नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे, खेली होली !जागी रात सेज प्रिय पति सँग रति सनेह-रँग...
नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे, खेली होली !जागी रात सेज प्रिय पति सँग रति सनेह-रँग...
मौन रही हार मौन रही हार , प्रिय-पथ पर चलती, सब कहते शृंगार! कण-कण कर कंकण, प्रिय किण-किण रव किंकिणी,...
प्रिय यामिनी जागी प्रिय यामिनी जागी । अलस पंकज-दृग अरुण- मुख तरुण-अनुरागी। खुले केश अशेष शोभा भर रहे, पृष्ठ-ग्रीवा-बाहु-उर पर...
सखि वसन्त आया सखि वसन्त आया ।भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया ।किसलय-वसना नव-वय-लतिकामिली मधुर प्रिय-उर तरु-पतिका, मधुप-वृन्द बन्दी-- पिक-स्वर नभ सरसाया...
रंग गई पग पग धन्य धरा रँग गई पग-पग धन्य धरा,---हुई जग जगमग मनोहरा । वर्ण गन्ध धर, मधु मरन्द...
प्रिया के प्रति एक बार भी यदि अजान के अंतर से उठ आ जातीं तुम एक बार भी प्राणों की...
सरोज स्मृति ऊनविंश पर जो प्रथम चरण तेरा वह जीवन-सिन्धु-तरण; तनये, ली कर दृक्पात तरुण जनक से जन्म की विदा अरुण! गीते मेरी, तज रूप-नाम वर लिया अमर शाश्वत विराम पूरे कर शुचितर सपर्याय जीवन के अष्टादशाध्याय, चढ़ मृत्यु-तरणि पर तूर्ण-चरण कह - "पित:, पूर्ण आलोक-वरण करती हूँ मैं, यह नहीं मरण, 'सरोज' का ज्योति:शरण - तरण!" अशब्द अधरों का सुना भाष, मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश मैंने कुछ, अहरह रह निर्भर ज्योतिस्तरणा के चरणों पर। जीवित-कविते, शत-शर-जर्जर...
राम की शक्तिपूजा रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण-शर-विधृत-क्षिप्र-कर वेग-प्रखर शतशेलसंवरणशील नील नभ गर्ज्जित स्वर , प्रतिपल- परिवर्तित-व्यूह-भेद-कौशल-समूह राक्षस- विरुद्ध प्रत्यूह- क्रुद्ध-कपि-विषम-हुह, विच्छुरितवह्रि- राजीवनयन-हत लक्ष्य- बाण लोहितलोचन- रावण-मदमोचन-महीयान राघव-लाघव-रावण-वारण-गत-युग्म-प्रहर उद्धत- लंकापति मर्द्दित-कपि-दल-बल-विस्तर अनिमेष-राम-विश्वजिद्दिव्य-शर-भंग-भाव, विद्वांग-बद्ध-कोदंड-मुष्टि-खर-रुधिर-स्राव, रावण-प्रहार-दुर्वार-विकल वानर-दल-बल मूर्च्छित-सुग्रीवांगद- भीषण-गवाक्ष-गय-नल, वारित-सौमित्र-भल्लपति-अगणित-मल्ल-रोध, गर्ज्जित-प्रलयालब्धि-क्षुब्ध-हनुमत-केवल-प्रबोध , उदगीरित्त-वह्रि-भीम-पर्वत-कपि-चतुःप्रहर,...
मुहावरा—मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है—’अभ्यास’। हिन्दी में यह शब्द रूढ़ हो गया है, जिसका अर्थ...
धारावाहिक उपन्यास सुलगते ज्वालामुखी लेखिका - डॉ अर्चना प्रकाश कभी-कभी इन्सान अपनी बुलन्द योजनाओं में ही उलझे रह जाते हैं...