कहानी : बात में लॉजिक है!-अलका प्रमोद
बात में लॉजिक है!
नीला: आइये मिसेज भल्ला मै अकेली बैठी इंतजार कर रही थी कि कोई तो आये।
मिसेज भल्ला: अरे क्या बताउं ब्यूटा पार्लर में इतनी भीड़ थी ,मेरा नम्बर ही नही आ रहा था ,आखिर में मुझे कहना पड़ा कि पहले मेरा मेकअप कर दो नही तो मैं जा रही हूं तब जा कर उसने मेरा आउट आफ दी टर्न मेकअप किया तब आ पाई ।
मिसेज भल्ला: वैसे तुम्हारी साड़ी बहुत सुन्दर है नई है न ?
नीलाः हां मेरे हसबैंड ने गिफट दी है ,साड़ी सेन्टर की है।ं मुझे तो वहीं की साड़ियां पसन्द आती हैे।
मिसेज भल्ला: मैें तो केवल बुटीक से साड़ी लेती हूं कम से कम से भरोसा होता है कि वैसी को ई दूसरी नही होगी ।
……लो रष्मि भी आ गई ।(धीेरे से:देखो जरा कितनी बुरी चायस है इसकी कितने लाउड कलर्स पहनती है )
नीला: और समझती है कि उससे स्मार्ट कोई नही हुंै
रष्मिः क्या बातें हा रही हैं भाई ,
नीला: बस तुम्हारी बात कर रहे थे कि कितनी अच्छी लग रही हेा
रष्मिः (इतराते हुये) थैंक्स।
रष्मिः लो कांता और मीना भी आ गईं ।
कांता: हैलो एवरी बडी ,क्या बात है मिसेज भल्ला साड़ी तो बड़ी युनीक लग रही है नीला:वही तो मै कह रही थी आखिर बुटीक से ली है न
मीना: क्या यार तुम लोग हमेषा कपड़ों ज्यूलरी की बातें करती हो ंहम महिला कल्याण समिति की मीटिंग मे आये हैं ।
कांताः इसी लिये तो महिला कल्याण की बातें कर रहे हैं ।
(समवेत हंसी का स्वर)
मीना: लो अंपनी अध्यक्षा सुनंदा जी भी आ गई।
स्ुानंदाः सॅारी बहनो क्या करूं मुझे देर हो गई।
कंता: को ई परेषानी क्या?
स्ुानंदाःअरे मेरी काम वाली बाई ने परेषान कर रखा है रोज बीमारी का बहाना,इस महीनेे वो चार दिन नही आई आज मैंने उसके पैसे काट कर निकाल दिया। पीछे पड़ी थी कि पूरे पैसे दे दो।
नीला: अरे ये लोग ऐसे ही बहाने करती हें ।
मीनाः(फुसफसाहट) ये बोली सुनंदा जी की चमची
रष्मिः इस बार समिति की मंत्री बनना चाहती है न ।
सुनंदा: अभी मीडिया वाले नही आये मैने तो उन्हे चार आज का समय दिया था ।
कांता::(फुसफसा कर) उनकी भी काम वाली परेषान कर रही होगी।ेः
(दबी दबी हंसी)
रष्मिः लो आ गया मीडिया।े
सुनंदाःहां तो बहनो कृपया ष्ंाांत हो जाइये ,आज हमारी महिला कल्याण समिति की विषेश बैठक है । आज हमें महिलाओं के प्रति होने वाले अन्याय के बारे में सोचना है । और उनके कल्याण के बारे में कुछ ठोस निर्णय लेने हैें ।
सच तो यह है कि आज भी महिलाओं की समाज में कोई अच्छी स्थिति नही है ।आज भी उनहे दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। समाज भूल जाता है कि उनका बराबरी का हक है ं े।
मिसेज भल्लाः मैं तो कहती हूं कि हमें आंदोलन करना चाहिये।
नीलाः हम पुरूशों की मनमनानी नही ाहेंगे।
नारी एकता जिंदाबाद।
सुनंदाः बहनों कृपया षांत हो जाइये हमें जोष से नही होष से काम लेना है ।
आजे हम अपनी समिति की सदस्आओं से अनुरोध करते हैं कि हमे कुछ बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयास करना होगा
पहला बिंदु तो यह है कि दहेज प्रथा हमारे समाज में बीमारी की तरह फैली है इसके चलते न जाने कितनी बेटियों कुवारी रह जाती हैं कितनी दहेज न ला नाले के कारण जला दी जाती हें । (तालियां)
सुनंदा: धन्यवाद
मिसेज भल्ला: (धीरे से )मीना तुम्हे याद है पिछली मीटिंग में भी सुनंदा जी ने यही साड़ी पहनी थी ।
मीना:ः मिसेज भल्ला धीरे बोलिये आगे उनकी चमची नीला बैठी है ।
सुनंदा: कृप्या आप लोग आपस में बात न करें ।
….और दूसरी समस्या है कि हम दिन भर घर में काम करते हें पर हमें उसका कोई पारिश्रमिक नही मिलता ।
हम उसके लिये भी आवाज उठांएगे। े
तालियां बजती हैं ।
सभी समाप्त …….
