हारी हूं मैं.. – दिव्या त्रिवेदी
हारी हूं मैं..
हारी हूं मैं..
हां देख लो तुम
आज हारी हूं मैं
तुमसे, तुम्हारे प्रेम से
सहज भाव तुम, आए
सरल स्वभाव, भाए
तुमने प्रेम शुरू किया
मैं तटस्थ भाव रही
मैंने प्रेम नहीं किया
पर तुम्हें रोका भी नहीं
यहां भी हारी मैं
तुमने कहा, मुझसे
छोड़ो जाने दो
मैंने रोका तुम्हें
तुमने कहा, फिर मुझसे
प्रेम करना होगा
गहरा प्रेम
मेरा इंकार रहा
इंकार प्रेम करने से
कहा था, तुम्हें रोकूंगी नहीं
प्रेम करने से..
तुम करो…
पर मुझसे ना हो पाएगा
प्रेम करना
तुम रुक गए
और प्रेम करते रहे
मैं सहती रही
सहती रही प्रेम को तुम्हारे
सहते सहते फिर से
हारी मैं
हां हारी और तुम्हारे प्रेम से
प्रेम हो गया मुझे
तुम्हारे प्रेम से ये प्रेम
धीरे – धीरे
तुम तक पहुंच गया
यहां भी हारी मैं
कर लिया प्रेम गहरा
बहुत गहरा..
मन, मस्तिष्क, एहसास
सब गिरवी तुम्हारे पास
देखो प्रेम करके
फिर हार गई मैं
जब सिर्फ़ तुम्हें था प्रेम
हां तुम्हें था, था…
मुझे नहीं..
उस वक्त भी
मुंह मोड़ा था तुमने
और मैंने रोक लिया था
रोक लिया था तुम्हें
जाने से…
तुम रुक भी गए थे..
उस वक़्त नहीं हारी थी मैं
आज जब प्रेम है तुमसे गहरा
तब देखो कैसे हारी मैं
तुम गए जो मुंह मोड़
इस बार नहीं रोक पाई मैं
देखो यहां पर भी
हारी हूं मैं…
हद हो मोहन तुम भी
पहले कहते रहे
प्रेम करो मुझसे
गहरा प्रेम…
और जब प्रेम किया तो
प्रेम को मुक्ति का मार्ग बता
मुक्त हो गए तुम…
यूं ही नहीं राधा कोई
जग से बेगानी हो गई..
यूं ही बोलो भला
कैसे, मीरा दीवानी हो गई..
सच ही कहा वैसे भी तुमने
प्रेम मुक्त रखता है
स्वतंत्रता देता है
शायद इसीलिए हारी मैं..
प्रेम में तुम्हे स्वतंत्र कर दिया
हृदय के बन्धन से
मुक्त कर दिया..
कल तुम प्रेम करते थे
हां करते थे, और मैं
सहती थी बस..
आज मैं प्रेम करती हूं
पर तुम मत सहना
तुम मुक्त हो
स्वतंत्र हो..
क्यूंकि प्रेम मुक्त करता है
यहां भी हारी हूं मैं
देखो तुम, कैसे आज
अपने आप से
हारी हूं मैं…
क्यूंकि प्रेम..
सिर्फ़ किया जा सकता है
पाया नहीं जा सकता..
और इसी किए जाने से
हारी हूं मैं…
और इसी नहीं पाए जाने से
हारी हूं मैं..।
हिंदी भाषा की जानी-मानी कवियित्री दिव्या त्रिवेदी
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दिव्या जी की खूबसूरत लेखनी को सलाम , बहुत ही अच्छा लिखती हैं , एक एक शब्द मन को छू जाते हैं , बहुत ही सुंदर कविता 🙏
सादर आभार सह धन्यवाद आदरणीय 🙏
बहुत ही शानदार कविता है।
मेने और भी कई कविताएँ पढ़ी हैं इन कवयित्री की … बहुत ही ख़ूबसूरत लेखनी है इनकी। मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ कि ये जीवन में बहुत ऊँची सफलताए हासिल करें।
धन्यवाद सहित : चन्द्र मोहन शर्मा
सादर आभार सह धन्यवाद आदरणीय 🙏🌹
बहुत ही शानदार कविता है। मेने और भी कई कवितायें पढ़ी हैं इन कवित्रि महोदया की .. बहुत ही ख़ूबसूरत लेखनी है इनकी। मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ कि ये जीवन में बहुत ऊँची सफलताएँ प्राप्त करें
धन्यवाद सहित : चन्द्र मोहन शर्मा
Kya likha hai kavitri ne…
Bahoot khoob
Thanks so much Radha ji,, regards 🙏🌹
बहुत अच्छी और भावनात्मक कविता । प्रेमात्मक प्रेमरस में लिखी गई कविता । मोहन से लगन की कविता । राधे की मन की कविता ।
आभार सह धन्यवाद जी, 🌹🌹
बहुत अच्छी और भावनात्मक कविता । प्रेमात्मक प्रेमरस में लिखी गई कविता । मोहन से लगन की कविता । राधे की मन की कविता ।
Thanks so much 🌹
Osm line
Thanks Dear 🌹
Are wah kya panktiyan h bahut khub 👌
Awesome 👌👌👌👌
Khoobsurat panktiyan
Wao so beautiful.
Tumne shola ko shabnam kaha mani main
Ishq se rubru kra usi ko mitaya yahan bhi hari main..
Kaafi umda likha di aapne ❤️