वरुण को सभी बहुत मानते हैं। डायरेक्टर से लेकर शो के प्रोड्यूसर तक के मन में वरुण के लिए एक प्यार है, जो अक्सर दिखाई भी देता है। और ये कोई आसान बात नहीं है। कुछ खासियत तो है वरुण के अन्दर। उसकी निच्छल हंसी में, उसके व्यवहार में; जो रूखे से रूखे इंसान के दिल में भी अपनी जगह बना लेता है। फिर सबसे बड़ी बात तो ये है कि वरुण बहुत मेहनती है। काम में इतनी लगन है कि जिस शो से वो जुड़ता है उस शो को लेकर पूरे ऑफिस में एक सकारात्मक लहर बहने लगती है। शो से जुडा हर इंसान सिर्फ उसी की बात करता है और फिर वो शो हिट भी हो जाता है।
वरुण कहता है ’जब तक शो ख़त्म नहीं होता, रगों में खू़न की जगह शो को अच्छा बनाने के ख्याल दौड़ने चाहिए।’ उसकी ये बात सभी मानते हैं, एक चंचल को छोड़कर। चंचल सोचती है ’बेकार की ड्रामेबाजी करता है, भला कोई शो के बारे में इतना सीरियस कैसे हो सकता है, जबकि चंचल जैसी खूबसूरत लड़की उसके सामने खड़ी हो।’
लोग उसे ऑफिस का ’लकी चार्म’ कहते हैं, पर वरुण को कभी घमंड नहीं होता। वो वहाँ कभी नहीं रुकता, जहाँ उसकी तारीफ़ होती है। ये बात सभी जानते हैं, इसलिए जब उस दिन डायरेक्टर ने दूसरों को डांट लगाते हुए वरुण से प्रेरणा लेने को कहा तो चंचल ने बात ख़त्म होते ही उधर देखा जिधर वरुण खड़ा था, पर वरुण तो वहां था ही नहीं। अभी पांच मिनट पहले चंचल ने उसे दरवाज़े के पास देखा था। ’क्या वो बाहर चला गया?’ ’क्या इसे डायरेक्टर का भी डर नहीं है?’ चंचल ने जब पास खड़े अनंत से पूछा तो उसने कहा, ’वरुण को तारीफ़ अच्छी नहीं लगती, वो वहां से हट जाता है, जहाँ उसकी बात होती है।’
चंचल को बड़ी हैरानी हुई। ये तो कोई बात नहीं हुई। अगर इसी बीच कोई ज़रूरी बात छूट जाए तो वरुण की धज्जियाँ उड़ जाएंगी, इज़्जत बचानी मुश्किल हो जाएगी। उसने खुद से यही कहा, ’इतनी फुटेज खा रहा है। सोचता है, इस तरह ही लोगो का ध्यान आकर्षित हो सकता है, पर बच्चू चंचल तुम्हारी इस लिफाफेबाज़ी में नहीं आने वाली। तुम जैसे बहुत से लड़के कालेज में मेरे पैरो पर गिर चुके हैं। तुम्हें भी एक दिन अपना गुलाम ना बनाया तो मेरा नाम चंचल नहीं। यही सोचकर चंचल ने वरुण से दूर रहने का फैसला किया और वो अपने काम में लग गई।
चंचल ने कुछ दिन पहले ही वहां ज्वाइन किया था। वो वहां का माहौल समझने की कोशिश कर रही थी। उसे अब तक सबसे टेढ़ा वरुण ही लगा था, इसीलिए किसी भी काम में उसे मदद की ज़रूरत होती तो वो जानबूझकर अनंत से पूछती हालांकि वरुण वहीं खड़ा रहता। चंचल को लगता अब वरुण खुद उसे बताएगा। उससे बात करने की कोशिश करेगा, पर वरुण शांति से अनंत और चंचल को बात करते देखता। बीच में बोलना उसकी आदत ही नहीं थी। जब खुद बॉस कहते कि नई लड़की चंचल को गाइड करो तो वो एक मिनट की भी देर नहीं करता। चंचल देखती, वो उसे बहुत सहूलियत से समझाता। बार-बार सवाल करने पर भी नहीं झल्लाता और जब तक चंचल का काम पूरा ना होता वो लगातार उसकी मदद करता रहता।
चंचल ने बहुत से लड़के देखे थे, पर वरुण जैसा पहली बार देख रही थी। शायद यही वजह थी कि ना चाहते हुए भी वो वरुण की ओर आकर्षित होने लगी। उसे लगता अब वरुण उसकी ओर देखे उससे बात करे, और इसी कोशिश में उसने वरुण के नज़दीक जाने के तमाम हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए। वो उससे जानबूझकर कुछ ना कुछ बात करती। समस्या न होने पर भी अपनी समस्या लेकर उसके पास जाती। बातों-बातों में कुछ ऐसा कहती, जैसे लगता वो वरुण पर दिलोजान से न्योछावर है। और तो और उसने वरुण को बाहर का खाना खाने से रोकते हुए अपना टिफिन उसके साथ शेयर करना शुरू कर दिया।
