कहानी : बॉबी – पूनम अहमद
बॉबी
राहुल और तनु ने बात तो गम्भीरतापूर्वक करनी शुरू की थी, पर जैसे जैसे दोनों के स्वर ऊँचे होते जा रहे थे, वहीँ पास बैठी उनकी प्यारी गोल्डन रिट्रीवर बॉबी, कभी राहुल का मुँह देखती, कभी तनु का, बॉबी का मन तो हो रहा था कि दोनों अपना यह झगड़ा ख़तम करें और उससे खेलना शुरू करें, उसे बाहर घुमा कर लाये, बॉबी उनकी लड़ाई से बहुत दुखी हो रही थी, उसने अपने मुँह से आवाज निकाल ही दी तो दोनों का ध्यान बॉबी की तरफ गया, दोनों उसे अपनी गोद में लेने के लिए झुके और मेरी बॉबी, मेरा बच्चा कहकर दोनों ने ही उसे जैसे ही छुआ, दोनों के हाथ भी एक दूसरे से टकरा गए, दोनों ने एक दूसरे को घूरा, राहुल ने पूछा,” बॉबी को तुम बाहर ले कर जा रही हो या मैं ले जाऊं?”
”मैं ले कर जाऊंगी, अपनी बॉबी को, आओ बेटा,” कह कर तनु बॉबी को बाहर रोड पर घुमाने ले गयी, बॉबी को घुमाते घुमाते उसने अपनी मम्मी शोभा को फोन मिला दिया और राहुल की जी बाहर कर शिकायत की, बॉबी का पूरा ध्यान तनु पर था, वह यही सोच रही थी कि क्या हो गया है उसके राहुल और तनु को, क्यों इतना झगड़ने लगे हैं, कितनी प्यारी जोड़ी है, आज बॉबी को दोनों की लड़ाई से बहुत दुःख हो रहा था, उसका मन घूमने में भी नहीं लगा, राहुल का ध्यान आया, वह भी घर पर अकेला होगा, उदास होगा, बॉबी ने घर की तरफ चलने का इशारा किया , तनु ने फोन रखते हुए कहा,”बॉबी, क्या हुआ? इतनी जल्दी! तू भी राहुल की तरह आलसी हो गयी क्या !”
बॉबी तो क्या जवाब देती, पशु रूप में जन्म लिया था तो कैसे कहे किसी को अपने मन की बात! वो तो जो प्यार करते हैं, बॉबी जैसों की हर बात, इशारा समझ लेते हैं, बॉबी सुस्त क़दमों से घर की तरफ चल दी, राहुल लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था, तनु ने कहा, बॉबी सुस्त है कुछ?”
राहुल ने फिर तुरंत लैपटॉप बंद कर दिया और बॉबी को गोद में उठा लिया, बॉबी, बच्चे, क्या हुआ?बोलो, बॉल से खेलना है न?”
बॉबी ने पूँछ हिलानी शुरू कर दी और भाग कर अपनी बॉल मुँह में दबा कर उठा लायी, घर के आँगन में फिर राहुल बॉल फेंकता रहा, बॉबी भाग भाग कर बॉल लाती रही, वहीँ चेयर पर बैठी तनु बॉबी पर कुर्बान होती रही। फिर राहुल ने तनु की तरफ देख कर पूछा,” डिनर में क्या है?”
”मेरा कुछ बनाने का मूड नहीं है, कल ऑफिस में एक मीटिंग है, मुझे उसकी तैयारी करनी है, तुम ही कुछ बना लो। ”
राहुल ने तनु को घूर कर देखा तो तनु गुर्राई,”घूर क्या रहे हो? जैसे तुम काम करते हो, वैसे मैं भी करती हूँ।तुम्हारी माँ अभी परसों यही कह कर गयी है न कि मुझे कुछ नहीं आता, मैंने तुम्हे परेशान कर रखा है, मुझसे शादी करके तुम्हारी किस्मत फूट गयी, यह सब तुम आराम से बैठ कर सुनते हो न ! कभी उन्हें एक जवाब नहीं देते कि वे मुझसे गलत व्यवहार न करें, अब तुम सचमुच मुझसे परेशान हो ही जाओ। मुझे कोई चिंता नहीं !”
