कवयित्री: चंदा प्रह्लादका
ग़ज़ल
ज़िंदगी को आज़माकर देख लो ,
अश्क पलकों से चुराकर देख लो ।
ख़्वाहिशों के दरमिया क़िस्मत फ़क़त,
चाँदनी दिल में समाकर देख लो ।
मुद्दतों से जश्न का अहसास कर ,
हौसले बाती जलाकर देख लो ।
हो यक़ीं खुद पे हिमाक़त कर सही ,
रेत में चश्मा बहाकर देख लो ।
दिलरुबाई की नज़ाकत है हसीं ,
धड़कने सपने सजाकर देख लो ।
ढूँढते तहज़ीब की मीनार को ,
महफ़िलें रंगी जमाकर देख लो ।
मंज़िलों की आस में अबतक जिये
नैमते चंदा बसाकर देख लो ।
8
कड़वा सच
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अन्तर्ज्ञान हुआ भले, भूत भविष्यत जान।
तेरा मेरा कर रहे , कौन बचाए जान।।
उसकी जान बचे ,करे,हरदम प्रभु का ध्यान।
पूजा भक्ति संग लिये, पूरे कर अरमान ।।
मेरा तेरा कर रहे , ये जीवन कट जाय।
अंत समय जब सामने, कोय नहीं बच पाय ।।
कोय नहीं बच पाय वो, कर्मों से जुड़ जाय।
जो बोये सो काटते , कुछ भी हाथ न आय ।।
फैला अँचल ममता का, पूरा जहाँ समान।
मोह साथ जब जुड गया , सत्य नही गतिमान।।
माया में तन मन फँसा , जनम अकारथ जाय।
सदाचार सद्भावना , जीवन सफल बनाय ।।
अपनी अपनी सोच में, बडे हो गए बोल।
कथनी करनी एक सी,बोले सच को तोल।।
बोले सच को तोल वो ,निज गौरव फैलाय।
सच की राहों पे चले , सुखी जगत हो जाय।।
मानव पल -पल सोचता, सुखमय हो संसार ।
दुख आये न जीवन में, ख़ुशियों का अंबार ।।
ख़ुशियों का अंबार हो ,सब चिंता मिट जाय ।
दामन में तारें सजे ,स्वर्ग धरा पर आय ।।
20
नारी के अंनत रूप
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नारी तू जीवनदात्री , वंश वृक्ष का रोपण
सृष्टि का आधार तुम्हीं,मातृ शक्ति का पोषण,
संयम,करुणा,दया भाव, वृहत गुणों की खान,
कोमल हदय,सरल जीवन,नारी की है शान ।
विपदा हो समक्ष तो बनती माँ दुर्गा अवतार,
सहनशीलता,मान मर्यादा,शक्ति की भरमार,
बन स्वरूप लक्ष्मी बाई का करे शत्रु संहार,
त्याग भावना रखे,स्वर्ग से सुंदर घर संसार ।
पलकों में दर्द का सागर,होंठों पे मुस्कान,
ग़म छिपा सारे आँचल में,नारी की पहचान,
प्रगति हो समाज देश की,रहे वृहत योगदान,
हर क्षेत्र में हो पुरूष संग नारी का सम्मान ।
साहस व प्रेम की मूरत,हर मुक़ाम हो हासिल,
माँ,बहन,बेटी नारी में हर रंग है शामिल।
69
मधुर गीत
…………
नयनों में छुप जाना प्रियतम,
मिलन राग मुस्कायेगा ,
जीवन सरगम की एक सुर ले,
मधुर गीत बन जायेगा ।
कुसुम सुगंधित डाली पर,
कलियों ने घूँघट खोला है,
छाँव तले मैं तुम्हें निहारूँ,
हंसी प्यार का डोला है ।
चंदा की शीतल ठंडक तुम,
सघन ताप मिट जायेगा ।
जीवन सरगम का एक सुर ले,
मधुर गीत बन जायेगा ।
सीने की धड़कन में बस ,
मैं तेरी ही आवाज़ सुनूँ ,
साँसों की ताल पर गाऊँ,
अपनी धुन बिन साज सुनूँ ।
अमृत पलकों में भर के अब,
अमर रूप भरमायेगा ।
जीवन सरगम का एक सुर ले,
मधुर गीत बन जायेगा ।
चाहत के कोमल वजूद को,
ख़्वाबों में भरमाया है,
अंतर्मन की बन जुबां ये ,
भावों का सरमाया है ।
मोहित लहरों पर है किनारा,
यूँ साथ रह जायेगा ।
जीवन सरगम का एक सुर ले,
मधुर गीत बन जायेगा ।
ग़ज़ल
कहीं है ज़िंदगी तो हैं कहीं तनहां पलों का ग़म ,
सजाके दर्द पलकों में छुपा लेते दिलों का तम ।
अज़ीज़ों की महफ़िलों में नहीं कोई शिरकतें हैं,
यही मेरी हक़ीक़त है,कि काँटों पे चले हैं हम ।
हसीं है वादियाँ जन्नत , बहारों के नज़ारे है,
चुभा है इश्क़ ऐसे ही सताते हैं गुलों क्या कम ।
नहीं ख़्वाबों हमा रंगों , निगाहों में सजे अरमां,
वफ़ा के नाम पर नश्तर बिछे होंगे चलो बेदम।
रहमतें रूह पर क़ाबिज़ , लबों पर क़ाफ़िला रंगी,
नशा हर शख़्स पर हावी ,बिखरा हर तलों पर कम ।
पुकारे रात की खामोशियाँ ‘। चंदा’ धुआँ गहरा ,
ख़ुदा क़ा नूर मैं सजदा करूँ प्रियवर मिलो ना तुम ।