आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (26)
वर्ष 2015 में मेरे साहित्य पर केंद्रित दो विशेषांक निकले। विकेश निझावन के संपादन में अंबाला से निकलने वाली त्रैमासिक...
वर्ष 2015 में मेरे साहित्य पर केंद्रित दो विशेषांक निकले। विकेश निझावन के संपादन में अंबाला से निकलने वाली त्रैमासिक...
नौकरी छोड़ दी थी और मेरे पास समय ही समय था ।हालांकि यूनिवर्सिटी से जुड़ाव बना रहा। हफ्ते में दो...
उन दिनों मैं कमल गुप्त का मैकाले का भूत पढ़ रही थी ।इसे जो पढ़ना शुरू किया तो खत्म करके...
इसी वर्ष नमन प्रकाशन ने सुरेंद्र तिवारी के संपादन में 20वीं सदी की महिला कथाकारों की 10 खंडों में कहानियां...
विनोद सर झुंझुनू से 35 किलोमीटर दूर चुडैला ग्राम चुरू में यूनिवर्सिटी खोलना चाहते थे। 5 फरवरी 2009 में यूनिवर्सिटी...
कैसी विडंबना है कि एक तरफ किताबें पाठकों के लिए तरस रही है तो दूसरी ओर साहित्य के मठाधीश अपने...
दिसंबर में मुंबई की जैसे जवानी लौट आती है। मौसम खुशगवार हल्की हल्की ठंड। सुबह के वक्त हल्का स्वेटर पहनना...
आलोक भट्टाचार्य नवोदित लेखिका सुमीता केशवा की किताब एक पहल ऐसी भी का लोकार्पण हेमंत फाउंडेशन के बैनर तले कराना...
6 तारीख ने लिया भी दिया भी। 6 सितंबर को नौकरी ज्वाइन की और 6 मई को रमेश की मृत्यु...
हेमंत की मृत्यु के बाद मेरी बर्बादी के ग्रह उदय हो चुके थे ।मीरा रोड का घर हेमंत के बिना...