पांच सालों का संबंध टूट गया – राजुल
ब्रेक अप स्टोरी
पांच सालों का संबंध टूट गया
मुंबई में ’कालेज फ़ेस्ट’ का मौसम ज़ोरों से चल रहा था। अपने कालेज की ओर से अमिता को भी चुना गया था। वो ड्रामा टीम के साथ सेंट स्टीफ़न कालेज गई थी। वहीं पहली बार सुमित से मुलाकात हुई थी।
सुमित और अमिता के कालेज के बीच कांटे की टक्कर थी, लिहाजा दोनों एक दूसरे के कड़े प्रतिस्पर्धी बन गए। इसी वजह से उन दोनों में गर्मागर्म बहस भी हुई। बैक स्टेज में प्रॉप्स के लिए जगह बनाने की बात पर जब अमिता ने सुमित से अपने प्रॉप्स खिसकाने को कहा, तब उसने अमिता की बात सुने बिना ही फ़ोन पर बातें शुरू कर दी। अमिता के गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। ये देख अमिता के दो चार फ्रेंड्स बाहें चढ़ाते हुए सुमित को सबक सिखाने के लिए लपके, पर जाने क्या सोचकर अमिता ने उन्हें रोक दिया और अपने प्रॉप्स कम जगह में ही रख लिए। पर वो वहीं खड़ी रही।
कुछ देर बाद जब सुमित की बात ख़त्म हुई तो अमिता ने कहा कि उसे तमीज़ ही नहीं है। इस तरह फ़ोन पर बात करके वो अपना स्टाइल झाड़ना चाहता है, पर इसका उल्टा ही प्रभाव हुआ है और अमिता उसे लूज़र समझ रही है।
सुमित ने कहा कि उसका नंबर पहले आएगा, जबकि अमिता की बारी उससे कहीं बाद में आएगी, तब तक बैक स्टेज़ ख़ाली हो जाएगा और अमिता चाहे तो पूरी फ़ौज को वहां खड़ा कर सकती है। ये कहते हुए सुमित मुस्कुराया, तो अमिता को लगा वो उसका मज़ाक उड़ा रहा है। उसने घूरकर सुमित को देखा और दांत पीसते हुए बोली, ’बेकार ही तुम्हें बचाया। अभी मेरे फ्रेंड्स तुम्हारी ख़बर लेते, तो ये बदतमीज़ी दिखाने लायक नहीं रह जाते।’
सुमित ने अपनी सफाई देने की कोशिश की, पर अमिता ने उसकी एक नहीं सुनी और पाँव पटकते हुए वहां से चली गई। सुमित ने बड़बड़ाते हुए कहा, ’तोप है, मिर्ची है, पर बला की सुन्दर है ये बला।’
उस प्रतियोगिता में अमिता के कालेज को पहला और सुमित के कालेज को दूसरा पुरुस्कार मिला। सुमित उसे बधाई देने आया, तो अमिता ने चुटकी ली, ’सब कर लिया, पर हमसे जीत नहीं पाए।’ इस बात पर दोनों ही हंस पड़े।
उन दोनों की अगली मुलाकात जहाँगीर आर्ट गैलरी में हुई। अमिता अपने सीनियर की पेंटिंग एक्ज़िविशन में मौजूद थी। जब उसने सुमित को अपने एक दोस्त के साथ देखा, तो पता लगा कि अमिता का दोस्त विनय, सुमित को भी जानता है और उसी ने उसे यहाँ बुलाया है।
उस दिन दोनों काफी देर तक बातें करते रहे। नुक्कड़ के चाय वाले के पास चाय पिलाकर जब अमिता ने सुमित से विदा ली, तब सुमित ने उसका नंबर ले लिया, ये कहकर कि उसे आर्ट में रूचि है, अगर कभी इस तरह की कोई इवेंट होगी, तो वो अमिता को सूचित कर देगा।
इसके बाद अमिता और सुमित ने कई बार फ़ोन पर बातें कीं। शहर में कला प्रदर्शनियों और दूसरे फंक्शनों में वो अक्सर साथ ही जाते। सुमित पहले ही अमिता की सुन्दरता पर आसक्त था, अब मुलाकातों के बीच उसे अमिता के सुन्दर स्वभाव का परिचय भी मिल गया था। वो उसकी गंभीरता और कलात्मकता का बहुत बड़ा प्रशंसक बन चुका था और इस बात को वो अक्सर जता भी देता। अमिता अपनी तारीफ़ सुनती तो कुछ कहती नहीं, पर उसके चेहरे से लगता कि उसे ये अच्छा नहीं लग रहा है।
