बाल कहानी

कहानीकार : अलका प्रमोद

आज का लक्ष्मण

          दशहरा आ गया था सब ओर तैयारियाँ  हो रही थीं। रोहित बहुत उदास था । उसके मित्र मानव ने पूछा ‘‘ क्या हुआ आज तुम बहुत दुखी लग रहे हो ’’

रोहित ने कहा ‘‘ इस बार फिर शर्मा सर ने मुझे रामलीला में रावण बनाया ।’’

मानव ने कहा ‘‘ तो इसमें दुखी होने की क्या बात है रामलीला में रावण बनने से कोई तुम रावण तो बन नहीं जाओगे , यह तो नाटक है।’’

रोहित बोला ‘‘नहीं यार जो राम बनता है सब उसको कितना प्यार करते हें उसके हाथ जोड़ते हैं और मुझे तो सब बुरा-भला कहते हैं। ’’

मानव ने समझाया ‘‘ अरे तुझे कोई बुरा नहीं कहता , सब रावण को बुरा कहतेे हैं।’’

  रोहित तब भी उदास रहा और उठ कर चला गया। मानव रोहित को बहुत प्यार करता था ,मानव उसका सबसे अच्छा दोस्त जो था। सदा प्रसन्न रहने वाले अपने मित्र को उदास देख कर मानव को भी बुरा लगा ,वह भी उदास हो गया।

          शर्मा सर  मानव के पापा के दोस्त थे अतः वह कभी-कभी उनके घर जाता था। अगले दिन मानव शर्मा सर के घर गया और उनसे बोला ‘‘अंकल आप इस बार रोहित को रामलीला में राम बना दीजिये।’’

शर्मा जी ने कहा ‘‘  मुश्किल यह है कि अब सब कुछ तय हो चुका है मैंने जिसे राम बनाया है वह रावण बनने को तैयार नहीं होगा और फिर मैं रावण के लिये लड़का कहाँ से लाऊँ ?’’

 मानव ने कुछ नहीं कहा वह अपने घर चला गया। 

           दूसरे दिन विनय नाम के जिस लड़के को राम बनना था उसने आ कर शर्मा जी से कहा ‘‘ सर मुझे कुछ काम आ गया है, मैं इस बार रामलीला में भाग नहीं ले पाऊँगा।’’

‘‘ पर क्यों कल तक तो तुम तैयार थे अब अंत समय में क्या समस्या आ गयी?’’सर ने पूछा।

विनय ने कहा ’’सर  मुझे एक क्रिकेट मैच में खेलने का अवसर मिल रहा है । मैच में खेलना मेरा सपना है।’’

          शर्मा जी परेशान हो गये। अभी वह चिन्ता में डूबे बैठे ही थे कि मानव आ गया। उसने कहा ‘‘अंकल क्या हुआ आज आप रिहर्सल नहीं करवा रहे हैं क्या?’’

शर्मा जी ने कहा ‘‘ अरे क्या बताऊँ मैंने विनय को रामलीला में राम बनाया था पर वह अब कह रहा है वह क्रिकेट मैच खेलने जा रहा है।’’

फिर अचानक कुछ सोच कर उन्होंने मानव से कहा ‘‘ क्या तुम राम बनोगे?’’

मानव ने कहा ‘‘ अंकल मैं राम तो नहीं पर हाँ यदि आप मुझे रावण बनायें तो मैं बन जाऊँगा ।’’

शर्मा जी ने आश्चर्य से  कहा ‘‘ सभी राम बनना चाहते हैं और तुम कह रहे हो कि रावण बनोगे। वैसे भी रावण तो रोहित बन रहा है । ’’

मानव तपाक से बोला ‘‘ उसे आप राम बना दीजिये और मुझे रावण।’’

  शर्मा जी मान गये । जब रोहित आया तो उन्होने उससे कहा ‘‘ क्या तुम राम बनोगे?’’

रोहित को तो अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ उसने खुश हो कर कहा ‘‘जरूर सर ’’ फिर कुछ रुक कर कहा ‘‘पर सर रावण कौन बनेगा?’’

शर्मा जी ने कहा ‘‘ मानव।’’

          जब रामलीला हुई तो सबने सभी पात्रों को खूब सराहा। रोहित के तो राम रूप में लोगों ने पाँव तक छू लिये। रोहित ने गर्व से मानव से कहा ‘‘ देखा मेरा कितना सम्मान हो रहा था जबकि तुम्हंे तो लोग उस समय बुरा-भला कह रहे थे।’’

तभी वहाँ पर विनय आ गया उसने कहा ‘‘ पर असल में तो मानव ही राम है ।’’

          रोहित को यह सुन कर बहुत बुरा लगा उसने कहा ‘‘ ऐसा होता तो शर्मा सर तुम्हे हटा कर मुझे राम न बनाते।’’

विनय ने कहा ‘‘शायद तुम्हे नहीं पता कि मुझे हटाया नहीं गया बल्कि मैंने मैच खेलने के लिये रामलीला छोड़ी थी।’’

रोहित ने अविश्वास से पूछा ‘‘ तुम्हें मैच खेलना था तो रामलीला करने आये ही क्यों?’’

विनय ने बताया ‘‘ तुम तो जानते ही हो कि मानव इतना अच्छा खेलता है कि उसके आगे मैं टीम में नहीं चुना गया था। पर मानव के पैर में दर्द हो गया अतः वह मैच से बाहर हो गया, जब वह हट गया तो मुझे मौका मिल गया इसीलिये मैंने रामलीला छोड़ दी।’’

  रोहित बोला ‘‘ फिर भी मानव को सर राम बना सकते थे पर उन्होने मुझे ही बनाया।’’

तब उनकी बात सुन रहे शर्मा सर ने कहा ‘‘ रोहित मैंने मानव को ही राम बनने को कहा था। पर अब मुझे समझ में आ गया है कि उसने क्यों कहा कि वह रावण बनना चाहता है।’’

रोहित ने पूछा ‘‘ क्यों?’’

सर ने बताया ‘‘ मानव तो पहले ही मेरे पास आया था यह कहने कि मैं तुम्हंे राम बना दूँ पर जब मैंने मना कर दिया तब उसने तुम्हंे राम बनाने के लिये दर्द का बहाना करके विनय को मैच खेलने का लालच दिया और जब मैंने उसे राम बनने को कहा तो बोला कि वह रावण बनना चाहता है।’’

‘‘ मानव रावण और राम नहीं आज के समय का असली लक्ष्मण है जिसने अपने भाई जैसे मित्र के लिये इतने त्याग किये।’’

यह सुन कर रोहित को अपने कहे पर पश्चाताप हुआ और उसने मानव को गले लगा लिया।

लेखिका अलका प्रमोद
5/41 विराम खण्ड ,
गोमती नगर,लखनऊ-226010
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