GHAZAL ग़ज़ल : दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो – अशोक हमराही
दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो
दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो पल में अपना तो पल में ग़ैर बना देते हो
दोस्त तुमसे तो कभी ऐसी उम्मीद न थी औरों से मिलके साज़िशों को हवा देते हो
हमने तो सिर्फ़ तबस्सुम की इनायत मांगी बात इतनी सी है तूफ़ान उठा देते हो
हमने माना कि ज़माने से ख़फ़ा हो लेकिन ग़ुस्सा औरों से है अपनों को सज़ा देते हो
झिझक के लगना गले ये भी कोई मिलना है इससे बेहतर है जो तुम हाथ मिला लेते हो
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अशोक हमराही