एक दिन अमिता ने बातों-बातों में सुमित से कह ही दिया कि उसे ये अच्छा नहीं लगता। इस पर सुमित ने खुलकर अपने दिल का हाल बयान कर दिया कि वो अमिता को कितना पसंद करता है। अगर उसे अच्छा नहीं लगता, तो अब वो कुछ नहीं कहेगा।
वाकई सुमित ने उस दिन के बाद अमिता की तारीफ़ नहीं की, पर उसकी आँखे बता देतीं कि अमिता की हर बात उसे कितनी अच्छी लगती है। अमिता ये देखती, तो मुस्कुरा देती। अब वो भी मन ही मन सुमित को पसंद करने लगी थी।
कालेज का आख़िरी साल था। अमिता ने ’प्रौम नाईट’ में सुमित को आमंत्रित किया। सुमित ने काफी तैयारियां की। उसने अपना थ्री पीस भी निकाल लिया, पर जब वो वहां पंहुचा, तब पार्टी शुरू हुए काफी देर हो चुकी थी।
अमिता बहुत खूबसूरत लग रही थी। सुमित उसे देखता रहा। सभी डांस कर रहे थे। उसने भी अमिता के पास जाकर डांस करने की इच्छा जाहिर की। अमिता ने डांस किया, पर उसके देर से आने से वो कुछ नाराज़ सी लग रही थी। सुमित ने माफ़ी मांगी और उसे गार्डन में चलने के लिए कहा, क्योंकि वहां म्युज़िक के शोर में उन्हें एक दूसरे की बात नहीं सुनाई दे रही थी।
अमिता और सुमित जब गार्डन में पहुंचे, तब चाँद खिला हुआ था। सुमित ने अमिता की बांह पकड़कर उसे एक बेंच पर बैठाया। अपनी जेब से एक अंगूठी निकाली और अमिता के सामने घुटनों पर बैठकर कहा, ’क्या ज़िन्दगी भर मेरे साथ रहना पसंद करोगी?’ अमिता पहले तो हडबडा गई फिर उसने सुमित से कहा कि अभी उन दोनों को शादी से ज़्यादा अपने कैरिअर पर ध्यान देना चाहिए। सुमित ने उसकी बात सुनकर सहमति जताई और कहा कि वो उसका मन रखने के लिए ये अंगूठी स्वीकार कर ले। अमिता ने अंगूठी पहन ली।
कालेज ख़त्म हुआ, तो अमिता ने अपने लिए काम ढूंढना शुरू किया। वो रोज़ इंटरव्यू देती। सुमित तब तक सीए बन चुका था। उसका अपना ऑफ़िस खुल गया था। आख़िरकार अमिता की शैक्षिक योग्यता और अच्छे नम्बरों को देखते हुए एक नामी मल्टीनेशनल कंपनी में उसे प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी मिल गई।
एक दिन सुमित ने अमिता को फ़ोन किया कि उन्हें मिले काफ़ी दिन हो गए हैं, आज पिक्चर चलना चाहिए। अमिता ने बताया कि आज उसका बड़ा ख़ास प्रेजेंटेशन है, जिसकी वजह से उसे देर होगी। सुमित ने कहा कि वो उसे ऑफ़िस से ही ले लेगा और घर छोड़ देगा। पिक्चर न सही, दोनों कुछ वक़्त तो साथ गुज़ार ही लेंगे। अमिता राज़ी हो गई।
उस शाम प्रेजेंटेशन के बाद अमिता ने ऑफ़िस की कार वापिस भेज दी, क्योंकि उसे सुमित के साथ जाना था। इंतज़ार करते हुए जब काफ़ी देर हो गई, तब अमिता ने सुमित को फ़ोन किया। उसने कहा कि वो ट्रैफिक में फंस गया है, बस पांच मिनट में पहुँच जाएगा। अमिता वहां खड़ी रही। ऑफ़िस बंद हो रहा था। सभी लोग जा रहे थे। अमिता को वहां अकेला खड़ा होना बहुत अजीब लग रहा था। सुमित के पांच मिनट एक घंटे बाद पूरे हुए।
