पल भर न हुआ जीवन प्यारा! – कवयित्री सुमित्रा कुमारी सिन्हा
पल भर न हुआ जीवन प्यारा! पल भर न हुआ जीवन प्यारा! पूजा के मंदिर में झाँका, अर्चन की चाहों को आँका, जग ने अपराधिनि ठहराया, आजीवन खुल न सकी कारा! पल भर न हुआ जीवन प्यारा! मधु के घट रक्खे दूर-दूर, जब छूना चाहा हुए चूर, जग अंतराल से पिला सका मुझको केवल विष की धारा! पल भर न हुआ जीवन प्यारा!