बेरंग रंग

कैसे मनाएँ होली
कैसे भींगे स्नेह संग
जब तक़रार से भरी हो
देश की डोली
कहाँ करे होलिका दहन
जब आग नफ़रत की
धधक….. रही
दिल मिलते नहीं
रंगों की रंगोली में
ईर्ष्या , द्वेष घुलते नहीं
अब ….
होली में
पकवान मीठे खाये कैसे
जब, ज़हर भरी मिठास में
कराहता मन … खोया
सपनों की रंगोली में
सिमटता नहीं इंद्रधनुष
बादल की झोली में
हर रँग यहाँ मिलकर
क्यों ?? बने लाल
केवल लाल
भूल गए आज हम
शाँति के सफेद रँग
कहो !!! कैसे रचे रास
गोपी संग कन्हैया
कैसे अवध में खेले
रघुवीरा…..
गाये धम्मार,  ठुमरी,
चैती, दादरा कैसे
जब
मिट्टी की सौंधी महक
खो गयी बिखरे
हिंदुस्तान में
ढूँढू कहाँ पलाश के फूल
अपने हिंदुस्तान में ?

स्मृति लाल हिंदीभाषा की जानी-मानी  कवियित्री हैं  


  • पढ़ने के बाद Post के बारे में Comment अवश्य लिखिए .

विशेष :- यदि आपने website को subscribe नहीं किया है तो, कृपया अभी free subscribe करें; जिससे आप हमेशा हमसे जुड़े रहें. ..धन्यवाद!

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *