लघु कथाओं के रंग – महिमा श्रीवास्तव के संग
सुलगते आँसू ऑफिस पहुँचकर मानसी ने घडी देखी और चैन की साँस ली। समय के पहले ही आ गयी थी...
सुलगते आँसू ऑफिस पहुँचकर मानसी ने घडी देखी और चैन की साँस ली। समय के पहले ही आ गयी थी...
देखिये मायूस चेहरे पर हंसी की हाज़िरी दिल में जब हो जाये धोके से ख़ुशी की हाज़िरी अब ख़ुदा जाने...
संतोष श्रीवास्तव ज़िंदगी यूँ हुई बसर तनहा काफिला साथ और सफर तनहा खंड (१)...
सुनीता माहेश्वरी रात के ढाई बजे थे, पर उनसठ वर्षीय डॉ. अनूप माहेश्वरी की आँखों में नींद नहीं थी | उनके मन में उथल-पुथल सी मची...
डॉक्टर कुसुम त्रिपाठी महादेवी वर्मा ने ठीक ही लिखा है, "युगों के अनवरल प्रवाह में बड़े-बड़े साम्राज्य बाह गये, संस्कृतियाँ लुप्त हो...
संतोष श्रीवास्तव अभी कल ही कविता की चार पंक्तियाँ दिमाग में आई थीं- सीता तुम लोकगीतों में हो| राम धर्म में...