सच्चा प्यार दूर जा चुका था : राजुल 

0

ब्रेक-अप स्टोरी

सच्चा प्यार दूर जा चुका था

                                                        – राजुल

पूनम और राकेश की पहली मुलाकात तब हुई थी, जब राकेश डेढ़ साल का था और पूनम ने अस्पताल में आँखे खोली थीं।

राकेश का परिवार पूनम के पड़ोस में रहता था। दोनों की माओं में काफी बनती थी। जब तक पूनम की माँ अस्पताल में रहीं, राकेश की माँ रोज़ उसके लिए सूप और शाम की चाय ले जातीं।

ऐसे में जब पूनम की बड़ी बहन रूपल, माँ को याद करके रोती, तब राकेश की माँ उसे भी अपने साथ अस्पताल ले जातीं। उसके साथ-साथ राकेश भी चला जाता।

यूं राकेश चुप बैठने वाले बच्चों में नहीं था, इसलिए पहले दिन उसे अस्पताल ले जाने में माँ को डर लगा, पर राकेश ने अपने स्वभाव के विपरीत वहां कोई हंगामा नहीं किया। वो तो चकित सा उस नन्हीं  गुड़िया को देख रहा था, जो पालने में सो रही थी।

रूपल ने आते ही उसे माँ के पास से हटाकर पालने में लिटाने को कह दिया था। राकेश पालने के सामने खड़ा उसके जागने का इंतजार करने लगा। तीन बार पूनम ने राकेश की ओर देखा और राकेश का दिल नाच उठा। वो बातों में मस्त अपनी माँ का हाथ खींच-खींचकर उसे दिखाने लगा कि कैसे नन्हीं गुड़िया सिर्फ़ उसे ही देख रही है।

हफ़्ते भर बाद पूनम की माँ घर लौट आई। राकेश का ज़्यादातर समय पूनम के ही यहाँ गुज़रता। वो उसकी नन्हीं उंगलियाँ हाथ में लेकर कहता, ’देखो आंटी, गुड़िया ने मेरा हाथ पकड़ लिया।’ पूनम की माँ हंस देती।

राकेश को पूनम के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता। पूनम बड़ी होने लगी, तो उसके हाथ-पाँव चलते और राकेश को लग जाते, तो वो बैठकर रोता कि गुड़िया उसे मार देती है और फिर भी उसे कोई नहीं डांटता।

पूनम और बड़ी हुई तो, दांत भी काट लेती। कई बार राकेश को बुरी तरह धुन देती और बदले में राकेश भी उसे चपत लगा देता, लेकिन तब उसे डांट पड़ती, जिसकी वजह से उसे पूनम बुरी लगने लगी।

पूनम की बहन रूपल से उसकी दोस्ती थी, पर राकेश और पूनम के बीच अब 36 का आंकड़ा बन चुका था। दोनों एक दूसरे को एक आँख नहीं देख पाते। साथ खेलना तो दूर, उन्हें एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं था। पूनम जब भी राकेश को खेलते देखती, झट से उसकी चुगली कर आती और राकेश जब भी पूनम को मिट्टी खाते देखता, उसकी माँ को बुला लाता।

राकेश स्कूल जाने लगा तो पूनम को भी किताब पढ़ने की ज़िद लग गई। पर, एक साल बाद पूनम ने आसमान सर पर उठा लिया, जब उसका दाख़िला राकेश के स्कूल में करवाया गया। वो चाहती थी कि उसे दूसरे स्कूल में भेजा जाये।

उन दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की। राकेश, रूपल और पूनम तीनों साथ जाते, पर राकेश जहाँ पूनम को एक आँख नहीं देख सकता था, वही रूपल उसकी सबसे पक्की दोस्त बन गई थी। रूपल शांत थी और पूनम निहायत चंचल। लड़-झगड़कर वो अपनी ज़िद पूरी कर लेती। कई बार रूपल का मनपसंद खिलौना पूनम के ज़िद करने पर उसे मिल जाता। रूपल सब्र कर लेती। ये देख राकेश पूनम से और चिढ़ जाता।

स्कूल में पूनम जल्द ही लोकप्रिय हो गई। जहाँ रूपल और राकेश पढ़ाई और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए टीचर्स के दुलारे बनें, वहीं पूनम ने ड्रामा क्वीन की उपाधि से जल्द ही पूरे स्कूल का ध्यान आकर्षित कर लिया था। इम्तिहान के नंबर हों या कोई प्रतियोगिता, वो कोशिश करती कि राकेश को हरा दे।

राकेश को एक इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन मिला और उसे रुड़की पढ़ने जाना पड़ा। पूनम ने फ़ैशन डिज़ाइनिंग में एडमिशन लिया और अपने शहर में ही पढ़ाई करने लगी। रूपल एमबीए करने बाहर चली गई।

