Break up Story वो आज भी डरकर कांपने लगती है

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ब्रेक अप स्टोरी

वो आज भी डरकर कांपने लगती है

                                                                                                                                                             राजुल

जोहिता ने जब कालेज में एडमिशन लिया, तब जल्द ही उसके बहुत सारे दोस्त बन गए। जोहिता का सीधा-सादा व्यवहार सबको अच्छा लगता, पर जोहिता शरद से दूर रहती।

वो एक तुनकमिजाज़ लड़का था, जो ज़रा सी बात पर भड़क उठता था। उसके इसी व्यवहार के कारण सब उससे दूर रहते थे। इसका एहसास शायद शरद को भी था, इसलिए वो उन सबसे नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करता। आखिरकार दो चार महीनों में उसे भी सबने स्वीकार कर लिया, बस उससे एक दूरी निभाई जाती।

कालेज का कैम्पस टूर हुआ। सबका जाना ज़रूरी था। जोहिता के रिश्तेदारों के यहाँ शादी थी, पर जब उसके माता-पिता को टूर के बारे में पता लगा, तब उन्होंने निश्चय किया कि वो शादी में चले जायेंगे और जोहिता कालेज टूर अटेंड कर लेगी। जोहिता को समझा-बुझाकर और घर की ज़िम्मेदारी सौंप कर उसके माता-पिता शादी में चले गए।

अगले दिन जोहिता का टूर जाना था। जोहिता ने सुबह जल्दी उठकर सभी तैयारियां कीं। उसे घबराहट थी, क्योंकि घर पर इस बार वो अकेली थी और जाते समय घर को अच्छी तरह बंद करना ज़रूरी था। अपना सूटकेस लेकर जोहिता ने ताला लगाया और चाभी पर्स के एक ऐसे पॉकेट में रखी, जिससे वो सुरक्षित रहे। उसने तसल्ली के लिए दो तीन बार ताले को चेक भी कर लिया।

कालेज में काफी गहमागहमी थी। सभी टूर के लिए बेहद जोश में थे। बड़ी-बड़ी योजनायें बन रही रही थीं। कोई कहकहे लगा रहा था, तो कोई अपनी तैयारियों के बारे में बता रहा था।

जोहिता भी उन सबके बीच मगन हो गई। फिर भी उसने दो तीन बार पर्स टटोलकर देख लिया, चाभी सुरक्षित है या नहीं। उसकी ये हरकत लोगों से छिपी नहीं रही। सब बार-बार पूछने लगे, तो उसने धीरे से बता दिया। जोहिता की सहेली शैली ने कहा कि ’इस तरह वहम करेगी तो चाभी ज़रूर खो जायेगी। चाभी को भूल जा और टूर के बारे में सोच।’

जोहिता सामान्य होने लगी। बस से जब वो लोग नियत स्थान पर पहुंचे, तब तक जोहिता सब कुछ भूल चुकी थी। वो स्थान बहुत सुन्दर था। चारों तरफ हरियाली और आसमान को चुनौती देते पहाड़ सभी की बहुत पसंद आये। बस से उतरकर वो सभी ठहरने की जगह पर पहुंचे। टीचर ने कहा था, एक घंटे के अन्दर तैयार होकर और नाश्ता करके उन्हें चल देना है। पहाड़ की चढ़ाई थी, जिसे सूरज चढ़ने से पहले ही पूरा करने में ही भलाई थी।

सभी तैयारी की जल्दी में थे। जोहिता बाथरूम जाने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी, तभी उसने शरद को आते देखा, उसे कुछ हैरानी हुई, क्योंकि लड़कियों के ठहरने की जगह लड़कों से अलग थी। शरद पास आकर बोला कि सामान की पैकिंग खोलते हुए उसका हाथ कट गया है। जोहिता ने देखा वाकई गहरा कटा था। उसने अपने पास से ऐंटीसैप्टिक की बोतल निकाली और शरद के घाव पर मरहम पट्टी कर दी।

शरद चला गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। जोहिता के पास नहाने का समय ही नहीं बचा था। उसकी सहेली उसे कोस भी रही थी कि वो क्यों उस बेवकूफ शरद की देखभाल करने में लगी, इससे तो उसका अपना ही नुकसान हुआ।

जोहिता बिना नहाये ही भागी। उस दिन पहाड़ की चढ़ाई चढ़ते हुए सभी बहुत खुश थे, पर जब शाम को वापिस लौटे तो सभी इतने थक चुके थे कि आते ही बिस्तर पर गिर गए।

अगले पांच दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। फिर जाने का दिन आया। उस दिन सुबह उन्हें पहाड़ पर जाकर अंतिम बार काम करना था। उन्होंने पहाड़ पर एक बहुत सुन्दर बगीचा लगाया था। चढ़ने के रास्ते को समतल किया था और वहां आने वाले पर्यटकों के बैठने के लिए कुछ छतरियां और बेंचें लर्गाइं थीं। सभी अपनी कारीगरी देख बहुत खुश थे।

