जा रे कोरोना कहीं और जा के रहिए : गायिका – रत्ना चटर्जी
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गीत संख्या – 71
जा रे कोरोना कहीं और जा के रहिए
जा रे कोरोना कहीं और जा के रहिए
अब दुनिया से बाहर निकरिए
एक तौ बुलाए बिना तुम चले आए हो
उस पर सताए बिना बाज नहीं आए हो
जा रे कोरोना अब हमका तो माफ़ ही करिए
अब दुनिया से बाहर निकरिए
जा रे कोरोना कहीं और जा के रहिए
अब दुनिया से बाहर निकरिए
तुम तो कोरोना बड़े ढीठ बेशरम हो
जहां जहां गए वहीं ढाए सितम हो
लौट के आना नहीं कहीं जा के मरिये
अब दुनिया से बाहर निकरिए
जा रे कोरोना कहीं और जा के रहिए
अब दुनिया से बाहर निकरिए
- गीतकार – अशोक हमराही
Ghar Par Rahen Ghar Par Sunen Song 71 Ja re corona kahin aur ja ke rahiye Singer – Ratna Chatterjee Lyricist : Ashok Hamrahi Music Director : Kewal Kumar
आचार्य जयंत बोस की शिष्या रत्ना चटर्जी ने शास्त्रीय संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा श्रीमती अरुणा बासु और विदुषी गोपा कांजिलाल से प्राप्त की । रत्ना चटर्जी ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता से शास्त्रीय संगीत में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। इन्होंने सुगम संगीत की शिक्षा लखनऊ में भातखंडे विश्वविद्यालय से श्री केवल कुमार से प्राप्त की। गायक – संगीतकार केवल कुमार के संगीत निर्देशन में इन्होंने विभिन्न स्थानों पर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। रत्ना चटर्जी का गाया ये गीत आपको अवश्य पसंद आयेगा…. सुनिए … Like करिए…… Share करिए …..और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।