Break up Story खोने के डर ने जुदा कर दिया

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ब्रेक अप स्टोरी

खोने के डर ने ज़ुदा कर दिया

राजुल अशोक

तृप्ति और मानिक की मुलाक़ात आवाज़ की दुनिया में हुई थी। मानिक रेडियो जॉकी था और तृप्ति एक श्रोता, जिसने हाल में ही रेडियो सुनना शुरू किया था।

वो 19 साल की एक बेहद कमज़ोर दिल लड़की थी। उसे अँधेरे से डर लगता था पिछले कुछ दिनों से वो परेशान थी। नया घर लिया गया था, तबसे उसका कमरा अलग हो गया था। अँधेरे से डरने वाली तृप्ति अब हमेशा लाइट जलाकर सोती। उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती।

एक दिन वो रात में डर की वजह से सो नहीं पा रही थी, तभी उसने रेडियो चलाया। रात का व़क्त था। कोई रेडियो जॉकी बड़ी लच्छेदार बातें कर रहा था। बीच-बीच में वो लोगों को फोन करने के लिए भी कह रहा था। तृप्ति ऊबने लगी। भला इस व़क्त भी कोई फोन करेगा, पर तभी जॉकी ने एक गाना चला दिया। गाना तृप्ति की पसंद का था, इसलिए उसने स्टेशन नहीं बदला। गाना ख़त्म होते ही एक फोन आया। कोई सुनील नाम का शख़्स अपनी दोस्त की बेरुखाई से परेशान था। जॉकी ने उसकी पूरी बात सुनी और कुछ पूछा भी। और फिर बातों ही बातों में उस सुनील को ऐसे समझाया कि फोन रखते व़क्त वो बहुत खुश हो गया। जॉकी ने फिर फोन करने को कहा और गाना चला दिया। इस बीच तृप्ति को मज़ा आने लगा था। उसे पहली बार एहसास हुआ कि कितना भी अकेलापन हो, संगीत से दूर हो जाता है। वो रेडियो सुनती रही और जाने कब सो गई।

सुबह उठी तो उसने रेडियो जॉकी को धन्यवाद दिया। रात उसने फिर वही स्टेशन लगाकर रेडियो सुना और सो गई। बस तब से तृप्ति ने एफ़एम को अपना दोस्त बना लिया।

पहले तो वो सिर्फ रात में अँधेरे का डर भगाने के लिए एफ़एम सुनती, पर धीरे-धीरे ये शौक बढ़ता गया। अब रात में तृप्ति जब तक सो नहीं जाती उसका एफ़एम चलता रहता। कई बार उसकी माँ मोबाइल ऑफ़ करती। उसे डांट भी पड़ती कि उसके कान और जिंदगी दोनों ही इस एफ़एम की वजह से खराब होंगे, पर तृप्ति किसी को क्या बताती कि एफ़एम ने उसकी ज़िन्दगी को कितना आसान बना दिया है।
धीरे-धीरे उसे पता लगा कि रात के उस स्पेशल शो को पेश करने वाले जॉकी का नाम मानिक था।

अपने उस शो में वो रिश्तों की कशमकश सुलझाता, समझाता, मीठी-मीठी बातें करता और गाने सुनवाता। तृप्ति उसके शो की दीवानी थी। वो सुनती रहती कि मानिक कैसे दूसरों की समस्या को चुटकियों में समझ लेता और किस तरह समझकर उन समस्याओं का हल भी ढूंढ लेता। तृप्ति मानिक की इस ख़ूबी की प्रशंसक बन गई थी।

वो कई बार सोचती, मानिक से बात करना चाहती, पर शो में सिर्फ रिश्तों पर आधारित समस्या पर ही बात हो सकती थी और तृप्ति के सामने ऐसी कोई समस्या नहीं थी। पर उसका मन होता कि वो भी अपनी कोई समस्या लेकर जाए, जिसे मानिक सुलझाए।

और जल्द ही ऐसा मौका आ गया। एक सहेली से उसकी अनबन बन हो गई। बात छोटी सी थी पर बढ़ते-बढ़ते लड़ाई तक पहुंच गई। उस दिन तृप्ति बहुत दुखी थी। रात में प्रोग्राम सुनते हुए उसने फोन लगाया। अपनी समस्या बताते-बताते तृप्ति रो पड़ी। मानिक धैर्यपूर्वक उसकी बात सुनता रहा, फिर उसे तसल्ली देकर कहा कि तृप्ति को सारे गिले शिकवे भूलकर अपनी सहेली से बात करनी चाहिए। मानिक के समझाने का असर था कि बेचैन तृप्ति सो गई। अगले दिन जब उसने अपनी सहेली से अकेले में बात की तो उनकी दोस्ती भी हो गई।

