GHAZAL ग़ज़ल – दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे : अशोक हमराही
दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे
हर एक सिम्त उदासी के घने साये थे दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे
फ़िज़ा के रंग, अदा और न जाने क्या-क्या
मेरी बेरंग ज़िन्दगी में ले के आये थे
मेरी आवाज़ में तहज़ीब, लफ़्ज़ में ख़ुश्बू मेरे नग़मों में कशिश साथ लिए आये थे
अपने ख़्वाबों में मेरी चाहतों के रंग भरे मेरी शोहरत के हर क़दम तुम्हारे साये थे
वफ़ा की राह पे चलने की न आदत थी, मगर संभाला तुमने जब भी पाँव लड़खड़ाये थे
तुमने इस संग को तराशा मोहब्बत बख्शी जिससे टकराके कितनों ने ज़ख़्म खाए थे
थोड़ी ख़ुशियाँ थोड़े आंसू रही दौलत अपनी यही ख़ज़ाना हम ख़ुद पर लुटाते आये थे
कभी ख़ुद से, कभी तुमसे, कभी ज़माने से गिले शिकवे फ़क़त लम्हात बनके आये थे
हमेशा ख़ुश रहो हर एक ख़ुशी हो बाँहों में वो ख़्वाब सच हों जो तुमने कभी सजाये थे
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अशोक हमराही
उत्तम ग़ज़ल रचना
Bahut Khoobsurat Ghazal
Bahut khoob
Dost Ban Kar tum meri zindagi main aaye the.
Vakai bahut hi umda Gazal Hai .
Aur Ap ke khayalat bakhubi Bayan Kar rahi hai..
Wowwwwwwwwww
Very Beautiful Gazal 👌💐
आनन्द आ गया भाई !!
बहुत सुंदर !!….
बधाई !!💐😊
वाह क्या बात है बहुत हीसुंदर भाव और अभिव्यक्ति बिलकुल सही कहा है आपने
बहुत खूबसूरत