”अरे , चुपचाप न सुनता तो और क्या करता, माँ से बहस करके जोरू का गुलाम कहलवाऊं, तुम भी तो उन्हें हर बात का जवाब देती हो, कभी चुप नहीं रहती। तुम ही चुप हो जाओ तो आगे बात नहीं बढ़ेगी।‘’
बॉबी फिर एक तरफ खड़े होकर दोनों का मुँह देखने लगी, समझ गयी दोनों फिर शुरू हो गए और सचमुच फिर इतनी लड़ाई हुई कि सिर्फ बॉबी के लिए उठ कर तनु ने खाना बनाया और खुद भी कुछ नहीं खाया और राहुल भी भूखा ही रह गया, बॉबी ने भी जब कुछ नहीं खाया तो दोनों समझ गए , जानते थे कि हमेशा बॉबी के साथ ही बैठ कर खाते हैं, आज बॉबी भी उनके बिना नहीं खा रही है, बॉबी को खिलाने के लिए तनु ने फिर अपने और राहुल के लिए बस मैगी बनायी। राहुल और तनु के प्रेमविवाह को एक साल ही हुआ था, दोनों मेरठ में ही रहते थे, दोनों अच्छे पदों पर काम कर रहे थे, तनु विजातीय थी इसलिए राहुल के पेरेंट्स उसे पसंद नहीं करते थे, राहुल ने यह घर अलग ले लिए था, तब भी उसकी मम्मी विभा आये दिन उनके घर आतीं और तनु को खूब सुना कर जाती। तनु जबस्दस्त फेमिनिस्ट थी, उसके विचार विभा से बिलकुल मेल न खाते, अपनी बात को दमदार तरीके से कहने का उसका स्वभाव विभा को कतई मंजूर न था, तनु के पेरेंट्स दिल्ली में रहते थे, वे भी इस विवाह से ज्यादा खुश नहीं थे, दोनों की जोड़ी देख कर अगर घर में कोई खुश होता तो वह थी बॉबी, जो एक पशु होते हुए भी सबके दिल की बातें महसूस करती, सबको प्यार करती, जिसके दिल में किसी के लिए नफरत या लड़ाई की भावना न थी, पशु कई मायनों में सचमुच इंसानों से बेहतर हैं, किसी ने कहा भी है कि अगर इंसान पशुओं के थोड़े बहुत गुण अपना ले तो यह दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाए, बॉबी को राहुल अपने दोस्त से लाया था और राहुल और तनु की जान थी बॉबी, दोनों के बीच लड़ाई का कारण दोनों के पेरेंट्स थे, बॉबी का मन करता कि वह दोनों को समझाए कि इस मामले में अपने पेरेंट्स को इग्नोर कर दें और आपस में खुश रहें, बॉबी तो शादी से पहले उन दोनों के रोमांस की भी गवाह थी, शादी से पहले राहुल शहर से बाहर के कम्पनी गार्डन में तनु से मिलने जाता तो अपनी कार में बॉबी को भी कभी कभी ले जाता, बॉबी को उनके पहले के रोमांस के दिन कितने याद हैं, दोनों कितने खुश थे, अब! क्या होता जा रहा है, क्या होगा, समझ ही नहीं आता।
तीन दिन बाद फिर विभा आ गयीं, राहुल टूर पर था, बॉबी के कान खड़े हो गए कि विभा अब तनु के साथ क्या करेगी, तनु ऑफिस से आयी ही थी, विभा ने इधर उधर देखते हुए कहा,”क्या हाल है घर का, जरा साफ़ नहीं है, मेरा राहुल तो इतना सफाई पसंद था।‘’
