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निकला करता है रातों में ख़्वाब बेचने सौदागर – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

निकला करता है रातों में  ख़्वाब बेचने सौदागर निकला करता है रातों में  ख़्वाब बेचने सौदागर झोली में भर कर...

ज़िंदगी की चौसर में समय की गिरती कौड़ियां – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

ज़िंदगी की चौसर में समय की गिरती कौड़ियां ज़िंदगी की चौसर में समय की गिरती कौड़ियां साँसें हैं सब दांव...

ज़िंदगी ले आई है ये किसके सामने मुझे – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

ज़िंदगी ले आई है ये किसके सामने मुझे ज़िंदगी ले आई है ये किसके सामने मुझे लग रहे हैं झूठे...

उम्र भर हम हादसों की धूप में जलते रहे – ज्योति ‘किरण’ सिन्हा

उम्र भर हम हादसों की धूप में जलते रहे उम्र भर हम हादसों की धूप में जलते रहे तूने जिन...