आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (46)
अब यूं है कि हमारे सन्नाटे में नरगिस चटखती है ।उसके फूलों का शबाब चैन नहीं लेने देता। सो जुट...
अब यूं है कि हमारे सन्नाटे में नरगिस चटखती है ।उसके फूलों का शबाब चैन नहीं लेने देता। सो जुट...
केरल जाने के लिए मुम्बई से फ्लाइट लेनी थी।मुंबई पहुंचते ही न जाने क्या हो जाता है मुझे ।मुंबई की...
मेरी जिंदगी तीन काल खंडों में बंटी है और इन काल खंडों का मेल ही मेरा इतिवृत्त है लेकिन इन...
कबीर तन पँछी भया ,जहाँ मन तहाँ उडि जाय भोपाल बिल्कुल अनजाना शहर। रिश्तेदारों में बस विजयकांत जीजाजी। सभी की...
मॉस्को से दिल्ली लौटे तो महानगर डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम के कारनामों के विरोध में हिंसा पर उतर...
विकेश निझावन जी का आग्रह रहता है कि मैं अधिक से अधिक रचनाएं पुष्पगंधा के लिए भेजूं। अंबाला में मेरे...
23 मई हेमंत का जन्मदिन हर साल एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। पूरे मुंबई में उत्सव का माहौल...
इन दिनों कविता के प्रति रुझान तेजी से हो रहा था। कहानी दिमाग में आती ही नहीं थी।सुबह घूमने जाती...
भोपाल के आईसेक्ट विश्वविद्यालय द्वारा अविभाजित मध्यप्रदेश के कथाकारों की कहानियों के 6 खंड प्रकाशित किए गए हैं। यह प्रोजेक्ट...
इतनी लंबी साहित्यिक यात्राओं के बाद मुझे काफी समय खुश रहना चाहिए था पर मेले की समाप्ति का सूनापन मेरे...