मित्र और मित्रता – सुधा त्रिपाठी शुक्ला
……..मित्र और मित्रता….
मित्र ,सखा, दोस्त ..
भावपूर्ण शब्द हैं….
कविताएं ,पद ,छंद ,दोहे ..
कहानियां, नाटक….
चित्रपट…मे छा गया …
उनकी आत्मा बन गया…।
शायरी लिख कर ….
शायर भी मशहूर हो गया।
इस शब्द ने निभाई …
मित्रता इसकदर….
हर कोई कर्जदार बन गया..
कोई -कोई ही …..
कदर दान बन न सका ।।
जीवन में गहराई तक
उतर जाते है मित्र……
हर उम्र मे संग रहते हैं ….
मित्र रंग -भेद आकार-प्रकार
से परे होता है ….मित्र ….
जीवन मे जो जल का
स्थान है वही मित्र का
आज अपने मूल अर्थ से…
बिछड.गया भवो से भरा है…..
इसीलिए बेचारा भी बन गया ।
श्रीदामा से कर मित्रता
श्रीकृष्ण ने भरा था भावो से
औ पूर्ण अर्थ से सँवारा था ,
सखा ……देकर ।
गोपियौ संग लीला कर …
सजा दिया सम भाव से ….
बचा न कोई दुराव -छिपाव
परन्तु आज ….।
सब भाव खो गए
आ गई मित्रता छल की चपेट मे
भाई उसे आज चाटुकारिता
खत्म हो गई पारदर्शिता
कहाँ गए वो मित्र ….
किसका बचा सखा -सखी
अब वे दोस्त भी नहीं
मित्र को भी बाँध दिया
सिर्फ एक दिन मे ….
मित्रता दिवस मनाया
तरह -तरह के उपहार देकर
एक पट्टी बाँधकर ….
अनगिनत मित्र बन जाते इस दिन
फूलों का गुलदस्ता देकर
अपनापा बरसता हैं
सब आभार व्यक्त
करते बस एक दिन…
मित्र औऱ मित्रता के भाव का
ढिढोरा भी बहुत पीटा जाता है
कौन किस पायदान पर प्रतिष्ठित है
कौन निचले पायदान पर ही खडा.रह गया
इसका …भी दिखाया जाता है कभी कभी
भावनाओं को कभी बढाया तो कभी .
चूर भी कर दिया जाता एक पल मे
स्वरचित मौलिक रचना
सुधा त्रिपाठी शुक्ला
@Hamara lekhan ✍️
2017 August
कोई परिभाषा नही इस भावपूर्ण शब्द की
मित्रता दिवस पर लिखी पंक्तियां
आपके समक्ष
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
🤝
मित्र व मित्रता को बहुत ही सुंदर ढंह से वणित करा गयाा है।
मित्र व मित्रता को बहुत ही सुंदर ढंह से वणित करा गयाा है।