तनु ने अपने आप को शांत रखते हुए कहा,” अब घर ठीक करुँगी, मम्मी जी, सुबह तो टाइम नहीं मिलता, ऑफिस जल्दी पहुंचना था आज, आप बैठो, मैं जरा बॉबी को पहले बाहर ले जाऊं, बेचारी सारा दिन अकेली रही है घर में,” कह कर तनु बॉबी को ले कर बाहर चली गयी, बॉबी ने महसूस किया कि तनु बहुत थकी और उदास है। बॉबी को दुःख हुआ कि ये कैसे पेरेंट्स हैं जो बच्चों के जीवन में क्लेश करके खुश होते हैं, थोड़ी देर बाद विभा चली भी गयीं, जाते जाते हिदायत दी,”वैसे तो तुम सुनती नहीं किसी की, पर ऑफिस जाती हो तो इसका मतलब यह नहीं कि घर कि देखभाल न करो,पता नहीं क्या सोच कर राहुल ने तुमसे शादी की।‘’
तनु को गुस्सा आ गया, बोली, ”आपको हमारा घर नहीं पसंद तो फिर न आया करें, राहुल को वहीँ बुला लिया कीजिये, हमारा घर तो साफ़ ही रहता है, आपके अलावा किसी ने कभी नहीं कहा कि हमारा घर साफ़ नहीं रहता, सुबह मेड आ कर घर साफ़ करके जाती है, पीछे पूरा दिन बंद रहता है, कहाँ गन्दा है घर ! और अगर है भी गन्दा तो हम खुश हैं।‘’
विभा को ये जवाब बर्दाश्त नहीं हुए, चिल्ला कर बोलीं,”अब तू देख, मैं क्या करती हूँ।‘’
विभा के जाने के बाद तनु बेड पर लेट कर रोने लगी,बॉबी से देखा नहीं गया, उसके हाथ,पैर सब चाट डाले, कूं,कूं करके जैसे उसे तसल्ली दी, फिर खुद भी उदास मन से तनु के पैर के पास लेट गयी, तनु को बॉबी के पास होने से बड़ा सहारा महसूस हुआ, फौरन सब बातों से ध्यान हट गया और बॉबी के बारे में सोचने लगी, कितना प्यार करती है दोनों को, सारी बात समझ जाती है जैसे, मन ही मन यह सोच कर तनु को हंसी आ गयी कि काश सासू माँ बॉबी से आधा भी प्यार दे देती तो लाइफ कुछ आसान हो जाती, सोच रही थी पर कहाँ, वे तो इंसान हैं जिनके दिलों में किसी के लिए भी नफरत हो सकती है, और फिर वह उठ कर बॉबी से लिपट गयी,”बॉबी, तू कितनी प्यारी है, चल, खाना खाते हैं,फिर खेलेंगें ,” बॉबी तो यह सुनकर बेड से कूद कर किचन की तरफ दौड़ पड़ी और तनु भी उसे पुचकारती हुई खाना लगाने लगी।
तनु हैरान थी, राहुल टूर पर है पर न उसका फोन उठा रहा है,न खुद फोन कर रहा है, बस एक मैसेज लिख दिया कि मैं ठीक हूँ, आकर बात करूँगा। राहुल जब टूर से लौटा तो उसका मूड बहुत ज्यादा खराब था, पर बॉबी को गोद में उठा कर प्यार जरूर किया, दोनों में से जो भी बाहर से आता, पहले बॉबी से ही मिलता, उसे खूब दुलारता, बॉबी जैसे दोनों के जीवन का सबसे जरुरी हिस्सा थी, पर तनु पर बिफर पड़ा,”तुमने मेरी मम्मी की इंसल्ट की है? जानती तो हो कि मैं उनके खिलाफ कोई भी गलत बात बर्दाश्त नहीं करूँगा, वे फोन पर कितनी रोयीं, तुमने उन्हें यह कहा है कि यहाँ न आया करें?” राहुल का मूड बुरी तरह खराब था, तनु ने पूछा,” तुम्हे कभी नहीं लगा कि वे गलत बात करती हैं?”
