Ghar par rahen, Ghar par sunen : घर पर रहें घर पर सुनें
कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में 21 दिनों के Lockdown की घोषणा हुई तो सभी के मन में चारदीवारियों में समय काटने को लेकर चिंता थी . लेकिन इस फ़िक्र को रचनात्मक मोड़ दिया लेखनी और सुरों के संगम ने . गीतकार अशोक हमराही ने गीत लिखे और संगीतकार केवल कुमार ने इन्हें स्वरबद्ध किया , फिर ये गीत गायक कलाकारों के पास पहुंचे, जिन्होंने घर में ही इन गीतों को रिकॉर्ड किया . lockdown की अवधि बढ़ती गई और इसी के साथ बढ़ता रहा गीतों का ये कारवां . एक नयी तरह की कोशिश होती रही और यकीन का सफ़र चलता रहा . विश्वावास की इस यात्रा में प्रकाशक भी शामिल है . शुरुआत इस मुहीम के पहले गीत से की जा रही है –
song no. 1
ख़्वाहिशें दहलीज़ के उस पार हैं
ज़िन्दगी के साथ हम इस पार हैं
अब कोई दस्तक नहीं आहट नहीं
भागती फिरती कोई चाहत नहीं
ख़ुद से ख़ुद के जुड़ गए अब तार हैं
ज़िन्दगी के साथ हम इस पार हैं
ख़्वाहिशें दहलीज़ के उस पार हैं
ज़िन्दगी के साथ हम इस पार हैं
तिश्नगी में हम भटकते ही रहे
भ्रम के साये से उलझते ही रहे
खुल गए अब मन के सारे द्वार हैं
ज़िन्दगी के साथ हम इस पार हैं
ख़्वाहिशें दहलीज़ के उस पार हैं
ज़िन्दगी के साथ हम इस पार हैं
– अशोक हमराही
‘Ghar par rahen , Ghar par sunen har din naye gane’
Lyricist- Ashok Hamrahi
Composer- Kewal Kumar
Singer Dr. Shikha Bhadauriya
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