कुछ दिन घर में रहो ना … अशोक हमराही
इधर उधरअब फिरो ना कुछ दिन घर में रहो ना बुरी नज़र लग जाएगी घूम रहा है कोरोना थोड़ी सी...
इधर उधरअब फिरो ना कुछ दिन घर में रहो ना बुरी नज़र लग जाएगी घूम रहा है कोरोना थोड़ी सी...
बेरंग रंग कैसे मनाएँ होली कैसे भींगे स्नेह संग जब तक़रार से भरी हो देश की डोली कहाँ करे...
हास्य - व्यंग ननकू की होली चारों ओर होली की मस्ती है। सब एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं...
फागुन की मधुरितु आई फागुन की मधुरितु आई रंगों की बहार लाई सखी री होली आई - सखी री होली...
जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां सुब्ह की धूप पे जमने लगी...
स्वप्रश्नावली हूं किसी अहंकार में या, किसी प्रतिकार में हूं? हूं किसी घमंड में या, फिर किसी दंभ में...
बिन तेरे मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...
चाहत सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...
पानी पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...
बसंत उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...