”अगर करती भी हैं तो मेरी मम्मी हैं।‘’
”पर मैं किसी की भी गलत बात हमेशा ही तो बर्दाश्त नहीं कर सकती, तुम्हे पता है तुम्हारे पीछे आकर मुझे क्या क्या कहती हैं?तुम जानते हो उन्होंने मुझे अपनाया ही नहीं है।”
”फिर तो तुम्हे और ढंग से उनके साथ रहना चाहिए।‘’
”मुझसे नहीं होगा।‘’
”तो मैं भी ऐसे नहीं रह सकता कि मेरी मम्मी यहाँ आकर दुखी हों।‘’
”ठीक है, मैं अभी चली जाती हूँ,” कहकर तनु भी गुस्से में अपना बैग उठा कर उसमे कपडे ठूंसने लगी तो बॉबी भोंकी, उस पर ध्यान गया तो तनु बॉबी से लिपट कर रोने लगी,”चल,बॉबी, कहीं और रहेंगें, यहाँ माँ बेटे को रहने दे। ”
राहुल गुस्से से बोला,”बॉबी क्यों जाएगी कहीं ? यह मेरी बॉबी है।‘’
”नहीं,बॉबी को मैं ले जाउंगी, मैं इसके बिना नहीं रह सकती।‘’
”जैसे मेरे बिना रहने जा रही हो, इसके बिना भी रह लेना।‘’
”नहीं, बॉबी को लेकर जाउंगी, कम से कम ये तुम्हारी माँ की तरह मुझसे चिढ़ती तो नहीं।‘’
इस घर से एक मील दूर ही तनु का एक छोटा सा घर था जिसमे वह शादी से पहले रहती थी, वैसे तो शादी होते ही तनु ने उसे किराए पर दे दिया था पर इन दिनों वह घर खाली था, राहुल भी जानता था कि तनु वहीँ जा सकती है, वह सोच रहा था कि अभी आ जाएगी, जब अपनी गलती महसूस होगी।
बॉबी कभी राहुल की जीन्स खींचती, कभी तनु का बैग पकड़ती, पर निरीह सी और कुछ कर नहीं पायी, मायूस आँखों के आगे दो प्यार करने वालों को अलग होते देखती रही, और तनु के पीछे पीछे चल कर उसके साथ जाने लगी तो राहुल ने आवाज दी,बॉबी,आओ इधर, नहीं जाना है।‘’
बॉबी वापस राहुल की तरफ मुड़ गयी, तनु ने पलट कर राहुल को देखा तो वह तनु की तरफ अकड़ और विजयी भाव से देखने लगा, तनु अकेली चली गयी, पर उस रात जब बॉबी ने कुछ भी नहीं खाया, गेट के पास बैठ कर अजीब अजीब सी आवाजें निकालने लगी तो राहुल उसे अपने साथ बेड पर लिटा कर उससे खेलने लगा पर बॉबी चुपचाप बैठी रही, राहुल खाना खाने बैठा तो बॉबी ने उसकी तरफ देखा भी नहीं और गेट के पास जाकर भोंकने लगी। राहुल ने उठ कर गेट खोल दिया तो सीधे तनु के घर जाकर जोर जोर से भोंकने लगी, बॉबी इस घर को खूब पहचानती थी, तनु ने उसे आया देखा तो ख़ुशी के मारे उसकी आँखें भर आयी, उसे गोद में उठा लिया, खूब प्यार किया, बॉबी भी उसकी गोद से उतरने को तैयार ही नहीं थी, तनु बहुत खुश हुई, उसने अपने लिए अभी बाहर से खाना मंगाया था, खाना भी आ गया तो उसने बॉबी को अपने साथ खिलाया, खाना खाकर, तनु के साथ टाइम बिता कर बॉबी अपने आप राहुल के पास आ गयी और आराम से जमीन पर नीचे अपने बेड पर लेट गयी।
राहुल और तनु को यह अंदाजा तो बिल्कुल नहीं था कि इस बात पर आपस का झगड़ा इतना बढ़ जायेगा कि तलाक की नौबत आ जाएगी, पर अब मामला गंभीर था, तनु के पेरेंट्स ने उसे थोड़ा एडजस्ट करने के लिए समझाया तो पर तनु को बार बार सास के कटु ताने और राहुल का उनको कुछ भी न कहना अब सहन नहीं था, तलाक की बात भी विभा ने ही फोन पर तनु से की,कहा,” तुम्हारा गुजारा मेरे सीधे सादे बेटे के साथ होगा नहीं,उससे तलाक लो, और उसे चैन से रहने दो।‘’