पढ़ाई का ये सिलसिला कुछ इतना गंभीर हो गया था कि राकेश छुट्टियों में भी घर नहीं आ पाता।
डेढ़ साल बाद दिवाली पर जब राकेश घर लौटा, तो पूनम ये देखकर हैरान रह गई कि पहले की डेढ़ पसली वाला राकेश अब लम्बा नौजवान बन गया था।

हैरानी राकेश को भी कम नहीं हुई थी। एक ओर उसके बचपन की दोस्त रूपल अब एक ख़ूबसूरत युवती बन चुकी थी, वहीं दूसरी और उसके बचपन की दुश्मन पूनम की भी लम्बाई निकल आई थी। राकेश को ताज्जुब होता कि कल तक जो पूनम उसे एक आँख नहीं देख सकती थी, वो आज उससे कितना घुलमिलकर बात करने लगी थी।

पूनम की बहन रूपल के साथ जब वो बातें करता, तो अक्सर पूनम भी वहां आकर खड़ी हो जाती। अब उसकी बातों में पहले की तरह व्यंग्य नहीं होते। राकेश उससे रस्मी बातचीत करता। वो शायद अब तक बचपन की उस तेज़ तर्रार पूनम को भूल नहीं पाया था। पूनम ये बात समझ गई थी। वो तरह-तरह से ये जताने की कोशिश करती कि वो बिलकुल बदल चुकी है।

राकेश उस ओर ध्यान नहीं देता, उसका ज़्यादातर वक़्त रूपल के साथ बीतता। रूपल की धीर गंभीर बातें और सुलझे विचार उसे बहुत अच्छे लगते। वो दोनों जब भी साथ होते, दुनिया की तमाम बातों पर चर्चा शुरू हो जाती। राकेश ये देखकर हैरान रह जाता कि रूपल की नालेज कितनी ज़्यादा है। पूनम आते ही बातों का रुख़ बदल देती और कभी फ़िल्मों, तो कभी फ़ैशन की बातें करने लगती।

एक दिन जब पूनम इसी तरह विषय पलटने की कोशिश कर रही थी, राकेश ने कह दिया कि उसकी दुनिया अलग है, वो सिर्फ़ चमक-दमक से प्रभावित होती है, जबकि राकेश और रूपल की दुनिया गंभीर है।

पूनम उस दिन तो कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहां से चली गई, लेकिन राकेश ने गौर किया कि जब तक वो घर पर रहा पूनम ने दोबारा उसके नज़दीक आने की कोशिश नहीं की। राकेश ने सोचा, अच्छा ही हुआ, वैसे भी उसे पूनम में नहीं बल्कि रूपल में दिलचस्पी थी। वो तय कर चुका था कि जिस दिन उसकी पढ़ाई ख़त्म होगी वो रूपल से शादी की बात करेगा। उसने अपने लिए रूपल की आँखों में प्यार देखा था। वो ख़ुद भी उसे पसंद करता था।

अगली बार राकेश जब छुट्टियों में घर लौटा, तब उसे एक नया परिवर्तन नज़र आया। दरअसल रूपल के सेमिस्टर चल रहे थे। वो इस बार घर नहीं आई थी, लिहाजा राकेश का ज़्यादातर व़क्त अकेले बीतता। पूनम उससे बात करने की कोशिश करती। अब उसकी बातों में पहले की तरह फ़िल्में और  फ़ैशन नहीं होते।

एक दिन राकेश ने मज़ाक में कह दिया कि इंसान लाख कोशिश कर ले, पर अपनी असलियत नहीं बदल सकता, तो पूनम कुछ देर उसे जलती आँखों से घूरती रही और फिर फूट-फूटकर रोने लगी।

उसने कहा, ’बचपन में तुम ही थे जो मेरे साथ रात दिन खेलते थे, आज भी वो खेल जारी है, बस अब तुम मेरी भावनाओं से खेलते हो, मेरा मज़ाक उड़ाते हो। मैं जानती हूँ, तुम्हारी रूपल दीदी से ज़्यादा बनती है, पर मैं भी तो उसी की बहन हूँ, फिर क्यों मैं तुम्हें इतनी बुरी लगती हूँ?’

पूनम को रोते देख राकेश घबरा गया था। वो उसे समझाने लगा। पूनम ने बातें करते हुए अचानक उसके कंधे पर सर टिका लिया। राकेश ने पहले उसे हटाना चाहा, लेकिन फिर उसे लगा कि कहीं पूनम फिर से न रोने लगे, तो वो कुछ नहीं बोला। फिर पूनम ने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उससे चिपककर बैठ गई। राकेश ने उसे हटाना चाहा, पर पूनम ने उसे फिर बातो में लगा लिया। बातें करते हुए पूनम ने अपने मोबाइल पर राकेश की फ़ोटो खींच ली, ये कहकर कि उसके पास राकेश की कोई फ़ोटो नहीं है।

अगले दिन राकेश को अपने लिए कुछ सामान ख़रीदना था। पूनम ज़िद करके उसके साथ आ गई। शॉपिंग के बाद पूनम की ज़िद पर ही उन्होंने फ़िल्म भी देखी।

