इंसाफ़ मांगती एक स्त्री – रीमा मिश्रा
लघुकथा
यह कहानी मेरी एक सहकर्मी रह चुकी लड़की के जीवन की व्यथा पर आधारित है और जहाँ तक मैं समझती हूँ यह कई स्त्रियों के जीवन की व्यथा है…।
इंसाफ़ मांगती एक स्त्री
सलमा दीदी बड़ी ही चुलबुली, हँसमुख और मिलनसार प्रकृति लड़की थी, वो एक पल में ही किसी को भी अपने व्यहवार से अपना बना लेने की कला में माहिर थी, किन्तु कौन जानता था इस हंसती खेलती लड़की की दुनियां अचानक ऐसा मोड़ लेगी और सारी खुशियां सारी चुलबुलाहट ख़त्म कर जाएगी…।
आज से 5 साल पहले उनकी शादी हुई थी। सलमा दीदी एक बड़े घर की एकलौती बेटी थी। कई ख़्वाब कई अरमान दिलों में सजाएं हर लड़की की तरह सपनों के राजकुमार की दुनियां दिल में बसाए हुए, काफी दान -दहेज़ के साथ वो व्याह कर ससुराल चली गई…।
ससुराल जाते ही सब कुछ एकदम अलग सा लगा, उनके और उनके परिवार के साथ किया गया छलावा सब आंखों के सामने आ चुका था । ससुराल वालों की सारी झूठी बातें सामने देख रही थी, वो ससुराल का घर वास्तव में उनका था ही नहीं जो उनके पिता को दिखाया गया था।
फिर भी वो सब देखते हुए चुप थी, अपने पिता तक को कुछ नहीं बताया।
ससुराल की पहली सुबह सब कुछ उनके लिए एकदम नया था, जैसे कि हर लड़की के लिए होता है। जिस पति के आसरे वो सुसराल पहुँची थी, शादी की अगली सुबह से ही उसके असली रंग दिखने लगे। वो लड़का सलमा दीदी को पलट कर देखता तक नहीं था क्योंकि उसके गैर स्त्री के साथ सम्बंध थे। दिन बीते, बीते महीने पर सलमा दी सब झेलते हुए सब ठीक होने का इंतज़ार करती रही।
पर कुछ दिनों बाद उनके ससुराल वाले भी उन्हें प्रताड़ित करने लगे क्योंकि वो चाहते थे कि वे अपने मायके चली जाए।कई बार ज़हर देने की कोशिश की गई।
पति की प्रताड़ना कोई सह भी ले पर पिता समान ससुर और माँ समान सास की जिल्लत और प्रताड़ना आख़िर कैसे और कितने दिन वो लड़की झेलती।
आख़िरकार अपने भाई को बुलाकर वो अपने मायके चली गयी सबकुछ छोड़ कर, अपने सजाए सपनों को बलि देकर हमेशा हमेशा के लिए चली गयी अपने मायके…।
पर अब वो सीधी साधी लड़की विद्रोही बन चुकी थी … अब वो कानून के दरवाजे पर है, अपने लिए और अपने पिता के लिए इंसाफ़ की गुहार लगाती, अब वो सिर्फ़ इंसाफ़ चाहती है, क्योंकि वो छोड़ चुकी है अपने सपनों के राजकुमार की देहरी…छोड़ चुकी है हर वो सुहागन का श्रृंगार, तोड़ चुकी है अपने भविष्य के सुहाने सपनें…उसे चाहिए तो बस इंसाफ़… सिर्फ़ एक जवाब कि आख़िर क्यों छला गया उसे और उसके पिता को…??
रीमा मिश्रा, आसनसोल(पश्चिम बंगाल)
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