तनु ने कहा,”मैं तैयार हूँ,कर लो अपने बेटे को आज़ाद। ”और विभा ने छल कपट से उन दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया शुरू करवा दी थी, राहुल के पिता थे नहीं, घर में माँ बहनों की ज़िदों का बोलबाला था। बॉबी दुखी थी, कभी एक घर से दूसरे घर भटकती रहती, दोनों का प्यार चाहिए था उसे, वह किसी बच्चे से कम नहीं थी, जैसे एक बच्चे को अपने माता पिता दोनों का साथ और प्यार चाहिए होता है, वही बॉबी को चाहिए था और ये दोनों भी देख रहे थे कि बॉबी अब पहले की तरह खुश नहीं रहती, अपनी मनपसंद की चीजें भी छोड़ कर दूसरे के पास पहुँच जाती है, पड़ोस के लोग भी बॉबी को खूब पसंद करते, आसपास वालों को राहुल और तनु के अलग अलग रहने की भनक मिल चुकी थी, बॉबी को इधर से उधर जाते देखते तो कोई हँसता, किसी को उस पर प्यार आता, बॉबी कभी भी किसी के पास रहती, राहुल और तनु बॉबी से सम्बंधित बात और मैसेज ही फोन पर करते,उनकी बात इस तरह की होती, ‘बॉबी पहुँच गयी न? उसने कुछ खाया था? कल उसे अपने पास रख लेना, मुझे देर होगी.’
ऐसा नहीं कि राहुल और तनु को एक दूसरे की याद न आती, दिन तो दोनों का ऑफिस में बीत जाता पर शाम और रातें कटे न कटती, एक दूसरे के साथ बिताये हसीन पल, प्यारी मुस्कुराहटें,खिलखिलाहटें, आँखों के आगे किसी फिल्म के दृश्यों से घूमते, पर बात इस तरह बढ़ गयी थी जिस तरह कभी सोची भी नहीं थी, प्यार दिलों में आज भी था पर दिलों में दरार आने से ईगो अब अपने पैर पसार चुकी थी। और इन दोनों की उदासी की गवाह थी, बॉबी, जो एक मूक पशु होते हुए भी दोनों की भावनाओं को महसूस करती। एक रविवार तनु छत पर कपडे सुखा कर सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, अचानक उसका पैर फिसला और गिरते गिरते उसके मुँह से एक चीख निकली और वह गिरने पर बेहोश हो गयी, बॉबी कूदती हुई उसके पास पहुंची, उसके पैर, हाथ चाटे, भोंकी, तनु के शरीर में जरा भी हरकत नहीं हुई, तो बॉबी को महसूस हुआ कि कुछ गलत हुआ है, अभी घर का गेट खुला हुआ था क्योंकि मेड अभी गयी ही थी और तनु ऊपर छत पर थी, बॉबी ने राहुल की तरफ दौड़ लगा दी और राहुल को देखते ही लगातार भोंकना शुरू किया, पहले तो राहुल ने सोचा कि भूखी होगी,पर जब राहुल का हाथ हलके से मुँह में दबाते हुए बॉबी ने बाहर चलने का इशारा किया तो वह चौंका, बॉबी उसे पकड़ कर तनु की सीढ़ियों के पास ले गयी जहाँ तनु बेहोश पड़ी थी, राहुल घबरा गया, फौरन तनु को गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया। राहुल ने फौरन गली के डॉक्टर को फोन किया, डॉक्टर जल्दी ही आये, तनु का चेक अप किया, उसे इंजेक्शन दिया,तनु को कुछ चोटें आयीं थीं, पट्टी बाँधी, अगले दिन आने के लिए कह कर डॉक्टर चले गए, तनु को जल्दी ही होश आया, आँख खुलते ही राहुल के हाथ में अपने हाथ पर और पास बैठी टुकुर टुकुर देखती बॉबी पर नजर पड़ी, इतना ही कहा,”क्या हुआ?तुम यहाँ?”
