कवि और कविता

तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं – अशोक हमराही

अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं राह देखते रहे हैं आज तक पर कहेंगे तुमको...

Jise dekho wohi insan hai sard sard yahan जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां – अशोक हमराही

जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां सुब्ह की धूप पे जमने लगी...

चाहत – अनिता रश्मि

चाहत   सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...