घर पर रहें : घर पर सुनें : हर दिन नए गाने

गीत संख्या – 52

ज़िन्दगी कुछ कुछ समझने अब लगे हैं

ज़िन्दगी कुछ कुछ समझने अब लगे हैं

आज पहली बार जब ख़ुद से मिले हैं

महफिलों की भीड़ में खोए हुए थे

ढूंढने की कोशिशों में अब लगे हैं

शोहरतों ने दी हमें पहचान लेकिन

सच कहूं इनसे गले हम अब मिले हैं

भागते फिरते रहे लेकर मुखौटे

आइने से बात अब करने लगे हैं

  • गीतकार – अशोक हमराही

Ghar Par Rahen Ghar Par Sunen Song 52 Yun zindagi ko kuchh kuchh samajhne lage hain hum Singer – Swati Rizvi Lyrics : Ashok Hamrahi Music : Kewal Kumar

संगीत जगत में स्वाति रिज़वी का नाम सभी के लिए जाना पहचाना है। उन्होंने संगीत का प्रारंभिक ज्ञान अपने माता पिता से प्राप्त किया। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अफ़ज़ल हुसैन निज़ामी से और ग़ज़ल गायकी उन्होंने उस्ताद युनूस मलिक और उस्ताद याकूब खां से सीखी। आकाशवाणी और दूरदर्शन सहित अनेक सांस्कृतिक आयोजनों, महोत्सवों आदि में उन्होंने कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। गीत, ग़ज़ल, नज़्म, नोहें, नतिया, सूफियाना आदि संगीत की सभी विधाओं में उन्हें महारत हासिल है।



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