अब तो तृप्ति मानिक की और बड़ी फैन बन गई। उसने मानिक से जब-तब फोन पर बात करना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे उनमें दोस्ती हुई और एक दिन मानिक ने तृप्ति को रेडियो मिलने के लिए बुलाया। तृप्ति वहां गई। मानिक उसे पूरा रेडियो स्टेशन दिखता रहा। दोनों ने कैंटीन में कॉफी पी। वापिस लौटते हुए तृप्ति बहुत खुश थी। इसके बाद कई बार तृप्ति मानिक से मिलने रेडियो गई।

एक दिन मानिक का साप्ताहिक अवकाश था। उसने तृप्ति को मिलने के लिए बुलाया। कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद वो दोनों एक गार्डन में बैठे थे, तभी मानिक ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए उसे प्रपोज़ किया। तृप्ति शर्मा गई, उसने पलकें झुका ली।

इस घटना के बाद तृप्ति जैसे हवा में उड़ने लगी। वो बात-बात पर हंस देती। उसके सभी दोस्त जान गये थे कि तृप्ति सर से लेकर पैर तक किसी के प्यार में डूब चुकी है। वाकई तृप्ति पूरी तरह मानिक की दीवानी हो गई थी।

एक दिन मानिक ने उसे अपने फ़्लैट पर बुलाया। तृप्ति को झिझक महसूस हुई। वो अकेले नहीं जाना चाहती थी, इसलिए अपनी सहेली ऋतु के साथ मानिक के फ़्लैट पर पहुंची। मानिक का फ़्लैट काफी बड़ा था। वो तीनों गपशप करते रहे, पर तृप्ति को ये देखकर मायूसी हुई कि मानिक उसकी सहेली से भी काफी घुलमिल गया है। तृप्ति को लगा मानिक हर किसी पर अपना इम्प्रेशन ज़माना चाहता है। पर उसने अपनी बातों और चेहरे को सामान्य बनाए रखा।

वापसी में तृप्ति की सहेली लगातार बोलती रही और तृप्ति सिर्फ ’हाँ’-’हूँ’ में जवाब देती रही। उसकी सहेली मानिक की तारीफों के पुल बांधे जा रही थी और तृप्ति मन ही मन चिढ़ रही थी। ऋतु ने दो-एक बार पूछा भी कि तृप्ति इतनी चुप क्यों है, पर तृप्ति ने कोई जवाब नहीं दिया। घर आते ही उसने सबसे पहले मानिक को फोन किया और उससे देर तक बातें करती रही। फोन रखते हुए उसने अगले दिन मिलने का वादा ले लिया था।

अगले दिन तृप्ति जब मानिक से मिली, तब उसने बातों-बातों में पिछली शाम का ज़िक्र करके मानिक को छेड़ना शुरू कर दिया। मानिक पहले तो हंसी में टालता रहा, फिर उसे तृप्ति की बातें अजीब लगने लगीं, तो वो चुप हो गया। उसे चुप देखकर तृप्ति ने तुरंत अपनी बाहें उसके गले में डाल दीं और कहा, ’यूं ही छेड़ रही थी, तुम तो बुरा मान गये।’ मानिक ने उसे बाहों में भर कर बड़ी देर तक समझाया और फिर बात आई गई हो गई।

मानिक और तृप्ति के बीच दोबारा वो ज़िक्र नहीं हुआ, पर अब तृप्ति ने ऋतु से बात करना कम कर दिया था। ऋतु हैरान थी। उसने तृप्ति से इस बारे में खुलकर बात करनी चाही, तो तृप्ति टाल गई।
एक रात मानिक के प्रोग्राम के दौरान किसी लड़की का फोन आया। तृप्ति ने ग़ौर से उसकी आवाज़ सुनी। उसे लग रहा था कि वो ऋतु है। उस लड़की ने अपना नाम नहीं बताया, पर मानिक को अपना लाइफ़ टाइम फ्रेंड कहकर संबोधित किया। मानिक की आवाज़ से ऐसा नहीं लगा कि उसे इस संबोधन से कोई ऐतराज़ है, बल्कि उसकी आवाज़ में ख़ुशी झलक रही थी।

