बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – अलका प्रमोद
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
आरव के स्कूल में छुट्टियाँ हो गयीं ।वह बहुत खुश था ए उसने कह दिया था कि अब वह खूब देर तक सोएगाए वीडियो गेम खेलेगा और आराम करेगा। आरव को आराम बहुत अच्छा लगता था ।उसे तो नहाना और खाने के लिये मेज तक जाना भी बुरा लगता था।
मम्मी जब खाने के लिये बुलातीं तो कहता ‘मम्मी प्लीज मुझे बिस्तर पर ही खाना दे दीजिये ।’ मम्मी उसे समझातीं पर आरव को समझ न आता।
एक दिन उसका दोस्त ईशान उससे मिलने आया।आरव उसके साथ अपने कमरे में वीडियो गेम खेलता रहा।ईशान ने कहा ‘चलो बाहर बॉल खेलें ‘
आरव ने कहा ‘अरे बॉल खेलने में कितना दौड़ना पड़ता है मुझे नहीं खेलना ।’
ईशान ने कहा ‘मुझे तो दौड़ने में बहुत मज़ा आता है।मैं तो रोज अपने पापा के साथ सवेरे.सवेरे बाल खेलने जाता हूँ ।’
आरव बोला ‘हुंह इसका मतलब है तुमको छुट्टी का मतलब ही नही पता।अगर छुट्टी में भी सुबह उठें तो छुट्टी का क्या फायदा।पहली बात तो आराम से वीडियो गेम खेलो।मान लो बॉल खेलना ही है तो सुबह क्यों उठें छुट्टी के दिन हैं दिन में ही खेलो । ‘
ईशान ने कहा ‘ सुबह ठंडी हवा में खेलने में बहुत अच्छा लगता है।’
आरव ने अपनी समझदारी दिखाते हुए कहाष् अरे तुम तो बिल्कुल बुद्धू हो, ठंडी हवा चाहिये तो एसी कमरे में खेलो ‘।
ईशान को बुद्धू सुन कर गुस्सा आ गया ‘तुम नही समझ सकते कितना मज़ा आता है पार्क में, बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद’ और वह रूठ कर चला गया।
तभी मम्मी उन दोनो के लिये सेब ले कर आईं ।पर ईशान तो जा चुका था मम्मी ने कहा ‘ईशान कहाँ चला गया, तुमने उसे रोका क्यों नहीए कम से कम उसे कुछ खिला तो देते।’
‘मुझे नहीं बोलना उससे एमुझे वह बिल्कुल पसंद नहीं है ‘आरव ने मुँह बना कर कहा।
मम्मी ने कहा ‘लगता है तुम दोनों की लड़ाई हो गयीए पर बात क्या हो गयीघ्ष्
ष्मम्मी उसने मुझे बन्दर कहा’ आरव ने नाराज़ होते हुए कहा।
मम्मी ने कहा ‘ अरे ऐसी क्या बात हो गयी जो उसने तुम्हे बन्दर कहा।’
आरव ने पूरी बात बताई ।मम्मी सुन कर हँसने लगींए यह देख कर आरव रुँआसा हो गया। उसने कहा ‘मम्मी आप मेरी मम्मी हैं तब भी उसके मुझे बन्दर कहने पर हँस रही हैं ए मैं आप से भी नहीं बोलूंगा ।’
तब मम्मी ने आरव को प्यार किया और समझाया ‘बेटा ईशान ने मुहावरा बोला थाए इसका मतलब है कि तुमने जो किया ही नही उसमें कितना मज़ा आता है तुम्हे कैसे पता चलेगा।’
यह सुन कर आरव का गुस्सा कुछ कम हुआए उसने मम्मी से पूछाष्मम्मी क्या सच में सवेरे बहुत अच्छा लगता है ।’
मम्मी ने कहा ष् अरे एक दिन सुबह उठ कर देख लो एपता चल जाएगा ।’
आरव के लिये सुबह उठना बहुत मुश्किल है पर जब से ईशान ने कह दिया कि बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद तो आरव को एक बार सुबह की ठंडी हवा में पार्क जाने का मन होने लगाएउसने मम्मी से कहा ‘मम्मी मुझे कल सवेरे उठा दीजियेगा।’
यह सुन कर मम्मी खुश हो गयीं, उन्होंने अगले दिन आरव को सवेरे.सवेरे उठा दिया।आरव जब तैयार हो कर पार्क पहुँचा तो वहाँ कई दोस्त थे। पहले तो वह बैठा रहा पर धीरे.धीरे वह खुद भी खेलने लगा ।उसे सच में मज़ा आने लगा ।
जब वह लौटकर घर आया तो मम्मी के गले लग कर बोला ‘मम्मी मुझे आज समझ आ गया कि सुबह बॉल खेलने में बहुत मज़ा आयाएअब मैं रोज जाऊँगा ।’
मम्मी ने उसे प्यार करते हुए कहा ‘अरे वाह लगता है आज मेरे बन्दर को अदरक का स्वाद पता चल गया।’
आरव हँसने लगा क्योंकि वह जानता है कि मम्मी उसे बन्दर नहीं कह रही हैंएवह तो मुहावरा बोल रही हैं ।