कांता: सुनंदा जी में बहुत दिनों से आप से कुछ कहना चाह रही थी
सुनंदा: अरे तो कहिये न हमस ब तो एक परिवार है आपस में हिचक कैसी ।
कांता: आज आप का दहेज दन्मूलन पर भाशण सुन कर मेरा साहस बढ़ गया ।मेरी बेटी मान्या ने इसी वर्श इंजीनियरिग पूरी की है सुदर भी है पर मेरी पूरी जमर पूंजी उसकीे पढ़ाई में खर्च हो गयी अतः मैं दहेज नही दे सकती ।
सुनंदा: अरे इतनी लायक बेटी के लिये तो कोई भी लड़का मान जाएगा । दहेज का तो प्रष्न ही नही उठता ।
कांता (उत्साहित हो कर )वही तो मैं सोच रही थी कि आपके बेटे सुमित और मेरी बेटी मान्या का विवाह हो जाये तो कैसा रहेगा ?
सुनंदा (धीमी आवाज में )हां क्यो नही बताइयेगा और बताइये आपने पेपर में मेरा लेख पढ़ा?
दूसरा दृष्य
सुनंदा जी: हद होती है कांता का तो दिमाग ही खराब हो गया है हिम्मत देखो मेरे हीरे जैसे बेटे को मुफ्त में हथियाना चाहती हें ।
पति: अरे क्या हो गया भाई !
सुनंदा: अरे होना क्या है ,कांता आज की रही थी कि अपने बेअे से मेरी बेटी की षादी कर दो ।
पतिः ये तो अच्छी बात है न तुम्हारा तो नाम हो जाएगा पेपरों में फोटो आ जाएगी ।और तुम्हे क्या चाहिये?मैं तो कहता हूं इतना अच्छा मैोका चूको मत।
सुनंदा देखिये आप अपनी नेक राय अपने पास रखिये।एक तो मेरा बेटा है वो भी इतना लायक अरे उसकी षादी किसी इन्फ्लुएन्षियल बाप की बेटी से करेंगे । सोसायटी में एक पोजीषन बनेगी और दहेज तो बिना मांगे ही वो अपनी बेटी को इतना देंगे ।कहने को होगा कि मांगा नही।
पतिःः सुनंदा तुम्हारा भी जवाब नही एक तीर से दो निषाने।
सुमितः: ममा वैसे कांता आंटी के ेटी सुना है बहुत संदर है ।
सुनंदा: खबरदार उसका नाम भी मत लेना।फकीर कहीं के ।
तीसरा दृष्य
रिया:सुमित अब तो तो तुम्हारी जाब कन्फर्म हो गयी मेरी पढ़ाई भी पूरी हो गई सेटल होने के बारे में सोचना चाहियें ।
सुमित हा अभी कल ही मेरे घर में मेरी षादी की बात उठी थी ।
रिया: तो तुमने मेरे बारे में बात की क्या?
सुमित: अरे नही ,वहां तो मामला ही उलटा था ।
रिया: मतलब।
सुमितः अरे मेरी मम्मा तो कोई हाई प्रेाफाइल बाप की बेटी ढूंढ रही हैें ।
रिया:और तुम ?
