रेशीम गाठ – श्रद्धा थत्ते
रेशीम गाठ!!
हे बंध तुझे – माझे…. असे नाही सुटायचे
नाते अपुल्या मधले…. कधी नाही तुटायचे
ही आहे रेशीम गाठ, दिसायला अगदी नाजुक
पण तुटता – तुटता ही… दोरे घट्ट विणले जायचे
अबोला किती ही दिवस असला
तरी बोलताना खूप – खूप बोलायचे
एकमेकांचे मनं दुखावले असले
तरी परत एकदा सगळे विसरायचे
हे नाते मैत्री चे, हे नाते आपुलकी चे
ही गाठ प्रेमा ची आणि हे बंध रेशमा चे
इस मराठी रचना का सार हिंदी में –
ये जो हमारा बंधन है, जो रिश्ता है वो न तो कभी छूट सकता है और न ही टूट सकता है।
ये रेशम की ऐसी डोरी है जो है तो बड़ी नाज़ुक, लेकिन फिर भी हर बार और मज़बूत होती जाती है।
कितने ही दिन बाद मिलें, हर बार नए जैसे ही मिलते हैं।
कुछ ऐसा है हमारा ये रेशमी बंधन।।
श्रद्धा थत्ते सुप्रसिद्ध RJ, गायिका और लेखिका हैं
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