सबके चेहरे पे नया चेहरा है – अशोक हमराही

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सबके चेहरे पे नया चेहरा है 

सबके चेहरे पे नया चेहरा है

हर कदम पर घिरा अंधेरा है

 

मुद्दतों बाद ख़त मिला लेकिन

अश्क़ों ने हर्फ़-हर्फ़ बिखेरा है

 

जबसे आने लगा वो ख़्वाबों में

आंखों से दूरतर सवेरा है

 

ख़ुदा बचाये बुरी नज़रों से

आज वो फिर इधर से गुज़रा है

 

रोज़ करते हैं शेख़ जी तौबा

ऐसा दैर-ओ-हरम ने घेरा है

 

संग रिंदों का मिल गया होगा

  वरना वह तो नया चितेरा है

  • अशोक हमराही


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