सुमित: देखो पहुच वाले ससुर महंगी गाड़ी बढ़िया घर किसे बुरा लगता है ।
रिया आक्रोष में: तो ठीक है करो हाई प्रोफाइल के बाप की ब टी से षादी मेुरे लिये लड़कों की कमी नही है । पर तुम्हे मुझे अंधेरे मे नही रखना चाहिये था ं ।
सुमित: अरे अरे कहां चल दी,तुम मजाक भी नही समझती। तुमने मुझे इतना ही जाना है ?
रिया: पैसे के आगे अच्छेां अच्छों का ईमान बिगड़ जाता है ।
सुमित: पर तुम्हारा सुमित उन अच्छों अच्छों से उपर है ।
रिया (भावुक हो कर )सुमित मैं तुम्हारे बिना नही रह पाउंगी।
सुमित: तो मेंै ही कौन तुमसे दूर रह पाउंगा।… मैं साम दाम दंड किसी न किसी तरीके से मम्मा को मनाउंगा और नही मानी तो हम बालिग हैं अपने पैरों पर खड़े हेंै विवाह कर लेगें ं।
रिया: मैें ऐसे षादी नही करूगी।
सुमितः तो हम कुवारे रहेंगे ,धरना देंगे नही तो साथ जियेंगे साथ मरेंगें।
रिया: हर बात में मजाक मत करेंा ।
सुमित (गंभीर हो कर) में तो तुम्हे छेड़ रहा था । पर सच तो यह है कि मैं स्वयं भी सोच रहा हूं कि क्या करा जाय। मैं मम्मा के विरूद्ध जा कर ऐसे षादी करना भी नही चाहता। कल की बात से मुझे समझ में आ गया है कि मम्मा का सपना कुछ और है और वो आसानी से मानने वाली नही हेंै ।
रिया: तो क्या रिेगे?
सुमितः रिया मेरे मन में एक प्लान आया है ।
रिया:क्या?
सुमितःकयों न हमम मम्मा से कह दें कि हमें दहेज मिला है ।
रिया: मतलब?
सुमित: देखो वो खुले आम तो दहेज लेंगी नही हम कह देंगे कि उन्होने हमारे बैंक में पैसा जमा करा दिया है बाद में जो होगा देखा जाएगा ।हां इसके लिये तुम्हे अपने पापा को मनाना होगा ।
रिया: इतना बडा झूठ कैसे बोल सकते हो? मेरे पापा कभी तैयार नही होंगें।
सुमितः चलो हम देखते हें कैसे करना है पर यह तो तय है कि हमे झूठ का सहारा लेना पडें़गा ।
रियाः हमें समझ नही आ रहा है तुम्हारा प्लान।
सुमित: बस देखते जाओं ।
रियाः:और जब तुम्हारी मम्मा को पता चलेगा तब क्या होगा ।
सुमितः हां तब तुम्हे मेरा साथ देना होगा ?हो सकता है मम्मा की नाराजगी भी झेलनी पड़े पर मुझे विष्वास है कि अपनी सार्वजनिक छवि और मेरे प्यार के कारण उन्हे मानना ही पडे़गा।
रिया: ओ माई गाड आठ बज गये अब में चलती हूं ।बाय सी यू।
चैथा दृष्य
सुनंदा:बेटा सुमित देखो चन्द्रा जी ने अपनी बेटी का प्रपोजन तुम्हारे लिये भेजा है । बायोडेटा और फोटो देख लो ।
सुमित: वो छोड़ो लड़की का क्या करना है मम्मा ये बताओं चन्द्रा जी कितने करोड़ की बोली लगा रहे हेंैं।
सुनंदाः क्या बेवकूफी की बात कर रहे हो ।
सुमितःमम्मा तुम जानती हो कि दहेज लेना देना अपराध है ।
सुनंदाः कानून तो बहुत से हेंै। पर मैंने कितना खर्च करके मेहनत से तुम्हे बनाया और अब ऐसे ही किसी की बेटी को सौंप दे?
सुमित:अच्छा छोड़ों सब। मम्मा ये बताओं अगर कोई लड़की सुन्दर भी हो और दहेज भी मिले तो तुम षादी कर लोगी ।
सुनंदाः ‘‘क्या कोई तुम्हारी नजर में है ‘‘?
