हम हताश मौसम में भी विश्वास जगाएंगे – प्रमिला भारती
हम हताश मौसम में भी विश्वास जगाएंगे।
मुरझाए मन में आशा के दीप जलाएंगे।
सहमा सहमा मौसम था,जब जीवन हुआ हताश,
विश्व गुरु भारत से ही थे सभी लगाए आस।
कुछ लोगों की नादानी से आस हुई मध्यम,
स्वप्न विहीन दृगों में फिर से स्वप्न सजाएंगे।
मुर्झाए मन में आशा के दीप जलाएंगे।
Waah bahut sundar rachna
बहुत ही सुन्दर रचना 🙏