आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (36)
दिल्ली में मौलिक काव्य सृजन द्वारा कृष्ण काव्य सम्मान 20 अक्टूबर को मिलना था । कार्यक्रम के आयोजक सागर सुमन...
दिल्ली में मौलिक काव्य सृजन द्वारा कृष्ण काव्य सम्मान 20 अक्टूबर को मिलना था । कार्यक्रम के आयोजक सागर सुमन...
सूने घर का पाहुना ज्यूँ आया त्यूँ जाव औरंगाबाद पहुंचकर प्रमिला से लिपट खूब रोई ।सब कुछ खत्म ।हेमंत...... मुंबई...
स्टोरी मिरर से मिलने वाले पुरस्कार की बात धीरे-धीरे फैल रही थी। मुंबई की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा मेरे सम्मान में...
मुंबई की बारिश जितनी खूबसूरत होती है उतनी ही डराती भी है। महानगर को पानी पानी होते देर नहीं लगती।...
किसी से मिलना बातें करना,बातें करना अच्छा लगता है। लेकिन ज़िंदगी इतनी आसान कहाँ! वह तो वीराने में फैला हुआ...
कुछ देश ऐसे रहे जो मेरी भ्रमण लिस्ट में कहीं फीके फीके से अंकित थे। ऐसा ही था श्रीलंका। पर...
संस्मरण बाबा आदम और बल्गारिया की राधिका लेखिका : संतोष श्रीवास्तव बलगारियन शायरा ब्लागा दिमित्रोबा की नज़्म है एक पेड़ था...
माहिया 1) आंखों के दर्पण में तू ही तू है बस हर एक समर्पण में।। 2) नदिया जो...
जय मां शारदे विद्या दायिनी कल्मष हारिणी वीणा वादिनि वर दायिनी माता । वर दो ऐसा काव्य पथिक कहाऊं। नित नवीन भावों को गूंथूं शब्दों की माला पहनाऊं । शब्दों से अपने सबको सुख पहुचाऊं ऐसी कर दो कृपा मां तुम विश्व रचयिता त्रय ताप नाशिनी जगत तारिणी मातु कालिका जगत पालिका क्लेश हारिणी लेखन हो मेरा मां तेरे जैसा ...
पुस्तक समीक्षा : समीक्षक - अलका प्रमोद ‘‘बम-बम चिक-चिक गिली-गिली पाशा’’ बच्चों के मन का दर्पण ‘‘बम-बम चिक-चिक गिली-गिली...