छंदों की भाषा -२
वरिष्ठ साहित्यकार: गोप कुमार मिश्र
उदाहरण -४ पियूष वर्ष तथा आनंद वर्धक छंद
छन्द पीयूषवर्ष
मापनी- 2122 21 , 22 212
लय-1 श्याम राधे श्याम , बोलो रे मना
2- आ गले लग यार , गा ले गालगा
प्रेम मे पाखण्ड, कब निष्काम है।
श्वास लय पर बृम्ह, आठों याम है।।
राम सीताराम, बोलो रे मना।
ग्रंथियों की गाँठ, खोलो रे मना।।1
आनंदवर्धक छन्द
मापनी –2122 2122 212
लय– गाल गागा गा लगागा गालगा
रोप अंगद पाँव रावण की सभा ।
देख हारे बीर योद्धा हत्प्रभा।।
तब दशानन खी़झ आया पाँव गह।
होय तव कल्यान रघु-पद छाँव गह।।
( दोनों छंदो की मापनी देखा जाय तो एक ही है 2122 2122 212,,, यदि दूसरे 2122 मेंं 21 के बाद (,) और अंत में गुरू अनिवार्य हो तो पियूष वर्ष ।। और यदि यति हटा दी और अंत मे (गुरु) तथा (लघु लघु)दोनों ही मान्य हो तो इसी को आनंद वर्धक छंद कहते है)
उदाहरण -५ मनोरम छंद
मापनी 2122 2122
श्याम राधेश्याम बोलो ।
उर पड़ी हर ग्रंथि खोलो।।
श्वाँस वासित रास पावन ।
मन बनें निधि वन सुहावन।।
उदाहरण -6 मालिका
मापनी २१२२ २१२
लेखनी में भार दे।
भाव अक्षत सार दे।।
श्वांस लय स्वर तार दे।
पाणि वीणा शारदे ।।
उदाहरण -7
आधार छंद विधाता में एक गीतिका
मापनी**1222 1222 1222 1222
तुकांत =आम लिखता हूँ
नही मै चैन लिखता हूँ , नही आराम लिखता हूँ
गरीबो के निवाले में , दिवाला आम लिखता हूँ
श्रमिक की स्वेद लहरो में ,समन्दर एक बहता है
अधर शबनम सहर नम में, उबलता घाम लिखता हूँ
सियासत कर रही व्यापार रोटी के निवालोंं का
सियासी दाँव पेचों का नवल आयाम लिखता हूँ
रहें हम चैन से कैसे, सुहाता जब नही उनको
नही अब फर्क पडता जब, लुटेरे चाम लिखता हूँ
सिकें जब बोटियाँ मेरी,शवो की आँच पर मेरी
ढिठाई कर रही गुरबत, नशीला जाम लिखता हूँ
पडें जब दर्द के कोंड़ें,बदन से यूँ लहूँ टपके
जयति जय बोल कर दिल से,सुकूनें-आम लिखता हूँ
गोप कुमार
उदाहरण 8
दिगम्बरी छंद में मुक्तक
मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२
करोना चीन से आया,असर सब विश्व झेले ।
कुटिल मुस्कान अधरो रख , जहर अब विश्व झेले । ।
लगा विस्तार वादी वो भुला संवेदनाएँ,
बजी रणभेरियाँ जग मे , कहर रब विश्व झेले ।।
उदाहरण -9
सिंधु छंद में मुक्तक
मापनी -१२२२ १२२२ १२२२
जरा तुम मुस्कराकर इक नजर देखो ।
कतल तुम शौक से कर दो जिगर देखो।।
नही अब आह वाहो वाह निकलेगी ,
उठेगी दर्द की मीठी लहर देखो ।।