चंचल की कोशिश बेकार नहीं गई। वरुण ने भी उसमें दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। अब वो अक्सर काम के अलावा भी चंचल की डेस्क पर दिख जाता। काम करते हुए चंचल की ओर देखकर मुस्कुरा देता। अब वह चंचल के टिफिन को शेयर करने में पहले की तरह नहीं झिझकता।
ये देख चंचल की हिम्मत बढ़ी। एक दिन वो शनिवार नाईट शो की दो टिकट ले आईं और बोली, ’वरुण जब से मुंबई आई हूँ, एक भी फिल्म नहीं देखी, क्या मुझे कम्पनी दोगे?’ उसने टिकट दिखाते हुए वरुण से पूछा तो वो मना नहीं कर पाया। फिल्म देखते हुए चंचल ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया, तो पहले वो झिझका, फिर खुद ही उसने चंचल का हाथ थाम लिया।
चंचल मुस्कुराई। वो जीत रही थी। इस बार उसका निशाना एक ऐसा लड़का था, जिसने अपने पास आने के सभी दरवाज़े बंद कर रखे थे, फिर भी चंचल के आगे उसकी एक नहीं चली थी। फिल्म देखने के बाद वरुण चंचल को उसके हॉस्टल तक छोड़ने भी गया। रास्ते भर दोनों खामोश थे। चंचल का सर बार-बार वरुण के कंधे से लग जाता और वरुण कुछ और खिसक जाता। ’ये झिझक भी मिट जाएगी’ चंचल ने सोचा।
उस रात के बाद अब वो अक्सर वरुण को बाहर जाने के लिए कहती। शुरू में वरुण ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, पर धीरे-धीरे उसे भी चंचल का साथ अच्छा लगने लगा। चंचल उसे उन जगहों पर ले जाती, जहाँ प्रेमी युगल बैठे रहते।
एक ऐसी ही शाम चंचल ने वरुण की ओर देखते हुए कहा, ’तुम्हें अकेलापन नहीं सताता वरुण?’ वरुण कुछ कहता इससे पहले ही चंचल ने उसके गले में अपनी बाहें डाल दीं और कहती गई, ’मुझे सताता है। मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करती हूँ, जब तुम पास नहीं होते।’ वरुण ने भी उसे बाहों में ले लिया और बिना कुछ कहे ही वो दोनों एक दूसरे में समा गये।
वरुण और चंचल के बीच इस नए रिश्ते की ख़बर जल्द ही पूरे ऑफिस में फैल गई। लोग वरुण को चिढाते, ’संभल जा, वरना ये बला तेरी नाक में नकेल डाल देगी।’ वरुण मुस्कुराता। कोई कुछ भी कहे उसे चंचल बहुत अच्छी लगती।
चंचल ने उसके कपडे़, उसकी घडी, यहाँ तक कि उसके जूते भी खुद ही खरीदने शुरू कर दिए थे। अब वरुण वही करता जिससे चंचल को खुशी होती।
एक दिन चंचल ने उससे पूछा कि वो अपनी तारीफ़ सुनकर बाहर क्यों निकल जाता है। लोग इसका ग़लत मतलब निकाल सकते हैं, तो वरुण ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, ’क्या करूं, वहां रूककर मुझे अजीब लगता है।’ चंचल ने कहा, ’अब जब भी तुम्हारी तारीफ़ हो तुम मेरी ओर देखना, कुछ अजीब नहीं लगेगा।’ वरुण को चंचल पर प्यार आ गया। उसने ऑफिस के उस अँधेरे कोने में ही उसे चूम लिया।
वो दोनों एक दूसरे में खोए ही रहते अगर वहां चपरासी पुत्तीलाल ना आता। उसे देख वो दोनों अलग हुए पर पुत्तीलाल ने सब देख लिया था। ये खबर आग की तरह फैली और प्रोड्यूसर साहब के कानों तक पहुंची। उन्होंने वरुण को बुलाकर समझाया कि इस तरह एक दूसरे को बदनाम करने से अच्छा है कि वो दोनों शादी कर लें। वरुण को ये बात सही लगी। उसने चंचल को एक होटल में ले जाकर डिनर करवाया और प्रपोज़ किया। चंचल की ख़ुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी। ऐसा लग रहा था उसने दुनिया जीत ली है। चंचल ने वरुण से कहा कि वो उसके बारे में अपने घरवालों को बताएगी।