राकेश को पूनम का व्यवहार बहुत अजीब लग रहा था, पर वो कुछ कह नहीं पाया। अगले दिन राकेश को वापिस जाना था। ट्रेन का टाइम हो रहा था, तभी पूनम आई और ज़िद करने लगी कि इस बार वो उसे छोड़ने जाएगी। राकेश ने मना किया तो पूनम की आँखे भर आईं। मजबूरी में राकेश को मानना पड़ा, लेकिन पूनम के इस व्यवहार से उसका मन अजीब हो रहा था।

वो वापिस लौटा, तो बहुत दिनों तक उसके मन पर पूनम छाई रही। इस बीच पूनम के मेसेज और मिस काल आते रहे। राकेश ने एक दिन फ़ोन पर इस बारे में रूपल से बात करनी चाही, तो उसने बेहद रुख़ाई से बात करके फ़ोन रख दिया। रूपल का ये रुख़ राकेश के लिए नया था। उसने सोचा इम्तिहान के बाद वो ख़ुद रूपल से मिलकर बात करेगा।

राकेश के इम्तिहान बहुत अच्छे हुए। बड़ी कंपनियों के इंटरव्यू भी अच्छे गए और कई बहुत अच्छे प्लेसमेंट के ऑफर मिले। राकेश से इतनी खुशियाँ संभाले नहीं संभल रही थीं। वो इन्हें जल्द से जल्द अपने बचपन की बेस्ट फ्रेंड और जीवन की हमसफ़र रूपल के साथ बांटना चाहता था।

उसने सबसे पहले लखनऊ की ट्रेन पकड़ी, जहाँ रूपल एमबीए कर रही थी। जब वो रूपल से मिला, तो उसे काफी बदलाव नज़र आया। बातों के बीच उसे पता लगा कि पूनम ने घर में सबको कहा है कि वो और राकेश एक दूसरे से प्यार करते हैं। घर वाले उनकी शादी की तैयारियां कर रहे हैं।

राकेश ने अपने दिल की बात रूपल को बताई, पर उसे यकीन नहीं हुआ। रूपल ने वो फ़ोटो दिखाई, जो पूनम ने उसके साथ खींची थी। राकेश को धक्का लगा। उसने रूपल को समझाने की कोशिश की कि वो तो बचपन से ही रूपल को पसंद करता है, तो रूपल ने कहा कि ’वो पूनम की भावनाओं को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते।’

राकेश को बहुत गुस्सा आया। वो रूपल से सारी बातें साफ़ करने का वायदा कर जब घर आया, तब उसे पता लगा कि पूनम से उसकी शादी की बात हो रही है। राकेश ने साफ़ मना कर दिया। घर वालों ने तो कुछ नहीं कहा, पर उस रात पूनम ने अपनी कलाइयाँ काटकर मरने की कोशिश की। उसे बचा लिया गया। ख़बर सुनते ही रूपल आ गई, पर इस बार वो राकेश से दूर रही। राकेश ने उससे बात करने की कोशिश की, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ।

हारकर राकेश ने अपनी माँ को बताया कि वो रूपल से शादी करना चाहता है। उसकी माँ ने रूपल से राकेश के रिश्ते की बात की, तो घर में कोई तैयार नहीं हुआ। यहाँ तक कि रूपल ने भी कह दिया कि ’इस दुर्घटना के बाद वो राकेश के बारे में सोच भी नहीं सकती। वो इतनी ख़ुदगर्ज़ नहीं है कि अपनी बहन की ख़ुशियों में आग लगाकर अपनी दुनिया बसाए। राकेश को पूनम से शादी कर लेनी चाहिए।’

राकेश बौखला उठा। उसने पूनम को जली कटी सुनाईं, रूपल को समझाना चाहा, पर अब बिगड़ी बात बनाने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।

रूपल एक हफ्ते रुकी। तभी उसे यूएस में स्कॉलरशिप मिल गई। रूपल उसके नाम एक नोट छोड़कर चली गई ’कई बार हम वो करना चाहते हैं, जो दूसरो के हित में नहीं होता। अपने फ़ैसले पर फिर सोचना। पूनम अच्छी लड़की है। तुम्हें ख़ुश रखेगी।’

राकेश को समझ में नहीं आया वो क्या करे। उसका सच्चा प्यार उससे दूर जा चुका था और जो उस पर प्यार न्योछावर कर रही थी उससे राकेश ने मन ही मन हमेशा नफ़रत की थी। तीन ज़िदगियां बर्बाद हो चुकी थीं। इस बर्बादी के पीछे पूनम का बचपना और उसकी ज़िद थी या रूपल ने फ़ैसला लेने में पहली बार ग़लती कर दी थी।

 

राजुल 


  • पढ़ने के बाद Post के बारे में Comment अवश्य लिखिए .

विशेष :- यदि आपने website को subscribe नहीं किया है तो, कृपया अभी free subscribe करें; जिससे आप हमेशा हमसे जुड़े रहें. ..धन्यवाद!


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *