दुआ क्या और उनकी बद्दुआ क्या – राजुल
दुआ क्या और उनकी बद्दुआ क्या
दुआ क्या और उनकी बद्दुआ क्या
जो रिश्ता ही नहीं उसका गिला क्या
किसी की सिसकियाँ देती सुनाई
कोई बेआसरा फिर हो गया क्या
मेरे अंदर का बच्चा पूछता है
खिलौने तोड़कर मेरे मिला क्या
नदी आई थी कल फिर बात करने
किनारे का कोई पत्थर हिला क्या
राजुल
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Dua Kya Aur Unki Baddua Kya….well the title itself is hard hitting… straight away pierces one’s soul, leaving one to introspect. The depth of the short yet powerful poem is enough for one to pause for a moment and later completely soak in its beauty. Hats off for such expression!!👏👏 Bravo!!
वाह क्या खूब राजुल दीदी
Kya sunder abhivyakti hai… Dil Atma sab chu gayi