तृप्ति ने सुना वो लड़की कह रही थी कि वो जिस लड़के को चाहती है, उसकी शादी कहीं और हो रही है। मानिक ने उससे कहा कि उसे अपने प्रेमी से बात करनी चाहिए। लड़की ने बताया कि वो बात करने की कोशिश कर चुकी है, पर लड़का सुनने को तैयार ही नहीं है। इस बात से वो लड़की इतनी दुखी थी कि आत्महत्या तक करने की सोच रही थी। मानिक उस लड़की को काफी देर तक समझाता रहा कि उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। वो एक अच्छी लड़की है। उसे कोई और मिल जाएगा। वो यहाँ तक कह गया कि मैं पहले से ही एक रिलेशनशिप में हूँ वरना मैं ही तुम्हें प्रपोज़ कर देता।

तृप्ति उस लड़की और मानिक की बातचीत सुन रही थी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। उसने उसी समय मानिक को फोन लगाकर अगले दिन मिलने को कहा। मानिक ने उसे रेडियो में ही बुला लिया। अगले दिन सुबह ही तृप्ति ने ऋतु को फोन किया और सीधे यही पूछा कि क्या कल रात उसने मानिक को फोन किया था। उधर से जब हैरान ऋतु ने ’नहीं तो’ कहा, तो तृप्ति का गुस्सा और बढ़ गया।

वो जल्दी से तैयार होकर मानिक से मिलने रेडियो पहंुच गई। उसे पता था मानिक इस व़क्त कहा होगा। वो सीधे स्टूडियो में पहंुच गई। मानिक वहीं था और उसके साथ एक लड़की भी थी। मानिक उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कुछ कह रहा था। तृप्ति को देखते ही उसने उस लड़की का हाथ छोड़ दिया। वो कुछ हडबड़ाया सा लग रहा था। उसने दोनों का परिचय करवाया। कुछ देर बाद वो लड़की जब चली गई, तब तृप्ति ने मानिक को आड़े हाथों लिया।

उसने रात के प्रोग्राम से बात शुरू की तो मानिक ने कहा कि कल वो भी उस लड़की की बातों से परेशान हो गया था। इतना कहते ही उनके बीच बहस छिड़ गई। तृप्ति का कहना था कि मानिक को लड़कियों से बात करते समय इतना घुलने-मिलने की ज़रूरत नहीं है, जबकि मानिक कह रहा था कि यही तो उसके शो का आकर्षण है। वो प्रोग्राम करते समय जितनी अच्छी तरह से लोगों से पेश आएगा, उतने ही ज़्यादा फोन कॉल्स आएंगी।

दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे। बहस बढती जा रही थी। तृप्ति ने कहा, मानिक लड़कियों से बात करते समय कुछ ज्यादा ही नरमी से पेश आता है। अभी भी वो जिस लड़की से बात कर रहा था। उसका हाथ पकड़ने की क्या ज़रूरत थी। मानिक ने कहा, वो उसकी दोस्त है और वो दोनों एक दूसरे को तब से जानते हैं जब से मानिक ने वहां नौकरी करनी शुरू की थी।

तृप्ति ने कहा, ये दोस्ती तो सिर्फ कहने भर की है, वह स्वभाव से मनचला है। मानिक ने कहा, दोस्ती का मतलब तृप्ति जैसी लड़की कैसे समझेगी, जिसे अपनी दोस्त ऋतु की वजह से ही असुरक्षा होती है। तृप्ति छोटे मन की है। ये सुनकर तृप्ति फूट-फूटकर रो पड़ी और तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका झगडा किस हद तक पहुंच चुका है। मानिक को समझ में नहीं आया कि वो क्या बोले। उसने तृप्ति से पूछा, ’कुछ और कहना है?’ तृप्ति ने ’ना’ में सर हिला दिया। मानिक बाहर निकल गया और तृप्ति घर लौट आई।

उस रात जब मानिक का शो शुरू हुआ, तब दस मिनट बाद एक कॉल आई। फोन नंबर बदला हुआ था, पर आवाज़ तृप्ति की ही थी। उसने अपनी समस्या बताई की कैसे वो एक ऐसे लड़के से प्यार कर बैठी जो हर लड़की के करीब पहुँच जाता है।

उसे डर है कि कहीं वो उसे खो ना बैठे। मानिक ने जवाब दिया, ’प्यार से तो हिम्मत आती है, पर अगर आपके अन्दर डर घर कर रहा है, तो इसका मतलब ये प्यार नहीं है। आप उसे भूल जाइए और ये गाना सुनिए।’

मानिक ने फोन रखते ही गाना चला दिया, पर तृप्ति अभी भी हाथ में मोबाइल लिए बैठी थी, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके और मानिक के बीच जो कुछ हुआ उसका कारण तृप्ति का डर था या मानिक का खुला स्वभाव?

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