शायर: ख़ालिद फ़तेहपुरी
रात फूलों में जैसे बसी रह गई
रात फूलों में जैसे बसी रह गई
दिल में तस्वीर यूँ आप की रह गई
एक तेरी कमी थी फ़क़त इसलिए
ज़िन्दगी मेरी सूनी पड़ी रह गई
तितलियों की परी ढूँढती बाग में
बस वो लडकी जो थी मनचली रह गई
दो दिलों में मोहब्बत जवान जब हुई
दुश्मनी दो घरों की धरी रह गई
उस को बातें बनाने का फन आ गया
ख़ालिद अपने लिए खामशी रह गई