आखि़री के काम निपटाते हुए सूरज ढलने लगा। वो सभी जल्दी-जल्दी पहाड़ से उतर रहे थे। हड़बड़ी में जोहिता गिरी, तो उसके पैर में मोच आ गई। सभी को सामान बाँधने की जल्दी थी, पर शैली जोहिता के साथ ही रुक गई। जोहिता ने कहा कि इस तरह तो वो दोनों ही देर से पहंुचेगे, और दोनों का सामान नहीं बंध पाएगा, इसलिए उसने शैली को जल्दी उतर जाने की सलाह दी। ये सुनकर शरद, जो उनसे कुछ ही दूर पर चल रहा था, तुरंत पास आ गया और कहने लगा कि वह जोहिता के साथ है, शैली नीचे जाकर जोहिता और अपना सामान बाँध सकती है। शैली चली गई, तो जोहिता और शरद धीरे-धीरे उतरने लगे।

उस शाम शरद ने उससे बहुत सारी बातें कीं। उसने बताया कि वो किस तरह अपने रिश्तेदारों के भरोसे पढ़ रहा है। उसके पिता का निधन हो चुका है, और माँ बेहद बीमार रहती हैं। वो अक्सर अपनी माँ की तबियत के कारण परेशान रहता है। शायद इसी वजह से वो गुस्से में कुछ बोल जाता है। जोहिता चुपचाप उसकी बात सुन रही थी। वो लोग पहंुचने ही वाले थे, तभी शरद ने जोहिता का हाथ पकड़कर कहा, ’मैं पता नहीं क्यों, हमेशा तुम्हारे ही सपने देखता हूँ।’ जोहिता कुछ नहीं बोली, फिर शरद भी चुप रहा। वो लोग लगभग पहुंच ही गए थे।

सामने बस तैयार खड़ी थी। शैली ने उसका सामन पैक कर दिया था। जोहिता और शरद बस पर चढ़ गए। जोहिता ने देखा उसका सभी सामान आ गया था। उसने पर्स में चाभी चेक करने के लिए हाथ डाला तो घबरा गई। चाभी पॉकेट में नहीं थी। बस तैयार खड़ी थी और रेस्ट हाउस में अँधेरा छाया था।

जोहिता को घबराया देख शरद एक बार फिर उसके साथ रेस्ट हाउस तक गया। इधर-उधर चाभी ढूँढने की कोशिश में कई बार वो जोहिता से टकरा भी गया। वो दोनों चाभी ढूंढ रहे थे, तभी जोहिता ने पलंग के नीचे देखा और चिल्लाई, ’मिल गई।’ हाथ में चाभी लेकर जोहिता जब पलटी, तो शरद उसके पास आ चुका था। उसने जोहिता के हाथ पकड़ लिए और उन्हें चूमते हुए बोला, ’ये हाथ सब कुछ कर सकते हैं।’

आने वाले दिनों में जोहिता ने गौर किया कि शरद उससे बात करने या उसके पास बैठने का कोई मौका नहीं छोड़ता। एक दिन क्लास के बाद जोहिता जब घर की और बढ़ रही थी, तभी शरद वहां आ गया। जोहिता को रिक्शा मिल गया, फिर भी शरद, ये कहकर कि ’वो उसे छोड़ते हुए इसी रिक्शे से घर चला जाएगा’, उसके साथ ही बैठ गया। उस दिन शरद रास्ते भर जोहिता के सरल व्यवहार और उसकी खूबसूरत आँखों की तारीफ़ करता रहा। जोहिता ने कोई जवाब नहीं दिया। शरद ने उसके हाथ पकडे़, वो उसके और करीब आ गया, तभी जोहिता का घर आ गया। वो रिक्शा से उतरने को हुई, तब तक शरद उसके गालों के बेहद करीब पहुँच गया था। जोहिता जल्दी से उतर गई।

उस दिन के बाद जोहिता के साथ शरद हमेशा दिखाई देता। एक दिन शैली ने उससे कहा, तो जोहिता ने सारी बात बता दी। शैली ने उसे शरद के बारे में सावधान रहने को कहा, तो उसने बताया कि शरद किन परिस्थितियों में जी रहा है, अगर शरद उसे देखकर, उसके साथ रहकर और उससे बात करके खुश होता है, तो इसमें क्या बुराई हो सकती है। उसने ये भी कहा कि शरद उसे अच्छा लगता है। शैली ये जानकार चुप रह गई। धीरे-धीर जोहिता और शरद के बारे में सभी जान गए। शरद अक्सर जोहिता के घर भी चला जाता।

