बिन तेरे

 

मैं नहीं
नहीं मैं
कुछ नहीं
कहीं नहीं।
बस यूं ही
जब भी तू
पुकार ले
मुझे कभी
बस लगे
तभी मुझे
मैं भी हूं
यहीं कहीं
यूं ही कहीं
हां हूं मैं
मैं भी हूं।
बिन तेरे
पुकार के
मैं नहीं
नहीं मैं
कुछ नहीं
कहीं नहीं।
पुकार ले
यूं ही कभी
तू मुझे
हां मुझे ही
बेवजह यूं
बेसबब ही
दे पता
यूं ही कभी
हां हूं मैं
यूं ही कहीं।
बिन तेरे
मैं नहीं
नहीं मैं
कुछ नहीं
कहीं नहीं
बिन तेरे।

दिव्या त्रिवेदी हिंदी भाषा की जानी-मानी  कवियित्री हैं  


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1 thought on “बिन तेरे – दिव्या त्रिवेदी

  1. काम शब्दों में बहुत कुछ लिख दिया
    Marvellous 👌👌👌🌹🌹🌹🌹🌹

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