंती हवा जब – जब
कर डालती है
उसके कपोलों को
लाल गुलनार
तब-तब मौसम की
इस मेहरबानी का
कायल होना ही पड़ता है
मुझे, हमें, तुम्हें, उन्हें।

 

कवियित्री  अनिता रश्मि

परिचय :

पहला लघु उपन्यास 19 – 20 की उम्र में
पहली रचना नवतारा ( संपादक – भारत यायावर) में छपी।
स्थानीय अखबारों, पत्रिकाओं के साथ राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं हंस, ज्ञानोदय, जनसत्ता, समकालीन भारतीय साहित्य, कथाक्रम, वागर्थ , वर्तमान साहित्य आदि में कहानियों का प्रकाशन।
वेब पत्रिकाओं में भी विविधवर्णी रचनाएँ प्रकाशित।

प्रकाशित कृतियाँ

उपन्यास – गुलमोहर के नीचे… पुकारती जमीं ( सामयिक प्रकाशन से )

कहानी संग्रह – उम्र – दर- उम्र, लाल छप्पा साड़ी , बाँसुरी की चीख, संन्यासी ( राज पब्लिशिंग हाउस का सहयोगी पूनम प्रकाशन से )

यात्रा वृत्तान्त – ईश्वर की तूलिका

कविता संग्रह – जिन्दा रहेंगी कविताएँ ।

साहित्य अकादमी से ऋता शुक्ल के संपादन में प्रकाशित साझा संकलन में एक कहानी ।

कहानियों का मलयालम, तेलुगु में अनुवाद ।

प्रमुख पुरस्कार / सम्मान –
‘ पुकारती जमीं ‘ उपन्यास को नवलेखन पुरस्कार ( राजभाषा विभाग, बिहार सरकार)
प्रथम साहित्य गौरव सम्मान, (स्पेनिन, राँची )
तृतीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान
रामकृष्ण त्यागी कथा सम्मान ( सर्व भाषा ट्रस्ट ) 2020 में।

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संपर्क – सी 1, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, पूर्णिमा काॅम्पलेक्स के पास, कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड
ई मेल – anitarashmi2@gmail.com

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