एक दिन जब जोहिता कालेज नहीं आई, तब वो उसके घर पहंुच गया। वहां उसने देखा जोहिता का कजिन आया हुआ है। जोहिता ने शरद को उससे मिलवाया। सभी हमउम्र थे। जोहिता का कजिन हंसी मज़ाक करता रहा, पर शरद चुपचाप बैठा रहा और कुछ देर बाद उठकर चला गया।

अगले दिन जोहिता जब कालेज आई, तब उसने शरद को बताया कि ’उसका कजिन उसका बेस्ट फ्रेंड भी है। अपने परिवार में सिर्फ वही दोनों हैं और उसका कजिन उसे बहुत मानता है।’ ये सुनकर शरद का चेहरा तन गया। उसने कहा ’ये रिश्ते कभी विश्वसनीय नहीं होते।’ जोहिता हैरानी से उसे देखती रह गई।

उसके बाद शरद अक्सर जोहिता के कजिन के बारे में बात करता और कहता कि कई बार इस उम्र में आकर लड़के इस हद तक बहक जाते हैं कि अपनी सगी बहन को भी ग़लत नज़रों से देखते हैं, फिर जोहिता तो चचेरी बहन है।

जोहिता और शरद की उस दिन पहली बार लड़ाई हुई। फिर तो ये सिलसिला चल पड़ा। जोहिता अगर क्लास के किसी लड़के के साथ बात करती नज़र आती, तो शरद तुरंत पास आकर खड़ा हो जाता। वो कई बार जोहिता को टोक भी चुका था कि उसे क्लास के लडकों से दूर ही रहना चाहिए।

जोहिता की बर्थडे आने वाली थी। शरद ने उससे कहा कि वो उसे लेकर लोनावाला जाना चाहता है, जहाँ वो दोनों अकेले होंगे, पर जोहिता ने बताया कि उसका जन्मदिन हर बार घर पर ही मनाया जाता है, वो नहीं आ सकती। फिर भी शरद जिद करता रहा कि उसे आना ही होगा।

जन्मदिन वाले दिन शरद दिन भर जोहिता का इंतज़ार करता रहा, पर वो नहीं आई। शाम को उससे रहा नहीं गया, वो उसके घर पहंुच गया। उस व़क्त केक कटने वाला था। जोहिता के रिश्तेदार, मित्र और उसका कजिन भी वहां थे। जोहिता शरद को देखकर खुश हुई, पर शरद के चेहरे से गुस्सा साफ़ झलक रहा था। केक काटकर जोहिता ने अपने माता-पिता के बाद पास खड़े कजिन को भी केक खिलाया। उसने भी जोहिता को केक खिलाया। सभी जोहिता को जन्मदिन की बधाई दे रहे थे। उसकी आँखें शरद को ढूंढ रही थीं, पर वो जा चुका था।

जोहिता ने जब रात में उसे फोन किया, तब शरद उससे लड़ पड़ा। जोहिता रोती हुई सो गई। उसने सोचा अगले दिन मिलने पर वो शरद से सारी बात स्पष्ट करेगी।

अगले दिन जब जोहिता शरद से मिली, तब बातें शुरू होने से पहले ही उनकी बहस शुरू हो गई। शरद ने जोहिता पर इल्ज़ाम लगाने शुरू कर दिए कि वो उसे धोखा दे रही है। क्लास के लड़कों के अलावा उसके कजिन से भी उसके सम्बन्ध हैं। जोहिता को भी गुस्सा आया। उसने कह दिया कि ’वो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि शरद का दिमाग इतना गंदा हो सकता है। अब वो शरद की शक्ल भी नहीं देखना चाहती।’

शरद ये सुनकर भड़क गया। उसने जोहिता के बाल पकडे़ और उसे पीटने लगा। कालेज में हंगामा मच चुका था। ये देख जोहिता किसी तरह वहां से निकली और सीधे घर आ गई। शरद उसके पीछे घर भी पहुंच गया और जोहिता को ऊटपटांग बातें कहने लगा। जोहिता के पिता ने उसे पुलिस के हवाले किया।

शरद हवालात पहुँच गया, पर जोहिता सामान्य नहीं हो पा रही थी। कई महीनों तक मनोवैज्ञानिक के पास उसका इलाज चला।

आज भी जोहिता ज्यादातर घर पर ही रहती है। फिल्मों में भी ऐसे दृश्य देखकर वो कांपने लगती है। उसे आज तक समझ में नहीं आया कि उसी के साथ ऐसा क्यों हुआ। वो शरद के अन्दर छिपे जानवर को क्यों नहीं देख पाई। उसने उसी दिन शरद को अपनी ज़िन्दगी से क्यों नहीं निकाल दिया, जिस दिन उसने पहली बार उसके चचेरे भाई पर आरोप लगाया था। वो क्यों भावनाओं में बहकर इतनी दूर निकल आई कि अब मुड़ने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।

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