फागुन की मधुरितु आई – अशोक हमराही
फागुन की मधुरितु आई
फागुन की मधुरितु आई
रंगों की बहार लाई
सखी री होली आई – सखी री होली आई – सखी री होली आई
फागुन की मधुरितु आई
ख़ुशियों के फूल खिले घर आंगन
बसंती बयार चले मनभावन
होठों पे गीतों का मौसम ले
होली का आया ये दिन पावन
सखी री होली आई – सखी री होली आई – सखी री होली आई
फागुन की मधुरितु आई
कहीं बाजे ढोल कहीं बाजे मृदंग
ढपली की तान पर सब हैं मगन
हंस हंस के आज सभी मिलते गले
झूम रही धरती और झूमें गगन
सखी री होली आई – सखी री होली आई – सखी री होली आई
फागुन की मधुरितु आई
महक महक गई मेरे मन की उमंग
सांवरे ने डाला सखी कैसा ये रंग
लाज भरी आंखों में सपने जगे
भीगा मन भीगा तन भीगा अंग अंग
सखी री होली आई – सखी री होली आई – सखी री होली आई
फागुन की मधुरितु आई
- गीतकार अशोक हमराही
सुंदर 💐💐