कुछ दिन घर में रहो ना … अशोक हमराही
इधर उधरअब फिरो ना
कुछ दिन घर में रहो ना
बुरी नज़र लग जाएगी
घूम रहा है कोरोना
थोड़ी सी मजबूरी है
बस कुछ दिन की दूरी है
रात अंधेरी जाएगी
नई सुबह फिर आएगी
छोड़ो भी शिकवे गिले
सजेंगी फिर से महफ़िलें
अभी तो धीरज धरो ना
कुछ दिन घर में रहो ना
संभल संभलकर चलना है
नहीं किसी से मिलना है
बस इतना ही कहना है
सबसे बचकर रहना है
घड़ी अभी है मुश्किल की
तो क्या, जीतेंगे हम ही
जानम, समझा करो ना
कुछ दिन घर में रहो ना
- अशोक हमराही
घूम रहा है ‘ कोरोना ‘
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अतिसुन्दर रचना
धन्यवाद केवल जी 😊
आप इसे सुरों में सजा दीजिए 💐
बहुत सुंदर… घर में ही हैं…
धन्यवाद 😊
बहुत बढ़िया
धन्यवाद ज्योति जी 😊
Very nice..superb
धन्यवाद संतोष जी 😊
Very touchy written
हम तो समझ गये।तुम भी समझो ना
धन्यवाद 🙏
हम तो समझ गए बाक़ी भी समझें ना
Aap isi taraah hausla badhate raho na 🙏🙏👍👍
God Bless you Ashok for creative thoughts at the time of social need keep it up