जब वो आया, तब सुनसान कारीडोर में अमिता अकेली खड़ी थी। सुमित ने ट्रैफिक को कोसते हुए उससे माफ़ी मांगी और कहा कि क्या वो वाशरूम जा सकता है। अमिता ने उसे रास्ता बताया। सुमित ने अपना सामान कारीडोर में ही एक मेज पर रखना चाहा, तो उसके पेपर्स गिरने लगे।
अमिता ने कहा कि वो सुमित का सामान संभाल देगी, वो जल्दी से वाशरूम होकर आये। सुमित चला गया। अमिता ने उसके पेपर्स संभाले और लैपटॉप वाले बैग में रखने लगी, तो देखा लैपटॉप ऑन था। उसने लॉग ऑफ़ करने के लिए लैपटॉप निकला, तो सुमित का टाईप किया हुआ एक ड्राफ्ट खुल गया। अमिता ने देखा, वो ड्राफ्ट सुमित के आने के दस मिनट पहले ही टाईप किया गया था।
अमिता को हैरानी हुई कि ट्रैफिक में फंसे सुमित ने वो ड्राफ्ट कैसे लिख लिया। अमिता ने चुपचाप लैपटॉप बंद करके रख दिया। उसने सुमित से कुछ नहीं पूछा। वो उसे घर तक छोड़ने गया। रास्ते में उसने कहा कि अब वो लोग ज़्यादा नहीं मिल पाते, इसलिए सुमित रोज़ अमिता के ऑफ़िस के बाद उसे घर तक छोड़ने जाएगा। अमिता ने पहले तो मना किया, पर सुमित के ज़ोर देने पर वो मान गई।
तब से ये नियम बन गया। वो ऑफ़िस ख़त्म होने के बाद सुमित के साथ घर जाती। हालांकि इसके लिए अब उसे देर भी हो जाती, क्योंकि सुमित कभी समय पर नहीं आता। वो जब फ़ोन करती, तब कभी मीटिंग और कभी ट्रैफिक में फंसे होने की विवशता बताता। इस बात पर दोनों का झगड़ा भी हुआ, पर सुमित ने माफ़ी मांगते हुए अपनी ग़लती न दोहराने की कसम खाई।
अमिता देखती कि जब कभी ऑफ़िस के बाद वो लोग रेस्टोरेंट में चाय पीने के लिए रुकते और सुमित का काल आता, तो वो यही कहता कि वो ट्रैफिक में है, आधे घंटे में पहुँच जाएगा। अमिता ने सुमित को कई बार आड़े हाथों लिया था, पर सुमित हमेशा यही कहता कि देर से ही सही, मैं हर जगह पहुँच ज़रूर जाता हूँ।
अमिता कहती कि अगर सुमित की कोई अर्जेंट मीटिंग है, तो उसे पहले से बात करके अमिता के साथ प्रोग्राम सेट करना चाहिए। वो लोग किसी और दिन भी मिल सकते हैं, पर सुमित कहता कि उसे अमिता से मिले बिना चैन नहीं आता है। वो विश्वास दिलाता कि आइन्दा कभी ऐसा नहीं होगा।
इसी बीच अमिता का बर्थडे आया। सुबह उसे सुमित का बर्थडे मेसेज मिला। दोपहर को एक मेल आया, जिसमें सुमित ने उसे सरप्राइज़ देने के लिए बांद्रा बैंड स्टैंड पर बुलवाया था। शाम होने से पहले सुमित के दो मेसेज और एक मेल और आ गया। हर मेसेज और मेल का वही मजमून था कि एक बार अमिता बैंड स्टैंड पर पहुँच जाए, बस फिर उसकी ये बर्थडे सबसे शानदार बर्थडे होने वाली है।
अमिता ने घर पर फ़ोन करके बताया कि उसे आने में थोड़ी देर होगी और ऑफ़िस से वो सीधा बैंड स्टैंड पर जा पहुंची। शाम हो चुकी थी। वो जानती थी कि आदत के मुताबिक सुमित कुछ देर तो करेगा ही, इसलिए वो एक बेंच पर बैठकर इंतज़ार करने लगी। धीरे-धीरे अँधेरा घिरने लगा।
सुमित को कई बार फ़ोन किया, पर उसका फोन नहीं लग रहा था। इस बीच अमिता ने देखा कि उसके अलावा वहां या तो जोड़े थे, या मनचले लड़के। अमिता को अच्छा नहीं लग रहा था, पर उसने कुछ देर इंतज़ार करना ही ठीक समझा।
कुछ देर बाद उसने महसूस किया कि वो मनचले बार-बार उसी की तरफ देखते, इशारा करते और ठहाके लगाते। अमिता ने फिर सुमित को फ़ोन किया, तो सुमित ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि वो एक ज़रूरी काम में फंस है, सिर्फ़ आधे घंटे और लगेगे। इस पर अमिता ने उसे पूरी बात बताई। सुमित ने कहा वो फ़ौरन आ रहा है।
इस बीच अमिता के इर्द गिर्द उन मनचलों ने मंडरना शुरू कर दिया। घबराई हुई अमिता उठकर सड़क पर खड़ी हो गई, तभी पुलिस की एक वैन उधर से गुजरी। अमिता को अकेले खड़ी देख, उन्होंने ग़लत मतलब निकाला और उसे थाने चलने के लिए कहने लगे। अमिता उस दिन अपना आई कार्ड ऑफ़िस में ही छोड़ आई थी।
वो सफ़ाई देते-देते थक गई, पर पुलिस वाले मनचलों को देखकर और भी आशंकित हो गए थे। अमिता का बुरा हाल था। उसने अपने घर फ़ोन मिलाया। अमिता की बात सुनते ही उसके बड़े भाई पिता के साथ फ़ौरन निकल पड़े, पर तब तक पुलिस वाले अमिता को लेकर थाने पहुँच गए थे।
अमिता के घरवालों से मिलकर पुलिसवालों को यकीन तो आया, पर उन्होंने अमिता को काफ़ी डांटा और उसके पिता और भाई को भी समझाया कि इस तरह लड़कियों को आज़ादी नहीं देनी चाहिए।
अपमानित घरवालों के साथ अमिता घर लौट आई। अपनी बर्थडे के इतने भयानक सबक ने उसे गूंगा कर दिया था। बड़े भाई उससे नाराज़ थे और पिता ने खाना नहीं खाया था। उस रात अमिता के साथ ही घरवाले भी जागते रहे। अगली सुबह अमिता ने सबसे माफ़ी मांगी। भाई ने उसे गले लगा लिया और पिता काफ़ी देर तक समझाते रहे।
उस दिन अमिता ऑफ़िस नहीं गई। सुमित की कई मिस्ड काल और मैसेजेस आये, पर उसने जवाब नहीं दिया। दो दिन बाद जब वो ऑफ़िस गई, तब सुमित उससे मिलने आया और पहले की तरह माफ़ी मांगने लगा, पर अमिता ने उसकी अंगूठी लौटाते हुए कहा, ’बस, अब और नहीं। तुम ज़िन्दगी में सबसे आगे निकलना चाहते हो और रिश्तों को अपने साथ घसीटना चाहते हो। मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ। हमारी शादी हो भी गई, तो सिवाय इंतज़ार और बहानों के हम दोनों एक दूसरे को कभी कुछ नहीं दे पायेंगे। मैं अब इस मृग मरीचिका में और भटकना नहीं चाहती। मुझसे दुबारा मत मिलना।’
सुमित ने चुपचाप अंगूठी उठाई और अमिता के ऑफ़िस से बाहर निकल गया। पांच सालों का सम्बन्ध हमेशा के लिए टूट गया।
राजुल
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Wonderful story Rajulji! Now I became big fan of yours! Keep it up!
Break up story…….Amitaa ne bahut sahi kadam Uthaaya….Balki Mai to kahti hu Ki Amita ko ye kadam aur pahle hi uthaa lenaa chahiye thaa…………
…Very Nice Story
Nice story
सुप्रभातम
बहुत रोचक व सुन्दर आलेख है
बधाई है
सुमित के समय से न पहुँचने पर कितनी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई और साथ ही अमिता को अपमान-जनक स्थिति से भी गुज़रना पड़ा।
बिलकुल सही किया अमिता ने….
बहुत ही सुन्दर कहानी….
अति उत्तम
Sunder Kahani…sunder shabdon ka chayan…sunder bhawnao ki abhivyakti…💐
sunder shabdon ka chayan…sunder bhawnao ki abhivyakti…💐