”बॉबी बुलाकर लायी, तुम गिर गयीं थीं, तुम्हारा ब्लड प्रेशर हाई चल रहा है? बताया क्यों नहीं ?”
राहुल के हाथ में अपना हाथ, उसका कोमल स्पर्श, उसके चेहरे पर अपने लिए चिंता, तनु की आँखें भर आयीं, कहा कुछ नहीं, राहुल ने ही फिर कहा,” कुछ खाने के लिए है किचन में? तुम्हे दवाई देनी है,” फिर तनु की कोहनी जहाँ पट्टी बंधी थी,पर हाथ रखता हुआ बोला,”दर्द है?”
”हाँ।”
”आओ, बॉबी, मैडम के लिए कुछ खाने के लिए लाते हैं,” बॉबी राहुल के पीछे लपक कर उठी पर तनु ने कहा,”आ जा , बॉबी, मेरे पास रहो,”फिर बॉबी तनु के पास आ दुबकी, राहुल हँसता हुआ किचन की तरफ चला गया , दोनों को लगा जैसे बीते दिनों में कुछ हुआ ही नहीं था, दिलों में सोया प्यार जैसे जाग उठा था, और ऐसे जागा था इस बार कि दोनों को लगा जैसे ऐसा तो बहुत समय बाद हुआ कि एक दूसरे को देखने के बाद जैसे जलते दिल पर शीतल जल की फुहार सी बरस गयी थी।राहुल एक प्लेट में खाना ले कर आ गया,तनु को अपने हाथ से खिलाने लगा, बॉबी खुश होकर भौंकी, दोनों हंस दिए, तनु ने कहा,”तुम भी खा लो। ”
”मेरा थोड़े ही बना होगा।” राहुल इस समय थोड़े हसी मजाक के मूड में आ गया था, तनु समझ गयी कि सुलह का मौका मिला है, वह भी जी नहीं पा रही राहुल के बिना ! उसने कहा,” तुम कैसे खा रहे हो आजकल?”
”मम्मी की तरफ जाता हूँ,तो वहीँ खा लेता हूँ, पर बॉबी की वजह से कुछ बनाना पड़ता है,क्योंकि तुम्हारी तरह बॉबी भी मम्मी को पसंद नहीं करती, वहां ले गया था तो मैडम ने भोंक भोंक कर सबकी नाक में दम कर दिया, घर आकर ही शांत हुई, न वे प्यार करते इसे, न ये करती है उन लोगों को पसंद। पर मेरी तुम्हारी तो जान है ये, है न !”
तनु ने एक ठंडी सांस लेकर कहा,” जो इंसान से प्यार नहीं करते, वे भला जानवरों से क्या प्यार करेंगें !”
अब राहुल ने सीरियस होकर कहा,”ठीक कह रही हो !”
थोड़ी देर बाद राहुल ने मायूसी से कहा,” चलूँ? कोई प्रॉब्लम हो तो फोन कर देना, कल मैं आ जाऊंगा, डॉक्टर को एक बार दिखाना है।”
राहुल उठने लगा तो लेटी हुई तनु ने उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया, आँखों की कोरों से नमी बह गयी, राहुल ने पल भर उसका उदास चेहरा देखा, और झुक कर उसके होंठ चूम लिए, उसके गाल सहलाते हुए कहा,” सॉरी, तनु, मैंने तुम्हारे साथ गलत बर्ताव किया।‘’
तनु ने उठने की कोशिश करते हुए राहुल के गले में बाहें डाल दीं, राहुल ने उसे बाहों में भर लिया और अपने सीने से लगा लिया, बहुत से पल यूँ ही गुजर गए, जीवन में आने वाले तूफ़ान की दिशा देखते ही देखते बदल गयी थी, अब बस प्यार का सागर लहरें मार रहा था, दोनों ने पास बैठी बॉबी को अपने बीच में लिटा लिया और दोनों उसे थैंक यू, बॉबी, हमारी जान, कहते कहते उससे खेलने लगे थे और बॉबी कभी राहुल के ऊपर, कभी तनु के ऊपर कूद रही थी।
— पूनम अहमद