चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए – अशोक हमराही

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चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए

 

चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए
जहां कह दे ये जीवन चल चल दिया जाए

ये सन्नाटा न टूटेगा कभी ऐसे
ग़ज़ल में नाम उनका लिख दिया जाए

हों रिश्ते सर्द इससे पहले आओ
दिलों की बर्फ़ को पिघला लिया जाए

कोई हमराह मंज़िल हो न कोई कारवां
चलो ऐसे भी मंज़र तय किया जाए

अभी हैं ज़िंदगी के इंतिहां कितने
हिसाब इसका भी अब कर लिया जाए

चुकाते ही रहें हैं क़र्ज़ दुनिया के
कोई अब काम ख़ुद का कर लिया जाए

  1. – अशोक हमराही
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7 thoughts on “चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए – अशोक हमराही

  1. Excellent Gazal…. Love it very much!
    12th Feb your birthday Ashok ji? Belated birthday. Wishing you all happiness, all success…

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