सुमित उनकी व्यग्रता का मजा लेते हुए धीरे से: है तो
सुनंदाः तो अब तक चुप क्यो बैठा था
फिर धीरे से : पर बेटा दहेज की बात संभल कर करना किसी को पता नही चलना चाहिये ।
सुमितः मां मैं आप का बेटा हूं आप हां कर दें मैं अपने लेवेल पर डील कर लूंगा। कुछ रुक कर:बात यह है कि वो भी दहेज की बात बताने में विश्वास नही करते,इस लिये सब कुछ सादे ढंग से हो जाएगा और पैसा मेरे अकाउंट में आ जाएगा।
सुनंदाः अर े वाह तब तो सबके सामने मेरा नाम हो जाएगा । कितने तक की बात तय की है ?
सुमितः पचास लाख तो पक्का समझो
सुनंदा खुशी से: पचा……स ला…ख
सुमितः मम्मा धीरे बोलिये दीवारों के भी कान होते हैं ,तो कल मिलवाऊं रिया से ?
सुनंदाः हुम्म तो रिया नाम है उसका(फिर सुमित को धीरे से चपत मारते हुए )तू तो बड़ा छिपा रुस्तम निकला
स्ुानंदा जी विकास जी से: आप की क्या राय है ?
विकास निर्लिप्त भाव से : बात में लाजिक है,पर सोच समझ लेना
स्ुानंदा जी ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।
पांचवां दृश्य
समारोह हो रहा है जिसमें सब सुनंदा जी प्रशंसा कर रहे हैं।
नीला: सुनंदा जी आपने जो कहा करके दिखा दिया आप उनमें से नही हैं जिनके खाने के दांत दूसरे होते है और दिखाने के दूसरे ,आप कितनी महान हैं
स्ुानंदा जी (विनम्रता से दोहरे होते हुए)ः अरे नही मैं महान वहान नही हूं बस अपने को समाज सेवा के लिये समर्पित कर के आत्मिक सुख मिलता है मुझे
तभी सुमित आता है: मम्मा मीडिया वाले आये हैं आपसे मिलना चाहते हैं ।
सुनंदा प्रसन्नता से: अरे मीडिया को किसने बुला लिया?
सुमितः मम्मा फूलों की सुगंध स्वयं ही फैलती है
स्ुानंदा ( धीरे से सुमित के कान )ः देखो किसी को असलियत की कानों कान खबर न हो।
सुमितः चिल मम्मा( सुमित ने उनका हाथ दबाते हुए आष्वस्त किया)
छठा दृश्य
सुनंदा जी समाचार पत्र हाथ में ले कर विकास जी से: देखो न्यूज पेपर में क्या लिखा है ‘महिला कल्याण समिति की अध्यक्षा सुनंदा जी ने बिना दहेज अपने योग्य बेटे का विवाह करके सिद्ध कर दिया कि उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं है। वह जो कहती हैं वही करती हैं।
सुनंदा आत्म मुग्ध भाव से: एक तीर से दो निशाने मारे हैं मैंने ।ओर सुंदर बहू पचास लाख का दहेज और सोने पर सुहागा मेरी प्रषंसा ।
तभीे नयी नवेली बहू को चाय ले कर आयी ।
सुनंदा जी:ये बंसी कहां गया पहले दिन ही तुम काम क्यों करने लगी?
रिया : मम्मी जी मेरे होते आप बंसी काका के हाथ की चाय पियें ये अच्छा नही लगता ,इसलिये मैंने ही उन्हे मना किया था चाय बनाने को ।
सुनंदा जी प्रसन्न हो कर:ः जैसी तुम्हारी मर्जी पर यह न कहना कि सास मुझसे बहुत काम करवाती हैं।
उसके बाद रिया घर की सफाई लगी।
सुनंदा जीः रमिया कहां गई ,बहू क्यों झाड़ू लगा रही है?
रिया ने उन्हे टोकते हुए: मम्मी जी मैंने ही उसे मना किया है।
सुनंदा अपने पति विकास से:बहू कितनी सुषील है हम कितने भाग्यषाली हैं कि सुंदर बहू ,इतनी संस्कारी और पचास लाख कैष ।’
विकासः हां बात में लाजिक है, तुम्हारा इतना इतना नाम जो हुआ वो अलग, अब तो बस तुम मीटिंग करो समाज सेवा करो।
स्ुानंदा जी आनंद से हंस कर: हां वैसे मीडिया ने तो मेरी प्रषंसा के पुल ही बांध दिये,इसको कहते हैं सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।
तभी रिया ने कागज ले कर आती है और सुनंदा जी को थमाते हुये: मम्मी जी ये मेरे काम का बिल ।
सुनंदा आश्चर्य से: बिल ,कैसा बिल?