अब जब भी वरूण शादी की जिद करता चंचल ये कहकर वरुण से मोहलत मांग लेती कि ’उसके माता-पिता विख्यात डॉक्टर हैं। ़ज्यादातर उनका समय विदेश में गुज़रता है।’
तभी एक आउटडोर शूटिंग में वरुण को हफ्ते भर के लिए बाहर जाना पड़ा। पहले तो उसने सोचा मना कर दे, पर चंचल ने उसे समझाया कि इससे डायरेक्टर को बुरा लगेगा। वरुण राज़ी नहीं था, क्योकि जब से चंचल उसकी ज़िन्दगी में आई थी। हर प्रोजेक्ट में वो उसे साथ रखता था। पर इस बार चंचल की तबीयत ढीली थी, इसीलिए वरुण को अकेले जाना पड़ा।
शूटिंग के दौरान उसे जब भी मौका मिलता, वो फोन पर चंचल से बात करता। हफ्ते भर बाद वरुण जब वापिस लौटा तब उसे चंचल को देखने और उससे मिलने की धुन लगी थी। उसने ऑफिस आते ही सबसे पहले चंचल के बारे में पूछा, तो पता लगा चंचल दो दिन से ऑफिस नहीं आ रही है। वरुण ने चंचल को फोन किया तो पता लगा कि उसके माता-पिता आए हुए हैं और वो उनके साथ यूएस जाने वाली है।
वरुण हैरान रह गया। वो उसी समय ऑफिस से छुट्टी लेकर चंचल के हॉस्टल पंहुचा, पर वो हॉस्टल में नहीं थी। वरुण ने फिर चंचल को फोन किया, तो पता लगा, वो अपने माता-पिता के साथ होटल में है। शाम को मिलने का वादा कर चंचल ने फोन रख दिया। वो दिन वरुण ने बड़ी मुश्किल से गुज़ारा।
ना चाहते हुए भी उसे चंचल का व्यवहार बड़ा अजीब लग रहा था। वरुण ऑफिस से छुट्टी ले ही चुका था, इसलिए वक़्त से काफी पहले वो सी-बीच पर पहुँच गया जहाँ चंचल ने आने का वादा किया था। चंचल आई और आते ही वरुण से लिपट गई। उसकी आँखे नम लग रही थीं। उसने रोते हुए बताया कि वरुण से शादी के लिए उसके माता-पिता राज़ी नहीं हैं। वो कहते हैं कि वरुण उनके स्टेटस का नहीं है। वरुण ने कहा कि वो दोनों बालिग़ हैं, खुद शादी कर लेंगे फिर तो माता-पिता को आशीर्वाद देना ही पड़ेगा। पर चंचल इसके लिये राज़ी नहीं थी। उसका कहना था कि अब तक उसने अपने माता-पिता की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं किया और वो उन्हें दुःख नहीं पहुंचाना चाहती।
वरुण का धैर्य टूट रहा था। उसने चंचल को झिंझोड़ते हुए कहा कि अगर चंचल को अपने माता-पिता का इतना ख्याल था तो वो उनसे पूछकर ही वरुण के नज़दीक आती। चंचल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
वरुण ने उसे अपनी काबिलियत का भरोसा दिलाया, तो चंचल ने कहा कि वो इतने सालों से एक मामूली एडी बना हुआ है। उसके अन्दर वो ललक नहीं है, जिसकी मदद से लोग आगे बढ़ते हैं, और तो और चंचल ने यहाँ तक कह दिया कि उससे रिश्ता जोड़कर वो ना सिर्फ अपने माता-पिता का दिल दुखाएगी बल्कि ज़िन्दगी भर उसे अभाव में जीना होगा, क्योंकि वरुण कभी उसके लिए वो सब नहीं जुटा सकेगा, जिसकी उसे आदत है।
वरुण उसकी बात सुनकर खामोश रह गया। उसके पास ना चंचल को रोकने की ताकत रही और ना बोलने को शब्द। वो चुपचाप रेत पर बैठ गया। चंचल चली गई। वरुण वहीं बैठा रहा।
अगले दिन ऑफिस में चंचल की शादी का कार्ड लगा था। वो विदेश में रहने वाले किसी अप्रवासी डॉक्टर की दुल्हन बनाने वाली थी। ऑफिस में कानाफूसियाँ चल रही थीं, पर वरुण चुप था, सिर्फ उसका दिल रो रहा था और उससे सवाल कर रहा था ’क्यों अपनी शांत ज़ि़न्दगी में उसने चंचल को आने दिया? क्यों वो चंचल को समझ न सका? क्यों उसने चंचल का खिलौना बनना स्वीकार किया? चंचल को वाकई उससे प्यार था या वो सिर्फ छलावा था?