रियाः जी मेरा दिन भर के काम का पारिश्रमिक।
सुनंदाः ये क्या मजाक है तुम घर की बहू हो।
रियाः पर मम्मी जी मैने तो कहीं पढ़ा था कि आप का कहना है कि घर के काम का स़्ित्रयों को पारिश्रमिक मिलना चाहिये ,यही सोच कर मैने षादी की कि घर बैठे एम्प्लायमेंट मिल जाएगा।
सुनंदाः कहा तो तो बहुत कुछ जाता है पर सब व्यवहार में लागू थेाड़े ही न होता हैे।
रियाः पर आप ये तो मानती है कि हरेक को उसके श्रम का प्रतिदान मिलना ही चाहिये ,अब आप बताइये पापा जी ?
विंकासः बात में तो तुम्हारी लाजिक है ।
सुनंदा जी आंखे तरेरते: आप तो चुप ही रहिये
रियाः मम्मी जी आज भी तो नारी पत्रिका वाले आपका साक्षात्कार लेने आने वाले हैं ’?
उसके इषारे को समझते हुए सुनंदा जी मन ही मन कसमसा उठीं विवषता में उन्होने उसे बिल के पैसे दे कर छुटकारा पाया ।
रिया काम करने को उठी तो और सुनंदा जी उसके पीछे भागने कर रोकने लगीं।
रिया रुंआसी हो कर:मम्मी जी अगर आप मुझे काम नही करने देेगी तो मैं आपके बेटे का मूल्य कैसे चुका पाऊंगी।
सुनंदा कुछ न समझते हुएःमतलब ?
रियाः सुमित कह रहे थे कि आपने उन्हे इतना पढ़ाया लिखाया उसका व्यय आपको वापस चाहिये।
सुनंदाःपर बेटा तुम्हारे पापा ने तो पचास लाख दिये हैें न?
रिया आश्चर्य से:क्या पचास लाख ,मेरे पापा के पास तो इतने रुपये हैें भी नही और वो तो दहेज विरोधी हैं।
स्ुानंदा के पैरों तले धरती खिसक गई आवेष: तुम्हारे पापा को छोड़ूंगी नहीं उन्होने मुझे धोखा दिया है ।
रिया: मेरे पापा को कुछ मत कहिये , उन्हे कुछ नही पता, वो तो आपके उसी मुखैाटे को सच मानते हैं जो आपने दुनिया के सामने ओढ़ रखा है।
सुनंदा: समित यहां आओ ,ये मेरे घर में क्या हो रहा है ?
स्ुामित आया ।
सुनंदा जी: ये रिया क्या कह रही है कि उसके पापा ने तुम्हे कोई पैसे नही दिये?
सुमितः मम्मा धीरे बोलिये,अभी कुछ दिनों पहले ही मीडिया ने आप की प्रषंसा के पुल बांधे हैं।
स्ुानंदा जी ने हताषबैठते हुएः तुमने मेरे बेटे हो कर भी मुझे धोखा दिया?
सुमितः मम्मा आय एक सारी कि आप से झूठ बोल कर आपका दिल दुखाया पर मैं मजबूर था। मैं रिया से बहुत प्यार करता हूं और मुझे पता था कि आप बिना दहेज के षादी के लिये तैयार नही होगी।
सुनंदा बौखला कर: मैं पुलिस बुलाऊंगी ।
विकास: सुनंदा, ये तुम्हारे बच्चे है ,माना इन्होने जो किया गलत था पर उन्होने साथ सही का दिया । अब भलाई इसी में है कि जो मुखौटा तुमने समाज के सामने ओढ़ा है उसे सच बना लो ।वैसे भी तुम्हारी प्रषंसा का जो परचम लहरा रहा है उसका मान करो। एक बात और ,इनकी बात में लाजिक है ।
सुमित और रिया पापा के तकिया कलाम पर हंसने लगे सुनंदा जी धीमी आवाज में कहती हैं ‘‘बात में लाजिक तो है…..’’
- लेखिका – अलका प्रमोद
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